ETV Bharat / state

इस बेटी के जज्बे को सलाम,ऑटो चलाकर परिवार की मदद करती है पूनम - बालाघाट की पहली महिला ऑटो चालक

बालाघाट मुख्यालय से लगभग 15 किमी दूर ग्राम लिंगा की रहने वाली 20 वर्षीय पूनम मेश्राम घर की माली हालत ठीक नहीं होने के चलते पिछले ढाई साल से ऑटो चलाकर पिता का हाथ बंटा रही हैं. इसके साथ ही वह कॉलेज की पढ़ाई भी कर रही हैं. बेटी के इस जज्बे को देख लोग उनके जज्बे को सलाम कर रहे हैं.

balaghat girl drives auto
बालाघाट की पहली महिला ऑटो चालक
author img

By

Published : Dec 27, 2022, 3:33 PM IST

बालाघाट की पहली महिला ऑटो ड्राइवर

बालाघाट। कहते हैं न कि बेटियां भी बेटों से कम नहीं होतीं.. इसी बात को सच साबित कर रही है बालाघाट जिले के एक छोटे से गांव लिंगा की रहने वाली पूनम मेश्राम. पूनम पिछले ढाई साल से ऑटो चलाकर अपने पिता और परिवार की मदद कर रही हैं. पूनम के पिता के पास निजी ऑटो है, जिसे चलाकर वे अपने परिवार को पाल रही हैं, लेकिन ऑटो से उनकी इतनी कमाई नहीं हो पाती, जिससे परिवार की माली हालत में सुधार आ सके. लेकिन परिवार चलाने के लिए पिता को लगन से काम करते देख अब पूनम भी उनका हाथ बंटाने लगी हैं.

इसलिए शुरू किया काम: अक्सर कहा जाता है बेटियां, बेटों से ज्यादा अपने पिता का दर्द ज्यादा महसूस करती हैं.. बस कुछ ऐसे ही पूनम ने अपने पिता के इस दर्द को महसूस किया और पढ़ाई के साथ पार्ट टाइम ऑटो चलाना भी शुरू कर दिया, जिससे उनकी पढ़ाई भी हो सके और दो पैसे भी मिल जाएं. पूनम कहतीं हैं कि, "मैं काम इसलिए करतीं हूं कि परिवार की आर्थिक स्थिति सुधर सकें और मैं अपनी पढ़ाई भी पूरी कर सकूं." पूनम कक्षा 12 वी पास कर चुकी हैं, साथ ही कंप्यूटर और टेली का भी कोर्स उन्होंने किया है, अब वे आगे कॉलेज की पढ़ाई कर रहीं हैं.

सभी करते हैं सराहना: पूनम ने बताया कि लॉकडाउन होने के कारण घर की माली हालत काफी खराब हो गई थी और कमाने वाले सिर्फ पिता ही थे. इसी के चलते उन्होंने अपने पिता का हाथ बंटाया और पिता का बोझ कम करने की सोची. अब पूनम रोज सुबह ऑटो में सवारी लेकर लिंगा से बालाघाट और हट्टा जाती हैं और शाम को घर आकर काम करने के साथ ही पढ़ाई भी करतीं हैं. पूनम ने बताया कि, "मेरे ऑटो में केवल महिलाएं ही नहीं, बल्कि लड़के एवं पुरूष भी सफर तय करते है. लेकिन अब तक उनके साथ किसी ने भी गलत व्यवहार नहीं किया है, बल्कि सभी ने उनके काम की सराहना की है."

आत्मनिर्भरता की मिसाल बालाघाट की बेटी,ऑटो चलाकर कर रही आर्थिक मदद

पूनम ने सुधारी घर की आर्थिक हालत: पूनम के पिता सतीश मेश्राम ने बताया कि, "मेरी 05 बेटियां हैं. कोरोना के चलते लॉकडाउन लग गया था, जिसके चलते ऑटो बंद हो गई थी और घर की माली हालत खराब होने लगी थी. ऐसे में जब लॉकडाउन खुला और मैने फिर से ऑटो चलाना शुरू किया, लेकिन घर की स्थिति ठीक नहीं हो पा रही थी, फिर मेरी बेटी पूनम ने मेरे साथ में ऑटो चलाना शुरू किया और अपनी पढ़ाई भी जारी रखी, जिससे आमदनी थोड़ी ज्यादा होने लगी और परिवार की स्थिति भी सुधरने लगी." पिता भी भरे मन से अपनी बेटी की तारीफ करते नहीं रुकते.

बालाघाट की पहली महिला ऑटो ड्राइवर

बालाघाट। कहते हैं न कि बेटियां भी बेटों से कम नहीं होतीं.. इसी बात को सच साबित कर रही है बालाघाट जिले के एक छोटे से गांव लिंगा की रहने वाली पूनम मेश्राम. पूनम पिछले ढाई साल से ऑटो चलाकर अपने पिता और परिवार की मदद कर रही हैं. पूनम के पिता के पास निजी ऑटो है, जिसे चलाकर वे अपने परिवार को पाल रही हैं, लेकिन ऑटो से उनकी इतनी कमाई नहीं हो पाती, जिससे परिवार की माली हालत में सुधार आ सके. लेकिन परिवार चलाने के लिए पिता को लगन से काम करते देख अब पूनम भी उनका हाथ बंटाने लगी हैं.

इसलिए शुरू किया काम: अक्सर कहा जाता है बेटियां, बेटों से ज्यादा अपने पिता का दर्द ज्यादा महसूस करती हैं.. बस कुछ ऐसे ही पूनम ने अपने पिता के इस दर्द को महसूस किया और पढ़ाई के साथ पार्ट टाइम ऑटो चलाना भी शुरू कर दिया, जिससे उनकी पढ़ाई भी हो सके और दो पैसे भी मिल जाएं. पूनम कहतीं हैं कि, "मैं काम इसलिए करतीं हूं कि परिवार की आर्थिक स्थिति सुधर सकें और मैं अपनी पढ़ाई भी पूरी कर सकूं." पूनम कक्षा 12 वी पास कर चुकी हैं, साथ ही कंप्यूटर और टेली का भी कोर्स उन्होंने किया है, अब वे आगे कॉलेज की पढ़ाई कर रहीं हैं.

सभी करते हैं सराहना: पूनम ने बताया कि लॉकडाउन होने के कारण घर की माली हालत काफी खराब हो गई थी और कमाने वाले सिर्फ पिता ही थे. इसी के चलते उन्होंने अपने पिता का हाथ बंटाया और पिता का बोझ कम करने की सोची. अब पूनम रोज सुबह ऑटो में सवारी लेकर लिंगा से बालाघाट और हट्टा जाती हैं और शाम को घर आकर काम करने के साथ ही पढ़ाई भी करतीं हैं. पूनम ने बताया कि, "मेरे ऑटो में केवल महिलाएं ही नहीं, बल्कि लड़के एवं पुरूष भी सफर तय करते है. लेकिन अब तक उनके साथ किसी ने भी गलत व्यवहार नहीं किया है, बल्कि सभी ने उनके काम की सराहना की है."

आत्मनिर्भरता की मिसाल बालाघाट की बेटी,ऑटो चलाकर कर रही आर्थिक मदद

पूनम ने सुधारी घर की आर्थिक हालत: पूनम के पिता सतीश मेश्राम ने बताया कि, "मेरी 05 बेटियां हैं. कोरोना के चलते लॉकडाउन लग गया था, जिसके चलते ऑटो बंद हो गई थी और घर की माली हालत खराब होने लगी थी. ऐसे में जब लॉकडाउन खुला और मैने फिर से ऑटो चलाना शुरू किया, लेकिन घर की स्थिति ठीक नहीं हो पा रही थी, फिर मेरी बेटी पूनम ने मेरे साथ में ऑटो चलाना शुरू किया और अपनी पढ़ाई भी जारी रखी, जिससे आमदनी थोड़ी ज्यादा होने लगी और परिवार की स्थिति भी सुधरने लगी." पिता भी भरे मन से अपनी बेटी की तारीफ करते नहीं रुकते.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.