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बैगा महिलाएं बना रहीं ईको फ्रेंडली राखियां, भाइयों के हाथों में बंधेगी बांस से बनी राखी

वन विभाग के सहयोग से आदिवासी महिलाएं और पुरुष ईको फ्रेंडली राखी बना रहे हैं. इस राखी से पर्यावरण को भी नुकसान नहीं होगा, साथ ही आदिवासियों को उद्योग में फायदा भी मिल रहा है.

eco-friendly rakhiya
ईको फ्रेंडली राखियां
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Published : Aug 2, 2020, 10:43 PM IST

बालाघाट । जिले के आदिवासी बाहुल्य इलाका बैहर में वन विभाग की मदद से ईको फ्रेंडली राखी बनाई जा रही हैं. बांस हस्त शिल्प कला केंद्र में आदिवासी-बैगा महिलाओं का स्व सहायता समूह इन्हें अंतिम रूप देने जा रहा है. वन मंडल अंतर्गत सीएफसी बैहर जो कि मध्यप्रदेश बांस मिशन के तहत लघु उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए संचालित हैं.

वन मंडलाधिकारी

इस साल भाई-बहनों के प्यार को ईको फ्रेंडली राखियों से सजाने जा रहा है. बांस शिल्पियों से बनी राखियों में प्लास्टिक या अन्य ऐसी किसी चीज का उपयोग नहीं किया जा रहा है, जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचता हो. उत्तर वनमंडल बालाघाट के वन मंडलाधिकारी बृजेन्द्र श्रीवास्तव ने बताया कि इस केंद्र में बांस से फर्नीचर आदि वस्तुएं बनाई जाती हैं, जो सैलानियों के आकर्षण का केंद्र होती हैं.

eco-friendly rakhiya
ईको फ्रेंडली राखियां

शिल्पी निजी भूमि स्वामी या बांस डिपो से बांस खरीदते हैं. यहां बनने वाली कलाकृतियों की खरीद-बिक्री से वन विभाग को कोई आर्थिक फायदा नहीं होता. ये महज रोजगार मुहैया कराने का साधन है, जहां तक राखियों के मार्केटिंग की बात है तो इन्हें एडवांस में ऑर्डर मिल रहे हैं, जिससे काफी मुनाफा होने की आशंका है.

Bamboo stuff
बांस की चीजें

बालाघाट । जिले के आदिवासी बाहुल्य इलाका बैहर में वन विभाग की मदद से ईको फ्रेंडली राखी बनाई जा रही हैं. बांस हस्त शिल्प कला केंद्र में आदिवासी-बैगा महिलाओं का स्व सहायता समूह इन्हें अंतिम रूप देने जा रहा है. वन मंडल अंतर्गत सीएफसी बैहर जो कि मध्यप्रदेश बांस मिशन के तहत लघु उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए संचालित हैं.

वन मंडलाधिकारी

इस साल भाई-बहनों के प्यार को ईको फ्रेंडली राखियों से सजाने जा रहा है. बांस शिल्पियों से बनी राखियों में प्लास्टिक या अन्य ऐसी किसी चीज का उपयोग नहीं किया जा रहा है, जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचता हो. उत्तर वनमंडल बालाघाट के वन मंडलाधिकारी बृजेन्द्र श्रीवास्तव ने बताया कि इस केंद्र में बांस से फर्नीचर आदि वस्तुएं बनाई जाती हैं, जो सैलानियों के आकर्षण का केंद्र होती हैं.

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ईको फ्रेंडली राखियां

शिल्पी निजी भूमि स्वामी या बांस डिपो से बांस खरीदते हैं. यहां बनने वाली कलाकृतियों की खरीद-बिक्री से वन विभाग को कोई आर्थिक फायदा नहीं होता. ये महज रोजगार मुहैया कराने का साधन है, जहां तक राखियों के मार्केटिंग की बात है तो इन्हें एडवांस में ऑर्डर मिल रहे हैं, जिससे काफी मुनाफा होने की आशंका है.

Bamboo stuff
बांस की चीजें
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