बालाघाट। मंडला और बालाघाट में गरीबों को घटिया चावल बांटने के मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पूरे मामले की जांच ईओडब्ल्यू (EOW) से कराने के आदेश जारी किए थे. जिसके बाद प्रदीप कुमार जैन की अध्यक्षता में 4 से 5 सदस्यीय जांच टीम का गठन किया गया और आज टीम बालाघाट पहुंची. ईओडब्ल्यू की टीम ने मामले से संबंधित सभी दस्तावेजों को जब्त कर 18 राइस मिलों और 3 गोदामों को सील किया है.
ईओडब्ल्यू की टीम ने वारासिवनी तहसील कार्यालय पहुंचकर एसडीएम संदीप सिंह से इस पूरे मामले की जानकारी ली. जिसके बाद ग्राम नेवरगांव स्थित श्वेता वेयर हाउस पहुंचे, जहां रखे चावल के स्टॉक का टीम ने निरीक्षण किया और उससे संबंधित सभी दस्तावेजों को जब्त कर वेयर हाउस को सील कर दिया.
वहीं ग्राम गर्रा स्थित सीडब्ल्यूसी वेयर हाउस का भी टीम ने निरीक्षण किया. वहां पर रखे हुए चावल के स्टॉक फोटो खींचे और दस्तावेजों के फोटो खींचने के साथ ही गोदाम में रखे हुए चावल के कमरों को सील कर दिया. इसके साथ ही बैहर स्थित स्टेट वेयर हाउस को भी सील कर दिया गया है.
एसडीएम संदीप सिंह ने बताया कि वारासिवनी अनुविभाग में शासकीय चावल रखने के लिए शासन द्वारा 22 वेयर हाउस किराये पर लिए हैं. जिनमें शासन का चावल रखा गया हैं. वर्तमान में उन गोदामों का निरीक्षण ईओडब्ल्यू द्वारा किया जा रहा है, जिन गोदामों का सैंपल केंद्रीय टीम द्वारा लिया गया था. उन्होंने बताया कि केंद्रीय टीम ने जिसका सैंपल लेकर भेजा था. अभी वो चावल वितरित नहीं किया गया है. यह चावल गोदामों में ही रखा हुआ है, इसीलिए ईओडब्ल्यू की टीम ने इन गोदामों को सील किया है.
ईओडब्ल्यू जांच के बाद कराएगी FIR दर्ज
एसडीएम संदीप सिंह ने बताया कि शासन द्वारा इस चावल घोटाले की जांच ईओडब्ल्यू को सौंप दिए जाने की वजह से प्रशासन द्वारा राइस मिल संचालकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं करवाई गई हैं. अब इस पूरे मामले की जांच ईओडब्ल्यू के अधिकारी द्वारा की जा रही है. जो भी इस मामले में दोषी पाए जांएगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. बालाघाट जिले की 18 राइस मिलों और गोदामों को सील करने की कार्रवाई की गई है. इन 18 मिलों में करीब 13 राइस मिल वारासिवनी, लालबर्राव खैरलांजी की हैं.
पहले कलेक्टर ने दिए थे एफआईआर के आदेश
इस मामले में जिला कलेक्टर दीपक आर्य द्वारा तहसीलदारों को राइस मिलर्स संचालकों के खिलाफ पुलिस थाने में एफआईआर करने के निर्देश दिए गए थे. लेकिन ईओडब्ल्यू के हाथ में जांच जाने के कारण अब ईओडब्ल्यू ही एफआईआर दर्ज करेगी.