बालाघाट। आयुष मंत्री रामकिशोर कांवरे ने बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आयुष विभाग के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की है. इस दौरान उन्होंने अधिकारियों को निर्देश जारी करते हुए कहा कि हर जिले में औषधीय पौधरोपण कर हर्बल गार्डन विकसित किया जाएं. उन्होंने कहा कि वे स्वयं किसानों को फलदार पौधों की तरह औषधीय पौधे लगाने के लिये भी प्रोत्साहित करेंगे. मंत्रालय में आयुष सचिव सह आयुक्त एमके अग्रवाल और सभी जिले और संभाग से आयुष अधिकारी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये जुड़े थे. गौरतलब है कि आयुष मंत्री रामकिशोर कांवरे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के कोरोना पॉजिटिव होने के बाद से होम क्वारेंटाइन हैं.
राज्यमंत्री कांवरे ने कहा कि चिन्हित 362 हेल्थ एण्ड वेलनेस सेन्टर्स को व्यवस्थित एवं आदर्श बनाया जाए. प्रदेश में अगले पांच साल में 850 सेंटर को चरणबद्ध तरीके से तैयार किया जाना है. इसके लिये ग्राम पंचायतों की सहभागिता सुनिश्चित करते हुए भवन की मरम्मत आदि के कार्य करवाए जाएंगे. उन्होंने बताया कि योग प्रशिक्षक की व्यवस्था मानदेय के आधार पर की जायेगी.
कांवरे ने निर्देश दिए कि नवीन आयुष ग्राम समय-सीमा में प्रारंभ किये जाएं. स्थापित आयुष ग्राम में कोई भी कोविड पेसेंट नहीं निकलने पर टीम को बधाई दी. साथ ही उन्होंने कहा कि अच्छे काम करने वालों को सम्मानित किया जायेगा और लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी. 45 चिन्हित आयुष ग्राम में नोडल अधिकारी और आयुष अधिकारी विजिट करें और संभागीय-जिला अधिकारी अपने निर्देशन में काम करवाएं. कॉलेजों में नर्सरी विकसित की जाए, जिससे औषधीय पौधे मिल सकें.
आरोग्य कसायम काढ़ा कोविड केयर सेन्टर के माध्यम से मरीजों को उपलब्ध कराया जाए. अभी तक 10 हजार से अधिक मरीजों को लाभांवित किया गया है. जिस पर भारत सरकार ने सराहना भी की है. काढ़े की कमी पर जिला कार्यालय अपनी मांग संभागीय अधिकारी के माध्यम से मुख्यालय भेज सकते हैं.
राज्यमंत्री कांवरे ने आयुष मंत्रालय के आयुष संजीवनी एप में फीडबेक दर्ज करने के निर्देश दिए. उन्होंने सभी संभागीय अधिकारियों को जिले का दौरा करने, नाइट हॉल्ट करने और मॉनीटरिंग करने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने बताया कि जल्द ही मेप-आईटी द्वारा एप विकसित किया जा रहा है जिसमें विभिन्न तरह की जानकारी का उन तक सीधे फीडबैक के रूप में मिल सकेगी.
कांवरे ने कहा कि सभी 1700 से अधिक ओपीडी का संचालन शुरू किया जाए. ओपीडी के माध्यम से दवा और त्रिकटु चूर्ण उपलब्ध कराया जाए और ओपीडी में किस प्रकार की बीमारी के मरीज, पुरूष, महिला, बच्चे आदि आ रहे हैं, उस हिसाब से विशेषज्ञ उपलब्ध करवाये जाएं.