बालाघाट। यूं तो बालाघाट जिला वनों से घिरा हुआ है, जहां अपार वानिकी संपदा के साथ-साथ समृद्ध जैव विविधता भी पाई जाती है. विश्व सांप दिवस पर बालाघाट जिले के सर्पमित्र ललित मेश्राम से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. ललित मेश्राम से पूछा गया कि सांपों का रेस्क्यू कैसे किया जाता है. उन्होंने बताया कि सांपों का रेस्क्यू बहुत ही सतर्कता के साथ किया जाता है, जिसमें थोड़ी सी भी चूक या अपनी नजर हटाने की कोई भी गुंजाइश नहीं होती है. इन सभी सावधानियों को ध्यान रखते हुए हुक और अन्य साधनों की मदद से सांपों का रेस्क्यू किया जाता है.'' बालाघाट में सांपों की लगभग 20 प्रजातियां पाई जाती हैं. बालाघाट जिले में वनों की भरमार है, ऐसे में यहां पर भारी संख्या में जीव जंतु भी पाए जाते हैं.
बालाघाट में सांपों का 20 प्रजातियां: सर्पमित्र ललित मेश्राम के अनुसार, मध्यप्रदेश में लगभग 30 से अधिक सांपों की प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से तकरीबन 20 प्रजातियां बालाघाट जिले में पाई गई हैं. 12 से 15 प्रजातियों का रेस्क्यू स्वयं उनके द्वारा अभी तक किया जा चुका है, इनके कुछ नाम उन्होंने बताते हुए कहा कि ''अजगर जो कि इंडियन रॉक पाइथन के नाम से जाना जाता है. इसके अलावा पाइथन स्पेसीस, बोवा स्पेसीस, रेट स्नेक, कोबरा, करेत त्रिंकेट, बेंडेड रेसर, कुकरी स्नेक सहित अन्य प्रजातियों का उनके द्वारा अभी तक रेस्क्यू किया गया है."
सांपों का जहरीली प्रजातियां: सर्पमित्र ने बताया कि "इन सभी प्रजातियों में मुख्य रूप से पांच ऐसी प्रजातियां हैं, जो जहरीली होती हैं. जिसमें सबसे पहला करैत जिसे लोकल भाषा में डांडेकार कहा जाता है, जिसका वैज्ञानिक नाम बैंगरस सेलूरस है. दूसरा है नाजा प्रजाति का कोबरा सांप जिसे स्थानीय भाषा में नाग बोला जाता है. तीसरा है रसल्स वाइपर और चौथा है स्वस्केल्ड वाइपर. स्वस्केल्ड वाइपर जिसका उन्होंने अभी तक रेस्क्यू नहीं किया है."
सांपों के जानकार क्या बताते: जानकार बताते हैं कि "यह प्रजाति भी बालाघाट में पाई जाती है. इसके अलावा एक और भी जहरीला सांप होता है जिसे स्थानीय भाषा में मंडई डांग कहा जाता है जिसका नाम बैंडेट क्रेज्ड है जो पीला काला पट्टे वाला होता है. वह भी यहां पाया जाता है. इस तरह यहां पर कुल 5 प्रजातियां पाई जाती हैं जो विषैली प्रजातियों में आती हैं. जिनके काटने से आदमी की मृत्यु हो जाती है, बाकी प्रजातियों के काटने से मृत्यु नहीं होती है.
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सांप काटने पर क्या करें: सर्पमित्र ललित मेश्राम ने बताया कि "बालाघाट जिला आदिवासी बाहुल्य जिला है, जहां पर आज भी झाड़-फूंक जैसी अंधविश्वासी कुरीतियां विद्यमान है. यहां पर लोग अक्सर झाड़-फूंक के चक्कर में अपनी जान गवा बैठते हैं.'' उन्होंने सभी से अपील करते हुए कहा कि ''सांप के काटने पर किसी प्रकार की झाड़-फूंक या जादू टोने की आवश्यकता नहीं है, सबसे पहले नजदीकी अस्पताल पहुंचकर उसका उपचार करवाना चाहिए. आजकल सभी अस्पतालों में एंटी स्नेक दवाइयां उपलब्ध रहती हैं."
झाड़-फूंक से बचें लोग: उन्होंने झाड़-फूंक जैसे अंधविश्वास का पर्दाफाश करते हुए बताया कि "अक्सर गांव में सांप के काटने पर लोग झाड़-फूंक करवाने चले जाते हैं और उसमें ज्यादा विश्वास रखते हैं. कुछ सांप विषैले होते हैं किंतु कुछ सांपों के विषैले ना होने से उनके काटने पर किसी प्रकार का खतरा नहीं होता है, लेकिन धामन जैसे जो सांप है जो विषैले नहीं होते उनके काटने पर लोग झाड़-फूंक करवाते हैं और उससे उनकी जान बच जाती है जिसके कारण ऐसी अंधविश्वासी कुरीतियों में उनका विश्वास बढ़ जाता है, लेकिन विषैले सांपों के काटने पर झाड़-फूंक जैसी अंधविश्वासी कुरीतियां काम नहीं आती और आखिरकार लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है."
जहरीला सांप काटने के 3 घंटे तक जीवित रहता है व्यक्ति: प्राथमिक उपचार के तौर पर सर्पमित्र ने बताया कि ''अमूमन विषैले सांप के काटने पर 3 घंटे तक व्यक्ति जीवित रह सकता है. इस दौरान जिस जगह पर सांप ने काटा है वहां रिबन या ट्रैक पट्टी से हल्का बांध दें, ताकि खून का जो संचार है वह धीमा हो जाए. यह ध्यान रखना है कि पट्टी बांधने पर खून का संचार रुकना नहीं चाहिए, बल्कि उसे धीमा करना है. इसके साथ ही जिस व्यक्ति को सांप ने काटा है, उसे ढांढस बंधाते रहें ताकि उसके शरीर में खून का संचार ज्यादा तेजी से ना हो पाए और जल्दी से जल्दी अस्पताल ले जाकर एंटी वेनम लगवाने का प्रयास करें.