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बैगा ओलंपिक का हुआ समापन, खिलाड़ियों संग डीजे की धुन पर नाचे मंत्री

बालाघाट जिले के बैहर में चार जनवरी से शुरु हुए बैगा ओलंपिक का समापन हो गया. इस आयोजन में मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के 9 जिलों के खुल 508 खिलाड़ियों ने भाग लिया था. आयोजन के समापन कार्यक्रम में मंत्री कमलेश्वर पटेल, प्रदीप जायसवाल के साथ विधानसभा उपाध्यक्ष हिना कावरे ने भी शिरकत किया .

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बैगा ओलंपिक का समापन
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Published : Jan 7, 2020, 2:37 PM IST

Updated : Jan 7, 2020, 3:00 PM IST

बालाघाट। जिले के बैहर में आयोजित बैगा ओलम्पिक का सोमवार को समापन हो गया. इस आयोजन में आदिवासी प्रतिभाओं को अपने हुनर का जलवा दिखाने का मौका मिला, तो वहीं सांस्कृतिक आयोजनों के जरिए आदिवासियों की संस्कृति की झलकियां भी देखने मिली. जिन्हें देखकर हर कोई मंत्र मुग्ध हो गया.

बैगा ओलंपिक का हुआ समापन

आयोजन के समापन अवसर पर ऐसा समा बंधा की मंत्री कमलेश्वर पटेल, और प्रदीप जायसवाल के साथ विधानसभा उपाध्यक्ष हिना कांवरें भी डीजे की धुन पर भी खिलाड़ियों के साथ थिरकतीं नजर आयी. मंत्री कमलेश्वर पटेल ने कहा कि पांच सालों से हो रहा ये आयोजन आदिवासी वर्ग के विकास में निर्णायक साबित हो रहा है. बैगा आलंपिक जैसे आयोजन से ग्रामीण पर्यटन को प्रोत्साहन मिलता है और प्रदेश सरकार की भी मंशा है कि ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं को रोजगार के साथ सीखने का अवसर मिले.

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समापन अवसर पर खिलाड़ियों के साथ मंत्रीगण

कार्यक्रम में पहुंची विधानसभा उपाध्यक्ष हिना कांवरे ने भी बैगा ओलंपिक की तारीफ की. उन्होंने कहा कि बैगा आलंपिक जैसे आयोजन के लिए बधाई का पात्र है. जो जनजाति के लोगों को प्रकृति के करीब रहने के कारण ईश्वर ने उन्हें प्राकृतिक रूप से मजबूत बनाया है. खनिज मंत्री प्रदीप जायसवाल ने कहा कि, आगे इस आयोजन को और बड़े रुप में आयोजित कराएंगे. जिसका फायदा बैगा जनजाति के लोगों को मिलेगा और उन्हें बड़े मंचों पर अपना हुनर दिखाने का मौका भी मिलेगा.

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रस्सी खेलते खिलाड़ी

9 जिलों के 508 खिलाड़ियों ने लिया था भाग
चार जनवरी सें शुरु हुआ बैगा ओलंपिक तीन दिनों तक चला. जिसमें मध्य प्रदेश के सात और छत्तीसगढ़ दो जिलों के करीब 508 खिलाड़ी शामिल हुए. बैगा ओलंपिक में 11 प्रकार के खेलों का आयोजन करवाया गया. इस आयोजन में बालाघाट और डिंडौरी के खिलाड़ियों ने सबसे ज्यादा 68-68 पदक जीते. सबसे अधिक स्वर्ण पदक जीतने की वजह से डिंडौरी को विजेता घोषित किया गया.

बालाघाट। जिले के बैहर में आयोजित बैगा ओलम्पिक का सोमवार को समापन हो गया. इस आयोजन में आदिवासी प्रतिभाओं को अपने हुनर का जलवा दिखाने का मौका मिला, तो वहीं सांस्कृतिक आयोजनों के जरिए आदिवासियों की संस्कृति की झलकियां भी देखने मिली. जिन्हें देखकर हर कोई मंत्र मुग्ध हो गया.

बैगा ओलंपिक का हुआ समापन

आयोजन के समापन अवसर पर ऐसा समा बंधा की मंत्री कमलेश्वर पटेल, और प्रदीप जायसवाल के साथ विधानसभा उपाध्यक्ष हिना कांवरें भी डीजे की धुन पर भी खिलाड़ियों के साथ थिरकतीं नजर आयी. मंत्री कमलेश्वर पटेल ने कहा कि पांच सालों से हो रहा ये आयोजन आदिवासी वर्ग के विकास में निर्णायक साबित हो रहा है. बैगा आलंपिक जैसे आयोजन से ग्रामीण पर्यटन को प्रोत्साहन मिलता है और प्रदेश सरकार की भी मंशा है कि ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं को रोजगार के साथ सीखने का अवसर मिले.

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समापन अवसर पर खिलाड़ियों के साथ मंत्रीगण

कार्यक्रम में पहुंची विधानसभा उपाध्यक्ष हिना कांवरे ने भी बैगा ओलंपिक की तारीफ की. उन्होंने कहा कि बैगा आलंपिक जैसे आयोजन के लिए बधाई का पात्र है. जो जनजाति के लोगों को प्रकृति के करीब रहने के कारण ईश्वर ने उन्हें प्राकृतिक रूप से मजबूत बनाया है. खनिज मंत्री प्रदीप जायसवाल ने कहा कि, आगे इस आयोजन को और बड़े रुप में आयोजित कराएंगे. जिसका फायदा बैगा जनजाति के लोगों को मिलेगा और उन्हें बड़े मंचों पर अपना हुनर दिखाने का मौका भी मिलेगा.

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रस्सी खेलते खिलाड़ी

9 जिलों के 508 खिलाड़ियों ने लिया था भाग
चार जनवरी सें शुरु हुआ बैगा ओलंपिक तीन दिनों तक चला. जिसमें मध्य प्रदेश के सात और छत्तीसगढ़ दो जिलों के करीब 508 खिलाड़ी शामिल हुए. बैगा ओलंपिक में 11 प्रकार के खेलों का आयोजन करवाया गया. इस आयोजन में बालाघाट और डिंडौरी के खिलाड़ियों ने सबसे ज्यादा 68-68 पदक जीते. सबसे अधिक स्वर्ण पदक जीतने की वजह से डिंडौरी को विजेता घोषित किया गया.

Intro:बालाघाट।बालाघाट जिले में निवासरत आदिम जनजाति बैगाओं की संस्कृति, परम्परागत लोकनृत्य, वाद्ययंत्रों तथा खेलों से आमजनों को परिचित कराने पिछले 5 वर्षों से बैगा ओलम्पिक का आयोजन किया जा रहा है ।
बैहर के खेल परिसर में आयोजित कार्यक्रम का समारोहपूर्वक समापन हुआ । जिसमें पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री कमलेश्वर पटेल, खनिज साधन मंत्री प्रदीप जायसवाल,क्षेत्रीय विधायक संजय उइके और विधानसभा उपाध्यक्ष सुश्री हिना कावरे मुख्य रूप से शामिल हुए । बैगा ओलम्पिक में मप्र के बालाघाट, सिवनी, मंडला, डिंडोरी, अनूपपुर, शहडोल, उमरिया और छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव के बैगा शामिल हुए । समारोह के दौरान बैगाओ द्वारा खेले जाने वाले रस्साकसी, लँगड़ी दौड़, मटकी दौड़, कुश्ती, खो खो, कबड्डी आदि परम्परागत खेल स्पर्धाएं हुई वहीं मप्र के आदिवासी बैगा नृत्यों के अलावा असम का बिहू नृत्य, राजस्थान का घूमर, भवाई एवं कालबेलिया नृत्य, केरल का बाम्बू बैंड, कलारी पट्टू नृत्य आकर्षण का केंद्र रहे । समापन के दिन तीनों मंत्रियों ने ढोल ताशों की धुन पर जमकर ठुमके लगाए ।

Body:09 जिलों के 508 खिलाड़ियों ने 11 खेलों में दिखाये हुनर

     04 जनवरी सें तीन दिनों तक चले इस बैगा आलंपिक में  बालाघाट, मंडला,डिंडोरी,सिवनी, अनुपपुर, उमरिया, शहडोल एवं छत्तीसगढ़ राज्य के कबीरधाम व राजनांदगांव जिले के  कुल 508 बैगा खिलाड़ी शामिल हुए। इस आयोजन में कबड्डी, वालीवाल खो-खो, पाल, गोबर-डंडा, टिल्ली-डंडा, मटका दौड़, त्रिटंगी दौड़, बोरा दौड़, तिरंदाजी सहित 11 खेलों की प्रतियोगितायें  आयोजित की गई। इन खेल प्रतियोगिताओं को 75 कोच एवं पीटीआई ने सम्पन्न कराया। बालाघाट एवं डिंडोरी के खिलाड़ियों ने इस आयोजन में 68-68 पदक जीते है। लेकिन डिंडोरी जिले ने सबसे अधिक स्वर्ण पदक जीते हैं इस कारण से वह ओव्हर आल चैंमपियन रहा है। इस आयोजन के दौरान रात्री में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किये गये।जिसमें असम का बिहू, राजस्थान का कालबेलिया व भवई एवं डिंडोरी, छिंदवाड़ा, बैतूल, हरदा, भोपाल व बालाघाट के कलाकारों द्वारा पारंपरिक आदिवासी नृत्यों की प्रस्तुति दी गई।

Conclusion:कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रभारी मंत्री कमलेश्वर पटेल ने अपने संबोधन में कहा कि बैगा आलंपिक बैगा जन जाति के युवाओं के शरीरिक एवं मानसिक विकास में बहुत योगदान देगा। इस आयोजन से बैगा युवाओं को बहुत कुछ सीखने और अपनी कला व हुनर के प्रदर्शन का अवसर मिला है  । बैगा आलंपिक जैसे आयोजन से ग्रामीण पर्यटन को प्रोत्साहन मिलता है और प्रदेश सरकार की भी ऐसी ही मंशा है कि ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं को रोजगार के साथ सीखने का अवसर मिले। इस आयोजन में ग्रामीण हस्तशिल्प एवं महिला समूहों द्वारा तैयार उत्पादों के विक्रय के लिए स्टाल भी लगाये गये है। प्रदेश सरकार छोटी-छोटी जगहों पर तैयार वस्तुओं की बड़े-बड़े आयोजन में मार्केटिंग करने की योजना है।
विधानसभा उपाध्यक्ष सुश्री हिना कावरे ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि बालाघाट जिला प्रशासन बैगा आलंपिक जैसे आयोजन के लिए बधाई का पात्र है। बैगा जन जाति के लोगों को प्रकृति के करीब रहने के कारण ईश्वर ने उन्हें प्राकृतिक रूप से मजबूत बनाया है। बैगा लोग बगैर जिम जाये भी मजबूत होते है, जबकि वर्तमान की युवा पीढ़ी को शरीरिक रूप से मजबूत बनने के लिए जिम जाना पड़ता है। बालाघाट जिले में 25 हजार की बैगा आबादी है।हमें इसके संरक्षण एवं संवर्धन के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए।
मध्यप्रदेश शासन के खनिज साधन मंत्री प्रदीप जायसवाल ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि बालाघाट जिले में  रहने वाली विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा प्रकृति के सबसे करीब रहने वाली जनजाति है। इसकी संस्कृति का संवर्धन और  संरक्षण हमारी और सरकार की जिम्मेदारी है। वर्तमान के आधुनिक युग में युवाओं में अपने शरीर पर टेटू बनाने का चलन है। आज का आधुनिक टेटू बैगा जन जाति का गोदना ही है। इससे समझा जा सकता है कि बैगा लोगों में अपनी पहचान के प्रति कितनी जागरूता है। बैगा जन जाति के पांरपरिक खेलों का आयोजन कर जिला प्रशासन ने एक अच्छी पहल की है। विभिन्न जिलों के बैगा  खिलाड़ियों को एक मंच प्रदान कर उनकी संस्कृति को जोड़ने का प्रयास किया गया है। बैगा ‍ खिलाड़ियों ने इस आयोजन में बहुत बड़ी संख्या में भाग लेकर अपने  खिलाड़ी होने का सबूत दिया है। खिलाड़ी सच्चे अर्थों में वह होता है जो हारने के बाद अगली बार फिर से जीतने की तैयारी करता है। इस आयोजन में शामिल बैगा युवा भी एक अच्छे खिलाड़ी बनने की ओर अग्रसर होगें। वर्तमान समय के समय के बच्चों का बहुत सा वक्त मोबाईल एवं टीव्ही देखने में बीत रहा है जिसके कारण उनका शारीरिक विकास नहीं हो पा रहा है और इससे हमारी युवा पीड़ी  कमजोर हो रही है। बैगा जन जाति के बचपन से ही पारंपरिक खेलों में रहने के कारण हष्ट-पुष्ट होते है। हम लोगों को इस मामले में बैगा जन जाति के लोगों से प्रेरणा लेना चाहिए।
बाइट कमलेश्वर पटेल प्रभारी मंत्री बालाघाट
श्रीनिवास चौधरी ईटीवी भारत बालाघाट
Last Updated : Jan 7, 2020, 3:00 PM IST
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