बड़वानी। शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो चुकी है. श्रद्धालु, शारदीय नवरात्र को लेकर तैयारियां कर चुके हैं. हालांकि कोरोना काल में इस बार नवरात्रि काफी सावधानी के साथ मनाई जा रही है, फिर भी सरकार ने बहुत कुछ छूट दे दिया है. शारदीय नवरात्र में अक्सर देखा जाता है कि, जगह-जगह पंडाल लगाकर देवी मां की पूजा की जाती है. 9 दिन के दौरान हर कोई माता की पूजा में लीन रहता है. बड़वानी के सेंधवा से 16 किमी दूर सतपुड़ा की तलहटी में मध्यप्रदेश -महाराष्ट्र की सीमा पर बिजासन घाट पर स्थित बड़ी बिजासन मंदिर है. जो भक्तों के लिए एक अलग केंद्र माना जाता है.
पूजा के लिए बड़ी संख्या में पहुंचे हैं भक्त
महाराष्ट्र, गुजरात व मध्यप्रदेश के लाखों श्रद्धालु आस्था का केंद्र बड़ी बिजासन मां के दरबार में पहुंचते हैं. यहां स्वयंभू शक्तिपीठ के रूप में विराजमान माता चमत्कारी होकर वरदायिनी है. वैसे तो नवरात्रि में यहां लाखों भक्त दर्शन के लिए यहां पहुंचे हैं, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते महाराष्ट्र सरकार ने मंदिरों के पट नहीं खोलने के आदेश के दिए हैं. जिसके बाद भक्त मां की आराधाना के लिए बड़ी संख्या में यहां पहुंच रहे हैं.
कोरोना काल में मंदिर प्रशासन की देखरेख
इस मंदिर में हर साल नवरात्र में दूर-दूर से श्रद्धालु चुनरी यात्रा का आयोजन कर मंदिर तक पहुंचते हैं. लेकिन कोरोना काल के चलते इसमें काफी कमी देखने को मिल रही है. इस बार मन्दिर प्रशासन ने नवरात्रि में श्रद्धालुओं की भीड़ की संभावना को देखते हुए सोशल डिस्टेंस का पालन, सेनेटाइजर व मास्क अनिवार्य किया गया है. शारदीय नवरात्रि को लेकर मन्दिर ट्रस्ट ने इसकी पूरी तैयारियां कर रखी हैं. इसके साथ ही देवी मां के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की थर्मल स्क्रीनिंग के बाद ही उन्हें कराई जा रही है.
बड़ी बिजासन मां की महिमा
महाराष्ट्र सीमा पर बड़ी बिजासन माता मंदिर से महाराष्ट्र व गुजरात से सैकड़ों किलोमीटर का फासला तय कर पैदल श्रद्धालु यहां आते हैं. वैसे तो मंदिर में दर्शनार्थियों का तांता साल भर लगा रहता है लेकिन नवरात्रि में इस स्थान का विशेष महत्व होने से लाखों की संख्या में भक्त दर्शन के लिए देशभर से आते हैं और मुरादे लेकर जाते हैं. माता के चमत्कारों को लेकर मन्दिर के मंदिर के मुख्य पुजारी विनोद शर्मा बताते हैं कि एक बार भंडारे प्रसाद के दौरान अचानक तेल कम पड़ गया. उमड़ती भक्तों की भीड़ से मन्दिर ट्रस्ट के कार्यकर्ता परेशान हो गए. उसी समय मंदिर के पास एनएच 3 पर तेल का टैंकर पलट गया और तेल रिसने लगा. घटना की जानकारी मिलने पर मंदिर के सेवकों ने टैंकर के तेल भंडारे में उपयोग कर लिया.
पिंडी स्वरूप में विराजमान है मां
सतपुड़ा की तलहटी में बड़ी बिजासनी माता स्वयंभू प्रकट हुई है. जिनको देखकर एक अलग सा अद्भुत रूप बस देखते ही बनता है. यहां माताजी पिंडी स्वरूप में विराजमान हैं. साथ ही एक प्रतिमा भी है. यहां निःसन्तान दंपत्तियों के लिए यह बड़ा आस्था का केंद्र है. कई युवा यहां रोजगार की कामना लेकर आते हैं और उनकी मन्नत पूरी होने पर वह दर्शन के लिए साल में एक बार जरुर माता के चरणों में अपना सिर झुकाते हैं.
इस बार रेलिंग की व्यवस्था
बड़ी बिजासन माता के दर्शन के लिए नवरात्र से ही भक्तों का हुजूम उमड़ने लगता है, जो अष्टमी व नवमी पर चरम पर पहुंच जाता है. श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रण करने के लिए मंदिर परिसर के बाहर बड़े-बड़े शेड बनाए गए हैं और मां के मुख्य दर्शन के लिए रेलिंग की व्यवस्था की गई है.
ताकि भक्तों को मां के दर्शन के लिए परेशान ना होना पड़े. इस बार कोरोना संक्रमण को देखते हुए महाष्टमी पर हवन तथा नवमी पर पूर्णाहुति होगी लेकिन इस बार कोरोना भंडारे और प्रसादी का आयोजन नहीं किया जाएगा.
मन्नत पूरी होने के बाद श्रद्धालु चढ़ाते हैं चुनरी
सतपुड़ा पर्वत की गोद में प्राकृतिक सौंदर्य के बीच बड़ी बिजासन माता का अद्भुत मंदिर कई चमत्कारों का साक्षी है. यहां आकर श्रद्धालु आत्मिक आनंद की अनुभूति महसूस करते हैं. बड़ी बिजासन माता के दरबार में मध्य प्रदेश के अलावा महाराष्ट्र और गुजरात के लोग अपनी कुलदेवी की पूजा करने के लिए बड़ी संख्या में चैत्र व शारदीय नवरात्रि में मन्नतें लेकर आते हैं और कई मन्नत पूरी होने के बाद श्रृंगार का सामान और चुनरी से माता का श्रृंगार करते हैं. इस मंदिर में दर्शन के लिए लोग सैकड़ों किलोमीटर पैदल चल कर आते हैं और दर्शन करते हैं. वहीं यहां से कई श्रद्धालु ज्योति ले जाकर मंदिरों में स्थापित करते हैं.