बालाघाट। जिले में बावनथड़ी नदी पर रेत माफियाओं द्वारा जेसीबी और पोकलेन मशीन से लगातार रेत का उत्खनन धड़ल्ले से किया जा रहा है. जिसमें कोड़बी, बोनकट्टा, चंद्रकुआ, टुईयापार रेतघाट प्रशासन द्वारा स्वीकृत किए गए हैं, जिसमें प्रतिदिन सैकड़ों ओवरलोड डंपर से बावनथड़ी नदी में मशीन डालकर उत्खनन कर परिवहन किया जा रहा है, नदी में स्वीकृत क्षेत्र के बाहर जाकर भी बड़े पैमाने पर अवैध उत्खनन हो रहा है, जो नियम के विरुद्ध हैं, जिससें बावनथड़ी का अस्तित्व खोता हुआ दिखाई दे रहा है. जिसके विरोध में पठार संघर्ष समिति के द्वारा जिला प्रशासन से शिकायत की गई है.
बालाघाट वैनगंगा नदी, बावनथड़ी नदी और अन्य सहायक नदी नाले से आए दिन अवैध जेसीबी मशीन और पोकलेन मशीनों से रेत उत्खनन की शिकायतें लगातार ग्रामीणों के द्वारा की जा रही है, लेकिन किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं होने से माफियाओं के हौसले इस कदर बुलंद हैं कि अब लोगों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है और तनाव की स्थिति भी निर्मित हो रही है.
रेत उत्खनन के कारण पुल-पुलिया धराशायी हो गए, सैकड़ों किसान भाइयों की निजी स्वामी की भूमि में कटाव होने से उनकी भूमि गायब हो गई है. किसान भूमिहीन हो रहे हैं, नदी किनारों पर स्थित सैकड़ों साल पुराने पेड़ धराशायी हो गए. रेत उत्खनन के कारण नदी का जलस्तर काफी निचले स्तर पर चला गया है, ओवरलोड डंपरों से सड़कों की भारी दुर्दशा हो रही है. वर्तमान में जिस हिसाब से उत्खनन हो रहा है, उससे कुछ सालों के भीतर ही नदी की रेत समाप्त हो जाएगी. जिसमें चारों ओर से पर्यावरण को नुकसान हो रहा है.
जब इस मामले में बालाघाट कलेक्टर दीपक आर्य से बात की गई तो उनका कहना है कि जिले में 69 रेत खदान स्वीकृत हैं. जिसमें 22 खदानों से रेत का खनन किया जा रहा है. बाकी खदानों के लिए पर्यावरण विभाग की अनुमति मिलना बाकी है. यदि कहीं से रेत का अवैध खनन किया जा रहा है तो उनपर कार्रवाई की जाएगी.