बालाघाट। पर्यावरण तथा वन्यजीव संरक्षण तथा संवर्धन के क्षेत्र में बालाघाट से एक सुखद खबर आई है. सारस गणना में महाराष्ट्र के गोंदिया, भण्डारा को पीछे छोड़ते हुए मध्यप्रदेश का बालाघाट जिला अव्वल रहा. बालाघाट में 49 सारस पाए गए, जिनकी गणना का कार्य पारंपरिक तथा शास्त्रीय पद्धति से की गई. जिला पुरातत्व एवं संस्कृति परिषद बालाघाट के नोडल अधिकारी ने बताया कि बालाघाट कलेक्टर डाॅ. गिरीश कुमार मिश्रा एवं जिला पंचायत सीईओ डी एस रणदा के मार्गदर्शन व सहयोग से सेवा संस्थान, वन विभाग व किसान मित्रों द्वारा सारसों की गणना की गई. जिसमें बालाघाट में 49, गोंदिया में 31 तथा भण्डारा जिले में 04 सारस पाए गए.
ऐसे की जाती है सारस की गणना: बालाघाट जिले में कुल 70 से 80 जगहों पर सेवा संस्था के सदस्य, स्थानीय किसान, सारस मित्र तथा वन विभाग बालाघाट एवं गोंदिया के अधिकारी तथा कर्मचारियों ने सारस की गणना की. जिसमें बालाघाट जिले के लिए 25 तथा गोंदिया एवं भण्डारा जिले के लिए 39 टीमों ने सारस के रहवास स्थल पर सुबह 5 बजे से 9 बजे तक विभिन्न स्थानों पर प्रत्यक्ष जाकर गणना की प्रक्रिया को पूर्ण किया. सेवा संस्था के सदस्यों द्वारा पूरे वर्षभर सारस के विश्राम स्थल, प्रजनन अधिवास तथा भोजन के लिए प्रयुक्त भ्रमण पद पर नजर रखी जाती है. साथ ही सारस के अधिवास एवं उनके आसपास रहने वाले किसानों को सारस का महत्व बताकर उसके संरक्षण एवं संवर्धन के लिए प्रेरित किया जाता है. परिसर के स्कूल तथा महाविद्यालयों में जाकर विद्यार्थियों को पर्यावरण एवं सारस संवर्धन एवं संरक्षण से संबंधित कार्यक्रमों के माध्यम से सारस संरक्षण अभियान से जोड़ा जाता है. पूर्व में सारस संरक्षण करने वाले किसान व आम जनों को सारस मित्र सम्मेलन के माध्यम से सेवा संस्था द्वारा कलेक्टर कार्यालय के सभाग्रह में सारस मित्र सम्मेलन आयोजित कर कलेक्टर बालाघाट के हस्ते सम्मानित किया गया था.
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वन्य प्राणियों के लिए नहीं सीमाओं का बंधन: बाघ नदी एवं वैनगंगा नदी महाराष्ट्र के गोंदिया तथा मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले को विभाजित करती है. भौगोलिक दृष्टिकोण से नदी के दोनों ओर के प्रदेश की जैवविविधता में काफी समानता पाई जाती है. इसलिए कुछ सारस के जोड़े अधिवास तथा भोजन के लिए दोनों ओर के प्रदेशों में समान रूप से विचरण करते पाए जाते हैं. सीमाओं का बंधन उनके लिए मायने नहीं रखता जो मनुष्य के लिए एक अच्छा सबक है. आंकडों की विश्वसनीयता और सारस की उपस्थिति पर संदेह की गुंजाइश न रहे इसके लिए 19 से 23 जून तक प्रतिदिन सुबह शाम सभी सारस अधिवास पर जाकर सारस की स्थिति का जायजा लिया गया.
बहरहाल सारस गणना के सुखद परिणाम के बाद जिला प्रशासन द्वारा सेवा संस्था के सारस संरक्षण कार्य की सराहना करते हुए आगे भी सारस संरक्षण के क्षेत्र में कार्य करते रहने की बात कही गई. इस दौरान सारस गणना में पर्यावरण एवं वन्यजीव संरक्षण तथा संवर्धन के लिए कार्यरत ‘‘सेवा‘‘ संस्था, बालाघाट उत्तर-दक्षिण वनमण्डल, जिला पुरातत्व एवं संस्कृति परिषद व किसान मित्रों का सराहनीय योगदान रहा.