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कागजों में ODF घोषित हुआ बालाघाट जिला, लेकिन अब भी खुले में शौच के लिए मजबूर है कई गांवों के लोग - ODF

बालाघाट जिला ओडीएफ घोषित हो चुका है. लेकिन ईटीवी भारत ने जब मामले की पड़ताल की तो जमीनी हकीकत पर अभी कई जगहों पर लोग खुले में शौच के लिए मजबूर है.

ओडीएफ जिले में खुले में शौच जाने मजबूर कई ग्रामीण परिवार
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Published : Oct 10, 2019, 2:22 PM IST

Updated : Oct 10, 2019, 3:19 PM IST

बालाघाट। देश भर में महात्मा गांधी की 150 वी जयंती का समारोह मनाया जा रहा हैं. इस दौरान स्वच्छता का संदेश दिया जा रहा है. इस मौके पर बालाघाट जिले के भी ओडीएफ घोषित कर दिया है. लेकिन जब ईटीवी भारत ने रियलटी चेक किया तो जमीन पर हकीकत कुछ और ही दिखी. आज जिले के कई गांवों के लोग खुले में शौच जाने के लिए मजबूर हैं.

ओडीएफ जिले में खुले में शौच जाने मजबूर कई ग्रामीण परिवार

भले ही बालाघाट जिला ओडीएफ घोषित हो चुका हो लेकिन ग्रामीण अंचल से लेकर शहर मुख्यालय भी पूरी तरह से खुले में शौच मुक्त नहीं हुआ है. बालाघाट नगरपालिका क्षेत्र में ही ऐसे सैकड़ों की संख्या में परिवार हैं जो सालों से रहने के बाद भी ओडीएफ के अभाव में खुले में शौच जाने के लिए मजबूर है. ऐसे कुछ परिवारों ने बताया कि वे शौचालय बनाना चाहते हैं लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. जिस कारण वह शौचालय नहीं बना पा रहे हैं.

नगरपालिका प्रशासन में आवेदन दिया है लेकिन वहां से कोई सुविधा या ओडीएफ बनाया नहीं गया. कुछ परिवार आठ से दस साल से तो कुछ 20 साल से रह रहे हैं. फिर भी उनके घर पर ओडीएफ बनाने की पहल नहीं हो सकी है. ओडीएफ को लेकर अधिकारियों ने अलग-अलग दावे किए है. नगर पालिका के अधिकारी कहते हैं कि ओडीएफ हो गया है. वहीं जो कुछ शेष के रूप में आ रहे हैं उनके यहां पर जानकारी मिलते ही तत्काल ओडीएफ बनाया जा रहा है.

लगभग 2 हजार शौचालय बनाए गए है. हालांकि ओडीएफ को लेकर जनप्रतिनिधियों ने भी सवाल उठाते हुए कहा कि जिले के ग्रामीण अंचल में कई परिवार के शौचालय नहीं बनाए गए और जिले को ओडीएफ घोषित कर दिया गया. कई परिवार अब भी खुले में शौच के लिए जा रहे है. इसके लिए अभियान चलाने के साथ ही लोगों को जागरूक करने की भी जरूरत हैं.

बता दें कि साल 2012 में सर्वे के अनुसार बालाघाट में 2 लाख 73 हजार 172 ओडीएफ बनाकर जिले को ओडीएफ घोषित किया गया था. लेकिन इसके बाद कुछ परिवार का बटंवारा या किसी कारणवश छुट गए थे. उनके लिए अभियान चलाकर चिन्हांकन किया गया. जिपं सीईओ रजनी सिंह ने बताया कि दूसरे फेज में 10 हजार को चिन्हित कर जून के महिने तक सभी के घर शौचालय बना दिया गए है. अब लगभग 3 सौ लोग फिर से चिन्हित कर उनके घर शौचालय बनाए जा रहे है और राशि उनके खाते में भेजी जा रही है. इस अभियान के लिए अधिकारियों की टीम शौचालय का उपयोग करने जागरूकता के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में जाएगी.

बालाघाट। देश भर में महात्मा गांधी की 150 वी जयंती का समारोह मनाया जा रहा हैं. इस दौरान स्वच्छता का संदेश दिया जा रहा है. इस मौके पर बालाघाट जिले के भी ओडीएफ घोषित कर दिया है. लेकिन जब ईटीवी भारत ने रियलटी चेक किया तो जमीन पर हकीकत कुछ और ही दिखी. आज जिले के कई गांवों के लोग खुले में शौच जाने के लिए मजबूर हैं.

ओडीएफ जिले में खुले में शौच जाने मजबूर कई ग्रामीण परिवार

भले ही बालाघाट जिला ओडीएफ घोषित हो चुका हो लेकिन ग्रामीण अंचल से लेकर शहर मुख्यालय भी पूरी तरह से खुले में शौच मुक्त नहीं हुआ है. बालाघाट नगरपालिका क्षेत्र में ही ऐसे सैकड़ों की संख्या में परिवार हैं जो सालों से रहने के बाद भी ओडीएफ के अभाव में खुले में शौच जाने के लिए मजबूर है. ऐसे कुछ परिवारों ने बताया कि वे शौचालय बनाना चाहते हैं लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. जिस कारण वह शौचालय नहीं बना पा रहे हैं.

नगरपालिका प्रशासन में आवेदन दिया है लेकिन वहां से कोई सुविधा या ओडीएफ बनाया नहीं गया. कुछ परिवार आठ से दस साल से तो कुछ 20 साल से रह रहे हैं. फिर भी उनके घर पर ओडीएफ बनाने की पहल नहीं हो सकी है. ओडीएफ को लेकर अधिकारियों ने अलग-अलग दावे किए है. नगर पालिका के अधिकारी कहते हैं कि ओडीएफ हो गया है. वहीं जो कुछ शेष के रूप में आ रहे हैं उनके यहां पर जानकारी मिलते ही तत्काल ओडीएफ बनाया जा रहा है.

लगभग 2 हजार शौचालय बनाए गए है. हालांकि ओडीएफ को लेकर जनप्रतिनिधियों ने भी सवाल उठाते हुए कहा कि जिले के ग्रामीण अंचल में कई परिवार के शौचालय नहीं बनाए गए और जिले को ओडीएफ घोषित कर दिया गया. कई परिवार अब भी खुले में शौच के लिए जा रहे है. इसके लिए अभियान चलाने के साथ ही लोगों को जागरूक करने की भी जरूरत हैं.

बता दें कि साल 2012 में सर्वे के अनुसार बालाघाट में 2 लाख 73 हजार 172 ओडीएफ बनाकर जिले को ओडीएफ घोषित किया गया था. लेकिन इसके बाद कुछ परिवार का बटंवारा या किसी कारणवश छुट गए थे. उनके लिए अभियान चलाकर चिन्हांकन किया गया. जिपं सीईओ रजनी सिंह ने बताया कि दूसरे फेज में 10 हजार को चिन्हित कर जून के महिने तक सभी के घर शौचालय बना दिया गए है. अब लगभग 3 सौ लोग फिर से चिन्हित कर उनके घर शौचालय बनाए जा रहे है और राशि उनके खाते में भेजी जा रही है. इस अभियान के लिए अधिकारियों की टीम शौचालय का उपयोग करने जागरूकता के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में जाएगी.

Intro:बालाघाट- देश भर में महात्मा गांधी की 150 वी जयंती समारोह मनाया जा रहा हैं और इस दौरान स्वच्छता का संदेश दिया जा रहा हैं। लेकिन बालाघाट ओडीएफ जिला घोषित होने के बाद भी कई ऐसे परिवार हैं जो ओडीएफ के अभाव में खुले में शौच जाने के लिये बाध्य हैं।
Body:जानकारी के मुताबिक ओडीएफ को लेकर ग्रामीण अंचल से लेकर शहर मुख्यालय भी पूरी तरह ओडीएफ मुक्त नहीं हुआ हैं। बालाघाट नपा क्षेत्र में ही ऐसे सैकड़ो की संख्या में परिवार हैं जो वर्षो से रहने के बाद भी ओडीएफ के अभाव में खुले में शौच जाने के लिये मजबूर हैं। ऐसे कुछ परिवारों से मिलने पर हकीकत सामने आयी और उन्होने बताया कि वे शौचालय बनाना चाहते हैं। लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक नहीं हैं। इसके अभाव में वह शौचालय नहीं बना सके हैं। नपा प्रशासन में आवेदन व फार्म भरा हैं लेकिन वहां से कोई सुविधा या ओडीएफ बनाया नहीं गया। ये ऐसे परिवार हैं जिनके यहां पर चार से छह सदस्य निवासरत हैं और वह खुले में शौच जाने के लिये मजबूर हैं। हमने ऐसे परिवार के संदर्भ में बात की तो बताया गया कि कुछ परिवार आठ से दस साल से तो कुछ 20 साल से निवास कर रहे। फिर भी उनके घर पर ओडीएफ बनाने की पहल नहीं हो सकी हैं।
ओडीएफ को लेकर अधिकारियों के अलग-अलग दावे हैं। नगर पालिका के जिम्मेवार कहते हैं कि ओडीएफ हो गया हैं और जो कुछ शेष के रूप में आ रहे हैं उनके यहां पर जानकारी मिलते ही तत्काल ओडीएफ बनाया जा रहा हैं। लगभग 2 हजार शौचालय बनाये गये हैं। हालांकि ओडीएफ को लेकर जनप्रतिनिधियों ने भी सवाल उठाते हुये कहा कि जिले के ग्रामीण अंचल में कई परिवार के शौचालय नहीं बनाये गये और जिले को ओडीएफ घोषित कर दिया गया। कई परिवार अब भी खुले में शौच हेतु जा रहे हैं। इसके लिये अभियान चलाने के साथ ही जागरूक करने की जरूरत हैं।
Conclusion:बता देवें कि वर्ष 2012 में सर्वे के अनुसार बालाघाट में 2 लाख 73 हजार 172 ओडीएफ बनाकर जिले को ओडीएफ घोषित किया गया था। लेकिन इसके बाद कुछ परिवार का बटंवारा या किसी कारणवश छुट गये थे उनके लिये अभियान चलाकर चिन्हांकन किया गया। जिपं सीईओ श्रीमती रजनी सिंह ने बताया कि दूसरे फेश में 10 हजार को चिन्हित कर जून माह तक सभी के घर शौचालय बना दिया गया हैं। अब लगभग 3 सौ लोग फिर से चिन्हित कर उनके घर शौचालय बनाये जा रहे व राशि उनके खाते मे भेजी जा रही हैं। यह ऐसा अभियान हैं इसके लिये अधिकारियों की टीम शौचालय का उपयोग करने के लिये पे्ररित करने हेतु गांवों में जायेगी व जनजागरूकता चलायेगी।
बाईट- 1 गीता कुमरे, ग्रामिण
2 रानू बोमरडे ग्रामिण
,3 अनसुईया मेश्राम, ग्रामिण
4 फूलवती सैययाम ग्रामिण
बाईट- सुरेंद्र राहंगडाले उपयंत्री नगरपालिका बालाघाट
बाईट- श्रीमती रजनी सिंह जिला पंचायत सीईओ बालाधाट
श्रीनिवास चौधरी ईटीवी भारत बालाघाट
Last Updated : Oct 10, 2019, 3:19 PM IST
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