बालाघाट। महाकौशल क्षेत्र का बालाघाट जिला जहां 6 विधानसभा सीट आती है. जिसमें से एक सीट लांजी विधानसभा सीट है. ये एक ऐसी विधानसभा सीट है, जो भारतीय जनता पार्टी के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है, तो वहीं कांग्रेस के लिए एक मजबूत किला बन गया है. राजनीतिक जानकारों की माने तो लांजी विधानसभा सीट को भारतीय जनता पार्टी ने भी कठिन सीटों में इसे शामिल किया है. अब देखना यह है कि भाजपा अपने ही पार्टी में अंतर्कलह के बीच क्या कांग्रेस के इस मजबूत किले को भेद पाती है या नहीं.
लांजी विधानसभा कांग्रेस का मजबूत किला: लांजी विधानसभा सीट मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले की एक ऐसी विधानसभा सीट है. जो दो राज्यों की सीमा से लगा हुआ है. महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ राज्य की सीमा से लगा हुआ लांजी विधानसभा सीट कांग्रेस के लिए एक मजबूत किला है. 1962 से अब तक जितनी बार भी चुनाव यहां हुए हैं. उसमें कांग्रेस ही बढ़त पर है, तब से कांग्रेस ने 6 बार यहां से जीत हासिल की है, तो बीजेपी को चार बार ही जीत मिली है. इसके अलावा इस सीट पर दूसरी पार्टियां भी जीत हासिल करती रही हैं. इस सीट से निर्दलीय विधायक भी बन चुके हैं. वर्तमान में लांजी विधानसभा सीट पर कांग्रेस का कब्जा है. कांग्रेस की हिना कांवरे यहां से विधायक हैं. जिन्हें एक बार फिर से मजबूत माना जा रहा है.
बीजेपी-कांग्रेस दोनों ने घोषित किये प्रत्याशी: लांजी विधानसभा सीट का मुकाबला इस बार दिलचस्प हो सकता है. वजह है कि बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही अपना पूरा जोर लगा रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी तो इसे कठिन सीटों में से एक मान रही है और इसीलिए अपने पहली ही लिस्ट में यहां से अपने प्रत्याशी का नाम भी घोषित कर दिया है. बीजेपी ने लांजी से पुराने चेहरों पर तो बिल्कुल भी भरोसा नहीं जताया और राजकुमार कर्रहे को टिकट दिया है. लगातार दो बार इस सीट से हारने के बाद बीजेपी ने यहां से चेहरा चेंज कर दिया है.
वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने अपनी पहली लिस्ट जो जारी की है. उसमें ही इस सीट से दो बार से लगातार जीत हासिल करते आ रही महिला विधायक हिना कांवरे को ही अपना प्रत्याशी चुना है. इस बार भी कांग्रेस की हिना कांवरे को मजबूत प्रत्याशी माना जा रहा है.
भाजपा-कांग्रेस दोनों के लिए चुनौती: भाजपा हो या फिर कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के लिए अपनी-अपनी चुनौतियां हैं. भारतीय जनता पार्टी ने जो प्रत्याशी इस विधानसभा सीट से चुना है, उसका बीजेपी के खेमे में ही विरोध भी हो रहा है. पूर्व विधायक और जिला अध्यक्ष रहे रमेश भटेरे ही इस फैसले से खुश नहीं है और उनके समर्थक लगातार विरोध कर रहे हैं. एक तरह से मोर्चा खोल दिया है, मतलब बीजेपी के प्रत्याशी को अपने ही पार्टी में अंतर्कलह का सामना करना पड़ रहा है. वह भी तब जब दूसरी ओर यहां से कांग्रेस मजबूत है. वहीं कांग्रेस के लिए ये सीट इसलिए आसान नहीं है, क्योंकि पिछले दो बार से इस विधानसभा सीट से उन्हीं की विधायक जीतती आ रही हैं और इस बार भी कांग्रेस ने हिना कांवरे पर ही भरोसा दिखाया है. ऐसे में सवाल यही है कि क्या हिना कांवरे जीत की हैट्रिक लगा पाएंगी, या उनके लिए भी चुनौती रहेगी.
जानिए बीजेपी-कांग्रेस प्रत्याशी के बारे में: कांग्रेस ने जिस प्रत्याशी को इस बार भी टिकट दिया है, हिना कांवरे वर्तमान विधायक हैं. 2013 से लगातार वह इस सीट से जीत हासिल कर रही हैं. हिना कांवरे पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वर्गीय लिखी राम कांवरे की पुत्री हैं. जिनका लांजी विधानसभा सीट पर अच्छा खासा वर्चस्व है.
वहीं भारतीय जनता पार्टी ने जिस कैंडिडेट को अपना प्रत्याशी इस विधानसभा सीट से चुना है. उनका नाम राजकुमार कर्रहे है. उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत लांजी क्षेत्र के युवा भाजपा नेता के रूप में हुई थी. साल 2012 तक लांजी जनपद पंचायत के अध्यक्ष भी रहे. राजकुमार पर 2018 के चुनाव में पार्टी के खिलाफ काम करने के आरोप लगे. जिसके बाद उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. इसके बाद राजकुमार कर्रहे ने आम आदमी पार्टी ज्वाइन कर लिया था और वो पिछले 5 साल से आम आदमी पार्टी की ओर से सक्रिय रूप से क्षेत्र में काम भी कर रहे थे, लेकिन टिकट की घोषणा के चार घंटे पहले ही आम आदमी पार्टी से उन्होंने इस्तीफा दिया और बीजेपी ने उन्हें टिकट के रूप में इनाम भी दिया.
हालांकि राजकुमार के लिए भारतीय जनता पार्टी के अपने ही नेताओं के सामंजस्य बनाने की एक बड़ी चुनौती भी है, क्योंकि उन्हें टिकट मिलने के बाद उनके ही पार्टी में उनका काफी विरोध भी हो रहा है और इसका नुकसान उन्हें उठाना पड़ सकता है.
लांजी विधानसभा का जातिगत समीकरण: जिले के लांजी विधानसभा सीट पर जातिगत समीकरण की बात करें, तो क्षेत्र में लोधी समाज का बड़ा वोट बैंक है. इसके अलावा आदिवासी, मरार पवार, कलार, महार समेत अन्य समाज के वोटर्स भी हैं. भाजपा प्रत्याशी राजकुमार जहां लोधी समाज से आते हैं. जबकि वर्तमान कांग्रेसी विधायक हिना कांवरे मरार समाज से आती हैं.
क्या कहते हैं आंकड़े ?: लांजी विधानसभा सीट पर पिछले कुछ सालों के आंकड़ों पर नजर डालें.
साल 2018 के जो विधानसभा चुनाव हुए थे, वहां बालाघाट में कांग्रेस पार्टी ने बेहतर प्रदर्शन किया था. जिनमें से एक लांजी विधानसभा सीट भी है, लांजी विधानसभा सीट से कांग्रेस पार्टी की ओर से हिना कांवरे मैदान पर थीं, तो भारतीय जनता पार्टी की ओर से रमेश भटेरे प्रत्याशी थे. जहां लांजी विधानसभा सीट से हिना कांवरे ने रमेश भटेरे को 18,696 वोट के बड़े अंतर से हराया था.
साल 2013 में भी लांजी विधानसभा सीट से कांग्रेस की हिना कांवरे मैदान पर थीं. जबकि बीजेपी ने भी रमेश भटेरे को ही मौका दिया था और यहां पर 2013 में लगभग 31,000 से भी ज्यादा वोटो से हिना कांवरे ने जीत हासिल की थी. और इस तरह से पिछले दो चुनाव से लगातार 2013 और 2018 में कांग्रेस यहां से बाजी मार रही है.
हालांकि साल 2008 और 2003 के चुनाव में दो बार से बीजेपी ही जीत हासिल करने में कामयाब हुई थी, लेकिन उसके पहले साल 1998 में कांग्रेस ने इस विधानसभा सीट से जीत हासिल की थी. गौरतलब है की लांजी विधानसभा सीट भारतीय जनता पार्टी के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. इस बार सब की नजर इस सीट पर भी है, कि क्या इस बार भारतीय जनता पार्टी लांजी विधानसभा सीट पर कमबैक कर पायेगी या फिर कांग्रेस की हिना कांवरे हैट्रिक लगा जाएंगी.