बालाघाट। बालाघाट जिला पंचायत चुनाव में (Jila Panchayat Result) कांग्रेस को पूर्ण बहुमत प्राप्त हुआ है. बालाघाट के जिला पंचायत में कुल 27 सदस्य हैं. इसमें 14 सदस्य कांग्रेस, 6 सदस्य भाजपा, 6 सदस्य निर्दलीय 1 सदस्य गोंगपा का शामिल है. आंकडों से स्पष्ट है कि, कांग्रेस ने जिला पंचायत में अध्यक्ष पद पर अपना कब्जा जमा लिया है. यहां जिलाध्यक्ष पद अनारक्षित है. कांग्रेस से 14 सदस्य पहली बार जीत कर आए हैं. कांग्रेस में जिलाध्यक्ष पद के लिए कई दावेदार सामने आ रहे हैं.
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मजबूत दावेदारी: जिला पंचायत सदस्य के निर्वाचन को लेकर जो परिणाम सामने आए हैं उससे अब जिला पंचायत में अध्यक्ष पद संभालने को लेकर होड़ मच गई है. हालांकि अभी पार्टी द्वारा अधिकृत घोषणा होना बाकी है. इसमें मध्यप्रदेश असंगठित कांग्रेस मजदूर संघ के प्रदेश अध्यक्ष आशुतोष बिसेन की माता केशर बिसेन लगातार तीसरी बार जिला पंचायत में जीत कर आईं हैं. इनके पास 15 साल का अनुभव है. ऐसे में अध्यक्ष पद पर सबसे मजबूत दावेदारी उनकी ही मानी जा रही है.
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जिलाध्यक्ष के पद की दौड़ में शामिल: दो बार विधायक रहे अशोक सरसवार के पुत्र सम्राट सरसवार भी दावेदारी पेश कर रहे हैं. इन्होंने पहली बार राजनीति में पैर रखा और जिला पंचायत के सदस्य पद में जीत मिली. पहली बार जीतने के बाद अब जिलाध्यक्ष के पद की दौड़ में हैं. इसके अलावा 5 बार विधायक रहे थानसिंह बिसेन के पोते लोहमर्ष बिसेन ने भी जिला पंचायत सदस्य सीट पर काबिज होकर अध्यक्ष पद पर अपनी दावेदारी ठोक दी है.
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आदिवासी समुदाय की कोशिश जारी: अध्यक्ष पद पर दावेदारी को लेकर सर्व आदिवासी संगठन सामने आ गया हैं. इसके पदाधिकारी भुवनसिंह कोर्राम, द्रोपकिशोर मेरावी ने जिला पंचायत के निर्वाचित कुछ सदस्यों की मौजूदगी में पत्रकार वार्ता कर नया दावा कर दिया है. इन पदाधिकारियों ने बताया कि निर्दलीय, भाजपा व कांग्रेस से जो जिला पंचायत सदस्य निर्वाचित हुए हैं. उसमें 8 सदस्य आदिवासी समाज से हैं. इसमें कई ऐसे सदस्य हैं जिनकी कांग्रेस या भाजपा में सदस्यता तक नहीं है. इन पदाधिकारियों ने कहा कि आदिवासी समुदाय से 8 जिला पंचायत सदस्य चुने गए हैं, इसलिए अध्यक्ष पद पर इनकी भी दावेदारी बनती है.
भाजपा की तरफ झुकाव: दरअसल, जिले में पंवार समाज का बोलबाला है. राजनीति में भी इनका पूर्ण हस्तक्षेप है. भाजपा के नेता एवं विधायक गौरीशंकर बिसेन के कारण यह समाज बड़ी संख्या में भाजपा से जुड़ा है. ऐसी परिस्थितियों में अगर कांग्रेस केशर बिसेन या लोहमर्ष बिसेन को जिला अध्यक्ष बनाती हैं तो निश्चित ही पंवार समाज का ज्यादा झुकाव कांग्रेस की तरफ होगा. इससे कांग्रेस को आगामी 2023 के विधानसभा एवं 2024 के लोकसभा चुनाव में इसका लाभ मिलेगा.
फैसले का इंतजार: 10 साल के बाद पुन: बालाघाट जिला पंचायत में कांग्रेस को एकतरफा बहुमत मिला है. कांग्रेस के पास अभी 6 सदस्य है और 7 अन्य सदस्य का समर्थन लेकर अगर वह अपना जनपद अध्यक्ष बनाने का प्रयास करती है तब भी उसे एक सदस्य की कमी आएगी ऐसी परिस्थितियों में भाजपा कांग्रेस खेमे में सेंध लगाने से पीछे नहीं रहेगी. बहरहाल आने वाले कुछ दिनों में स्थिति साफ हो जाएगी कि, कांग्रेस हाईकमान जिला पंचायत अध्यक्ष के रूप में किस पक्ष को प्राथमिकता देता है.