ETV Bharat / state

चीनी राखी को टक्कर दे रही गाय के गोबर से बनी राखी, इस नवाचार पर कलेक्टर ने जताई खुशी

चीनी सामानों के बहिष्कार की कड़ी में ही आगामी त्योहार रक्षाबंधन पर स्वदेशी राखियां बनाई जा रही हैं. एक युवक गाय के गोबर से रंगबिरंगी पंचगव्य राखियां तैयार कर रहा है.

Colorful rakhi
रंगबिरंगी राखियां
author img

By

Published : Jul 30, 2020, 12:14 PM IST

बालाघाट। भारत-चीन के बीच गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद भारत में कई चीनी एप को बैन कर दिया गया है. जिसके बाद चीनी उत्पादों का भी लोग अपने-अपने तरीके से बहिष्कार कर रहे हैं. बालाघाट में भी कोरोना संकट के बीच चीनी राखियों का बहिष्कार किया जा रहा है. इसके लिए अच्छे विकल्प भी तलाशे जा रहे हैं. ऐसे ही विकल्प की बानगी है गोबर से बनी राखियां. ये न केवल चीनी राखियों का विकल्प बनकर सामने आई है, बल्कि रोजगार के अवसर भी पैदा कर रही है. इतना ही नहीं गोबर से बनने वाली राखियों में मिलाई जाने वाली अन्य सामग्री भी जड़ी-बूटी युक्त संक्रमणनाशी है. जो कोरोना के संक्रमण से सुरक्षा का काम करेगी.

गोबर से तैयार की जा रही राखियां

चीनी राखियों के बहिष्कार का अनोखा तरीका

इस साल रक्षाबंधन के त्योहार में राखियों से स्वदेशी की महक बढ़ेगी और कोरोना संक्रमण से सुरक्षा का संदेश भी देगी. वारासिवनी के दीनी गांव में गोबर से राखी बनाने का नवाचार एक युवक ने किया है. जिसके बाद गोबर के कंडे से राखियां तैयार की जा रही हैं. अब तक वह करीब 5 हजार राखियां बना चुका है. दीनी निवासी भुवनानंद उपवंशी ने गोबर से रंगबिरंगी पंचगव्य राखियां तैयार की है, जो इस बार राखी के बाजारों में नजर आएगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वदेशी और आत्मनिर्भरता के संदेश से प्रेरित युवक ने चीनी राखियों का विकल्प तलाशा है. वहीं उसने आत्मनिर्भर बनने की राह भी चुनी है. गोबर से राखियां बनाकर वह करीब 12 से अधिक लोगों को रोजगार भी दे रहा है.

People got employment
लोगों को मिला रोजगार

रंगबिरंगी पंचगव्य राखियां

वारासिवनी तहसील के दीनी गांव में ये पहला प्रयोग शुरू हुआ है. 5 क्विंटल गोबर को सुखाकर 52 प्रकार की राखियां तैयार करवाई जा रही है. अभी तक 5 हजार से अधिक राखियां बन चुकी है और एक लाख राखी बनाने का लक्ष्य है. एक रंगबिरंगी राखी बनाने में ढाई रुपए खर्च आ रहा है. जिससे बहनें अपने भाइयों को देसी राखियां बांधकर रक्षाबंधन त्योहार मनाएंगी. रोजगार सहायक भुवनानंद ने बताया कि कोरोना संकट काल में सरकार ने चीन के बहुत सारे एप को बैन कर दिया. अब रक्षाबंधन त्योहार पास आने से दुकानदारों ने चाइनीज राखियों का भी बहिष्कार किया है. इसीलिए उसने गोबर को सुखाकर पाउडर बनाया. उसमें पांच तत्व जड़ी-बूटी मिलाकर पंचगव्य राखी तैयार करवा रहा है. गोबर के पाउडर से बनी राखियों की महाराष्ट्र, छत्तीसगढ के कई जिलों सहित मध्यप्रदेश के 24 जिलों में सप्लाई कर रहे है.

People making rakhi
राखी बनाते लोग

गोबर से राखी बनाने की विधि

सबसे पहले गोबर को सुखाया जाता है, उसके बाद लोहे के खलबट्टे में गोबर को पीस कर अलग-अलग तरह की जड़ी बूटियों को मिलाया जाता है. जिसमें एक किलो पाउडर में दो एमएल सेट्रोनिल ऑयल, 10 ग्राम नीम, 10 ग्राम मदार यानी रूही, 10 ग्राम तुलसी, 10 ग्राम गवारगम के बीज का मिश्रण एक सप्ताह से तैयार की जा रही है. जिसके बाद एक किलो गोबर के पाउटर से 200 राखियां बनती हैं.

Cow dung being dried
गोबर को सुखाया जा रहा

गोबर से बनी राखियां मच्छरों से करेंगी बचाव

कलाई में गोबर से बनी राखी बंधी होने से मच्छर आसपास नहीं भटकेंगे. जिससे संक्रमण से भी बचाव होगा. ये राखियां बाजार में 5 से 15 रुपए तक बिकेंगी. भुवनानंद उपवंशी ने बताया कि उन्होंने नागपुर से डिजाइनदार राखी बनाने का तरीका सीखा है. राखियों का प्रयोग करने के बाद वह खराब नहीं होगी, इसे गमले या घर के बाहर डालने से उसमें तुलसी का पौधा बन जाएगा क्योंकि उसमें तुलसी का बीज भी मिलाया गया है.

Colorful rakhi prepared from cow dung
गोबर से बनाई जा रही राखियां

लोगों को मिल रहा रोजगार

कोरोना काल के चलते लोग अपना काम धंधा छोड़कर घर वापस पहुंच रहे हैं, जहां लोगों को बेरोजगारी का दंश झेलना पड़ रहा है. वहीं घर परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है. ऐसे में गोबर से बनी राखी का उद्योग उनके लिए मददगार साबित हो रहा है. जिससे उनको परिवार चलाने में कोई परेशानी नहीं हो रही है.

कलेक्टर ने की सराहना

कलेक्टर ने कहा कि युवक ने बहुत अच्छी पहल की है. प्रधानमंत्री के संदेश से लोगों को रोजगार देकर आत्मनिर्भर बनाने के संदेश को चरितार्थ किया है. इससे और लोगों को भी सीख लेनी चाहिए. लोग चीनी सामान का कम से कम उपयोग कर स्वदेशी सामान का उपयोग करने के पक्षधर होंगे. प्रशासन की ओर से जो भी सहायता युवक को चाहिए वो दिया जाएगा. साथ ही युवक को मिलने के लिए कलेक्टर ने निमंत्रण भी दिया है.

बालाघाट। भारत-चीन के बीच गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद भारत में कई चीनी एप को बैन कर दिया गया है. जिसके बाद चीनी उत्पादों का भी लोग अपने-अपने तरीके से बहिष्कार कर रहे हैं. बालाघाट में भी कोरोना संकट के बीच चीनी राखियों का बहिष्कार किया जा रहा है. इसके लिए अच्छे विकल्प भी तलाशे जा रहे हैं. ऐसे ही विकल्प की बानगी है गोबर से बनी राखियां. ये न केवल चीनी राखियों का विकल्प बनकर सामने आई है, बल्कि रोजगार के अवसर भी पैदा कर रही है. इतना ही नहीं गोबर से बनने वाली राखियों में मिलाई जाने वाली अन्य सामग्री भी जड़ी-बूटी युक्त संक्रमणनाशी है. जो कोरोना के संक्रमण से सुरक्षा का काम करेगी.

गोबर से तैयार की जा रही राखियां

चीनी राखियों के बहिष्कार का अनोखा तरीका

इस साल रक्षाबंधन के त्योहार में राखियों से स्वदेशी की महक बढ़ेगी और कोरोना संक्रमण से सुरक्षा का संदेश भी देगी. वारासिवनी के दीनी गांव में गोबर से राखी बनाने का नवाचार एक युवक ने किया है. जिसके बाद गोबर के कंडे से राखियां तैयार की जा रही हैं. अब तक वह करीब 5 हजार राखियां बना चुका है. दीनी निवासी भुवनानंद उपवंशी ने गोबर से रंगबिरंगी पंचगव्य राखियां तैयार की है, जो इस बार राखी के बाजारों में नजर आएगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वदेशी और आत्मनिर्भरता के संदेश से प्रेरित युवक ने चीनी राखियों का विकल्प तलाशा है. वहीं उसने आत्मनिर्भर बनने की राह भी चुनी है. गोबर से राखियां बनाकर वह करीब 12 से अधिक लोगों को रोजगार भी दे रहा है.

People got employment
लोगों को मिला रोजगार

रंगबिरंगी पंचगव्य राखियां

वारासिवनी तहसील के दीनी गांव में ये पहला प्रयोग शुरू हुआ है. 5 क्विंटल गोबर को सुखाकर 52 प्रकार की राखियां तैयार करवाई जा रही है. अभी तक 5 हजार से अधिक राखियां बन चुकी है और एक लाख राखी बनाने का लक्ष्य है. एक रंगबिरंगी राखी बनाने में ढाई रुपए खर्च आ रहा है. जिससे बहनें अपने भाइयों को देसी राखियां बांधकर रक्षाबंधन त्योहार मनाएंगी. रोजगार सहायक भुवनानंद ने बताया कि कोरोना संकट काल में सरकार ने चीन के बहुत सारे एप को बैन कर दिया. अब रक्षाबंधन त्योहार पास आने से दुकानदारों ने चाइनीज राखियों का भी बहिष्कार किया है. इसीलिए उसने गोबर को सुखाकर पाउडर बनाया. उसमें पांच तत्व जड़ी-बूटी मिलाकर पंचगव्य राखी तैयार करवा रहा है. गोबर के पाउडर से बनी राखियों की महाराष्ट्र, छत्तीसगढ के कई जिलों सहित मध्यप्रदेश के 24 जिलों में सप्लाई कर रहे है.

People making rakhi
राखी बनाते लोग

गोबर से राखी बनाने की विधि

सबसे पहले गोबर को सुखाया जाता है, उसके बाद लोहे के खलबट्टे में गोबर को पीस कर अलग-अलग तरह की जड़ी बूटियों को मिलाया जाता है. जिसमें एक किलो पाउडर में दो एमएल सेट्रोनिल ऑयल, 10 ग्राम नीम, 10 ग्राम मदार यानी रूही, 10 ग्राम तुलसी, 10 ग्राम गवारगम के बीज का मिश्रण एक सप्ताह से तैयार की जा रही है. जिसके बाद एक किलो गोबर के पाउटर से 200 राखियां बनती हैं.

Cow dung being dried
गोबर को सुखाया जा रहा

गोबर से बनी राखियां मच्छरों से करेंगी बचाव

कलाई में गोबर से बनी राखी बंधी होने से मच्छर आसपास नहीं भटकेंगे. जिससे संक्रमण से भी बचाव होगा. ये राखियां बाजार में 5 से 15 रुपए तक बिकेंगी. भुवनानंद उपवंशी ने बताया कि उन्होंने नागपुर से डिजाइनदार राखी बनाने का तरीका सीखा है. राखियों का प्रयोग करने के बाद वह खराब नहीं होगी, इसे गमले या घर के बाहर डालने से उसमें तुलसी का पौधा बन जाएगा क्योंकि उसमें तुलसी का बीज भी मिलाया गया है.

Colorful rakhi prepared from cow dung
गोबर से बनाई जा रही राखियां

लोगों को मिल रहा रोजगार

कोरोना काल के चलते लोग अपना काम धंधा छोड़कर घर वापस पहुंच रहे हैं, जहां लोगों को बेरोजगारी का दंश झेलना पड़ रहा है. वहीं घर परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है. ऐसे में गोबर से बनी राखी का उद्योग उनके लिए मददगार साबित हो रहा है. जिससे उनको परिवार चलाने में कोई परेशानी नहीं हो रही है.

कलेक्टर ने की सराहना

कलेक्टर ने कहा कि युवक ने बहुत अच्छी पहल की है. प्रधानमंत्री के संदेश से लोगों को रोजगार देकर आत्मनिर्भर बनाने के संदेश को चरितार्थ किया है. इससे और लोगों को भी सीख लेनी चाहिए. लोग चीनी सामान का कम से कम उपयोग कर स्वदेशी सामान का उपयोग करने के पक्षधर होंगे. प्रशासन की ओर से जो भी सहायता युवक को चाहिए वो दिया जाएगा. साथ ही युवक को मिलने के लिए कलेक्टर ने निमंत्रण भी दिया है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.