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खुद वेंटिलेटर पर ये अस्पताल, डॉक्टर नहीं मिलने पर घर लौटने को मजबूर मरीज

परसवाड़ा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टरों की कमी के चलते मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है. क्षेत्रीय विधायक रामकिशोर कावरे ने चेतावनी दी है कि जल्द ही अगर यहां स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर नहीं की गईं, तो वे आंदोलन करेंगे.

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Published : Jul 19, 2019, 10:50 AM IST

Updated : Jul 19, 2019, 2:32 PM IST

बालाघाट। परसवाड़ा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खुद वेंटिलेटर पर है. यहां स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है. 30 बिस्तरों वाला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सुविधाओं और डॉक्टरों की कमी के चलते अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है. इलाज के नाम पर यहां सिर्फ मरहम-पट्टी कर मरीज को जिला अस्पताल रेफर कर दिया जाता है.

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टरों की कमी

महिला डॉक्टर की पदस्थापना नहीं होने से महिला मरीज यहां इलाज करवाने से कतराती हैं. स्टाफ की कमी के चलते दूरदराज से आने वाले मरीजों को इलाज के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है. जब डॉक्टर नहीं मिलते, तो बिना इलाज कराए ही उन्हें वापस घर लौटना पड़ता है. हालत ये है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक भी स्थायी डॉक्टर नहीं है.

मरीजों का आरोप है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचने पर उन्हें इलाज के नाम पर सिर्फ पर्ची थमा दी जाती है. सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र की समस्याओं को लेकर स्टाफ ने कई बार आला अधिकारियों को रू-ब-रू कराया. इसके बावजूद हालात नहीं बदले. नर्स पार्वती राठौर के मुताबिक यहां डॉक्टरों की कमी है, कोई स्थायी डॉक्टर नहीं है. डॉक्टर समय पर भी नहीं आते, इसलिए नर्स ही सभी तरह के मरीजों का काम करती हैं.

इस मामले में क्षेत्रीय विधायक रामकिशोर कावरे का कहना है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की हालत बेहद खराब है. उन्होंने कहा कि वे इस संबंध में कलेक्टर से बात करेंगे और इसके बाद भी हालात नहीं सुधरे, तो आने वाले समय में आंदोलन किया जाएगा.

बालाघाट। परसवाड़ा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खुद वेंटिलेटर पर है. यहां स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है. 30 बिस्तरों वाला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सुविधाओं और डॉक्टरों की कमी के चलते अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है. इलाज के नाम पर यहां सिर्फ मरहम-पट्टी कर मरीज को जिला अस्पताल रेफर कर दिया जाता है.

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टरों की कमी

महिला डॉक्टर की पदस्थापना नहीं होने से महिला मरीज यहां इलाज करवाने से कतराती हैं. स्टाफ की कमी के चलते दूरदराज से आने वाले मरीजों को इलाज के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है. जब डॉक्टर नहीं मिलते, तो बिना इलाज कराए ही उन्हें वापस घर लौटना पड़ता है. हालत ये है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक भी स्थायी डॉक्टर नहीं है.

मरीजों का आरोप है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचने पर उन्हें इलाज के नाम पर सिर्फ पर्ची थमा दी जाती है. सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र की समस्याओं को लेकर स्टाफ ने कई बार आला अधिकारियों को रू-ब-रू कराया. इसके बावजूद हालात नहीं बदले. नर्स पार्वती राठौर के मुताबिक यहां डॉक्टरों की कमी है, कोई स्थायी डॉक्टर नहीं है. डॉक्टर समय पर भी नहीं आते, इसलिए नर्स ही सभी तरह के मरीजों का काम करती हैं.

इस मामले में क्षेत्रीय विधायक रामकिशोर कावरे का कहना है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की हालत बेहद खराब है. उन्होंने कहा कि वे इस संबंध में कलेक्टर से बात करेंगे और इसके बाद भी हालात नहीं सुधरे, तो आने वाले समय में आंदोलन किया जाएगा.

Intro:शासन प्रशासन की उदासीनता से स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल, वेंटिलेटर पर नजर आ रहा खुद अस्पताल, इलाज के नाम पर जहाँ महज मरहम पट्टी से ही संतुष्ट होने को मजबूर हैं मरीज, समस्याओं से जिम्मेदारों को नही सरोकार,,Body:परसवाड़ा :- शासन प्रशासन की उदासीनता के चलते आदिवासी बाहुल्य परसवाड़ा क्षेत्र के 30 बिस्तरों वाले अस्पताल मे स्वास्थ्य सेवाएं लचर हो चुकी है, यहां पर खुद अस्पताल वेंटीलेटर पर नजर आ रहा है, विगत एक दशक से लगातार स्टाफ की कमी के कारण यह अस्पताल अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है, कई वर्षों से महिला डाक्टर की भी पदस्थापना नही की गई है, जिसके कारण अक्सर महिलाएं यहां पर अपना ईलाज करवाने से कतराती हैं।
स्टाफ की कमी के चलते अस्पताल में दूर दराज से आने वाले मरीजों को इलाज के अभाव में भटकना पड़ता है, और आखिरकार मायूस होकर वापस अपने गांवों में ही छोलाछाप डाक्टरों से ईलाज करवाने को मजबूर हैं क्षेत्र के मरीज । जबकि सरकार द्वारा मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने को लेकर करोड़ों खर्च किए जाने का दावा किया जाता है, लेकिन यहां की बदहाल स्वास्थ्य सेवाएँ चीख चीख कर शासन प्रशासन के दावों की पोल खोल रही है, यहाँ की जमीनी हकीकत किसी से छुपी नही है, ऐसे में मरीजों के लिए बेहतर स्वास्थ्य की कामना करने वाले अस्पताल में बिमारी से निजात की बात करना बेईमानी ही होगी।
         देखा गया है कि यहां पर डाक्टर की गैरमौजूदगी में नर्सों के द्वारा प्राथमिक उपचार कर किसी तरह दूर दराज से आने वाले मरीजों का ईलाज के नाम पर मरहम पट्टी का काम किया जाता है, स्टाफ की कमी के चलते कुछ कर्मचारियों के द्वारा किसी तरह स्वास्थ्य सेवाओं को प्रदान करने का कार्य किया जा रहा है।
         

बाईट :- 01 राजू तिल्लासी, मरीज के परिजन
02 . ललित मरकाम, वार्डब्वाय
03. पार्वती राठौर, स्टाफ नर्स
04 . रामकिशोर कावरे, विधायक, परसवाड़ा


अशोक गिरी गोस्वामी
Etv भारत ,परसवाड़ा (बालाघाट)।
Conclusion:          सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र की समस्याओं को लेकर उच्चाधिकारीयों का समय समय पर ध्यानाकर्षण कराया जाता रहा है, किन्तु शासन प्रशासन द्वारा अस्पताल प्रबंधन की उचित व्यवस्था को लेकर कोई कारगर कदम नही उठाए गए है। ऐसे मे देखना यह है कि आखिरकार कब तलक यहां की लचर स्वास्थ्य सेवाओं को दुरूस्त करने का काम किया जाता है और आदिवासी बाहुल्य इस परसवाड़ा क्षेत्र को बेहतर सुविधाएं प्रदान की जाती है।
Last Updated : Jul 19, 2019, 2:32 PM IST
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