बड़वानी। पश्चिम निमाड़ में पहली बार पंडित धीरेंद्र शास्त्री का दिव्य दरबार लगा. बड़वानी पहुंचे बागेश्वर धाम के पंडित ने एक नेता के बाहर जाकर कथा न करने के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि साधु का काम जगाना है किसी राजनेता की बात का जवाब देना नहीं. उन्होंने कहा कि हम साधु तो नहीं लेकिन साधु की पीठ बागेश्वर है ,और हम उस के सेवक हैं. शास्त्री ने कहा कि भगवान राम तब राम हुए जब वे वन गए ,और जब वे वन गए तो बन गए, इसलिए हमें भी जगाने के लिए वनों और ग्रामों में जाना होता है. उन्होंने हिंदू राष्ट्र बनने की बात कहते हुए कहा कि अब धर्मांतरण नहीं चलेगा, हिंदू एकत्रित हो रहा है जाग रहा है, अब बालाजी की कृपा से धर्मांतरण वालों की ठठरी और गठरी बंध जाएगी.
गांवों में जाकर कथा करने की सलाह: बड़वानी में दिन को होने वाला कार्यक्रम देर रात 11:00 बजे दिव्य दरबार हुआ शुरू जो लगभग डेढ़ घंटे तक चला. शास्त्री को सुनने के लिए रिमझिम बारिश के बीच भी लोग डटे रहे. धीरेंद्र शास्त्री ने आदिवासी क्षेत्रों में धर्मांतरण को लेकर पूछे गए सवाल पर कहा कि हम आदिवासी क्षेत्रों में वनवासियों के आमंत्रण पर ही जा रहे हैं और उन्हीं को जजमान बनाते हैं. धीरेंद्र शास्त्री ने भारत के कथा वाचकों से प्रार्थना की कि शहरों की कथाओं से धर्म नहीं बचेगा. जिन वनवासियों ग्रामीणों को उपेक्षित रखा गया है, उनके पास जाकर कथा करें.
सनातन संस्कृति का प्रभाव: पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि कैबिनेट मंत्री प्रेम सिंह के सरल व्यवहार और आग्रह पर बड़वानी आए हैं. मौसम खराब होने की वजह से दिन में नहीं पहुंच सके थे. धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि इतनी बारिश में जनता बनी रही, यही भारत का सौभाग्य और सनातन संस्कृति का प्रभाव है. उन्होंने हनुमान जी की कृपा उल्लेखित करते हुए कहा कि बड़वानी भक्ति नगर है और आसपास के जिलों की जनता इतनी भावुक थी कि ऐसा लग रहा था कि पूरी रात दरबार चलता रहे तो भी वह जाने वाले नहीं थे. उन्होंने आश्वस्त किया कि वे शीघ्र ही कथा हेतु बड़वानी आएंगे.