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जिसके लिए पानी की तरह पैसा बहा रही सरकार, बूंद-बूंद पानी को वही है मोहताज - baiga tribe suffering

राष्ट्रीय मानव का हाल कितना बेहाल है, ये तो वहां पहुंचने के बाद ही पता चलता है, सरकारें कितने भी दावे क्यों न कर लें, पर इनका हकीकत से कोई वास्ता नहीं है और आज भी उन तक पहुंचने से पहले सरकारी योजनाएं रास्ते में ही दम तोड़ देती हैं.

बूंद-बूंद पानी को मोहताज राष्ट्रीय मानव
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Published : Jul 28, 2019, 3:48 PM IST

बालाघाट। मंगल पर तिरंगा फहराने के बाद चंद्रयान-2 जल्द ही चांद की सतह पर उतरने वाला है. भारत की इस तरक्की की दुनिया कायल है, लेकिन अंतरिक्ष में झंडा फहराकर भी हिंदुस्तान आवाम की प्यास बुझाने में नाकाम है, पानी की किलल्त से लोग बेहाल हैं, जबकि मानसून की दस्तक भी आवाम की प्यास बुझाने में नाकाम साबित हो रही है, आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में तो लोग आज भी झिरियों के सहारे अपनी प्यास बुझा रहे हैं. जो भारत की तरक्की को आईना दिखा रहा है.

बूंद-बूंद पानी को मोहताज राष्ट्रीय मानव

बालाघाट में कई जनजातियां निवास करती हैं, जबकि एमपी की मूल जनजाति बैगा को बचाने के लिए राष्ट्रपति ने उन्हें गोद ले रखा है, बावजूद इसके उनकी स्थिति जस की तस है और आज भी सुविधाओं के आभाव में जीवनयापन कर रहे हैं. आजादी को सात दशक बाद भी राष्ट्रीय मानव का दर्जा प्राप्त बैगा जनजातियों की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ. उनकी बदहाली का आलम ये है कि बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं, अब कलेक्टर साहब आश्वासन दे रहे हैं कि जल्द ही पानी का इंतजाम करायेंगे और सरकारी सुविधाएं भी उन्हें मुहैया करायेंगे.

बैहर विधानसभा क्षेत्र के बिरसा जनपद के अडोरी ग्राम पंचायत के कुंडेकसा गांव में राष्ट्रीय मानव निवास करते हैं. जहां पानी उगलने वाले नल आजकल हवा उगल रहे हैं, जो सरकारी योजनाओं की हवा भी निकाल रहे हैं क्योंकि आज भी इन्हें पानी-सड़क जैसी मूलभूत सुविधाएं मयस्सर नहीं हैं

बालाघाट। मंगल पर तिरंगा फहराने के बाद चंद्रयान-2 जल्द ही चांद की सतह पर उतरने वाला है. भारत की इस तरक्की की दुनिया कायल है, लेकिन अंतरिक्ष में झंडा फहराकर भी हिंदुस्तान आवाम की प्यास बुझाने में नाकाम है, पानी की किलल्त से लोग बेहाल हैं, जबकि मानसून की दस्तक भी आवाम की प्यास बुझाने में नाकाम साबित हो रही है, आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में तो लोग आज भी झिरियों के सहारे अपनी प्यास बुझा रहे हैं. जो भारत की तरक्की को आईना दिखा रहा है.

बूंद-बूंद पानी को मोहताज राष्ट्रीय मानव

बालाघाट में कई जनजातियां निवास करती हैं, जबकि एमपी की मूल जनजाति बैगा को बचाने के लिए राष्ट्रपति ने उन्हें गोद ले रखा है, बावजूद इसके उनकी स्थिति जस की तस है और आज भी सुविधाओं के आभाव में जीवनयापन कर रहे हैं. आजादी को सात दशक बाद भी राष्ट्रीय मानव का दर्जा प्राप्त बैगा जनजातियों की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ. उनकी बदहाली का आलम ये है कि बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं, अब कलेक्टर साहब आश्वासन दे रहे हैं कि जल्द ही पानी का इंतजाम करायेंगे और सरकारी सुविधाएं भी उन्हें मुहैया करायेंगे.

बैहर विधानसभा क्षेत्र के बिरसा जनपद के अडोरी ग्राम पंचायत के कुंडेकसा गांव में राष्ट्रीय मानव निवास करते हैं. जहां पानी उगलने वाले नल आजकल हवा उगल रहे हैं, जो सरकारी योजनाओं की हवा भी निकाल रहे हैं क्योंकि आज भी इन्हें पानी-सड़क जैसी मूलभूत सुविधाएं मयस्सर नहीं हैं

Intro:बालाघाट-  कुछ ही दिनों में देश आजादी का 73वां वर्ष मनाने जा रहा है लेकिन आज भी देश में राष्ट्रीय मानव का दर्जा प्राप्त बैगा आदिवासी जनजाति के लोग नदी नाले का पानी पीने को मजबूर है।आदिवासी अंचलो में पानी की समस्या के कारण इन बैगा आदिवासी अपनी प्यास बुझाने के लिये ग्रामो के आस पास बहने वाली नदी नाले व झिरिया का सहारा लेना पङ रहा है.... इसकी वजह सरकारी कर्मचारियों की उदासीनता व लापरवाही हैं। जबकि सरकार बैगा आदिवासियों को सामाज के मुख्य धारा से जोङने व विशेष संरक्षित वर्ग मानकर पानी की तरह रुपया बहा रही है पर नतीजा वही ढाक के तीन पात समझ की कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं।
Body:जी हां हम बैगाओं की ऐसी ही दास्तां को आपको बताने जा रहै है जिसमें कैसे झिरिया का पानी पीने के लिये मजबूर हैं वहां के बैगा आदिवासी परिवार को इटीवी भारत की एक्सक्लसिव खबर में प्रशासन व शासन की आंखे खोलने के लिये काफी है। पूरा मामला बालाघाट के आदिवासी विधानसभा बैहर के बिरसा जनपद के ग्राम पंचायत अडोरी के आश्रित गांव कुंडेकसा का है। यहाँ पर राष्ट्पति के दतक पुत्र बैगा जनजाति के लोग निवासरत हैं पर मूलभूत सुविधाओं में प्रमुख पानी की सुविधा के लिये तरस रहे हैं। जिसके चलते गांव के निकट बहने वाले झिरिया(नाले ) में जमा पानी पीने के लिये मजबूर हैं। 
झिरिया के पानी पीने की वजह यहां पर खनन किये गये हेंडपंप कई सालो से बंद हैं और पानी की जगह हवा उगल रहा हैं। हंडपंप पानी उगलने के बजाय हवा उगल रहा हैं। हेंडपंप बंद होने से बैगा परिवारों के लिये पानी की समस्या बन गई और वह उस झिरिया का पानी ना सिर्फ पीने के लिये बल्कि पूरे निस्तार जिसमें कपड़ा व बर्तन धोने, स्नान सहित अन्य आवश्यकताओं के लिये उपयोग करने के लिये बाध्य हैं।
ग्राम पंचायत अडोरी जिला पंचायत की पूर्व अध्यक्ष श्रीमती कुंती धुर्वे का गांव हैं। पंचायत के आश्रित ग्राम कुंडेकसा में बैगा झिरिया का पानी पीने मजबूर हैं और इसको लेकर पंचायत के सचिव, रोजगार सहायक और सरपंच, बीडीसी किसी ने भी सुध नहीं ली हैं। इस पानी के पीने से वह बीमार भी हो सकते हैं। लेकिन क्या करे उनकी मजबूरी हैं कि वह उपयोग कर रहे हैं।


Conclusion:आदि मानव जिन्हें विशेष जनजाति का दर्जा दिया गया हैं ऐसे बैगा परिवार पानी की समस्या से ही नहीं जूझ रहे बल्कि उनकी और भी समस्यायें हैं। पूर्व की शिवराज सरकार द्वारा इन विशेष जनजाति के आदिमानव के मुखिया के लिये 1 हजार रूपये मासिक पेंशन की व्यवस्था की गई थी। वह अब भी जारी हैं। लेकिन कई ऐसे महिला मुखिया हैं जिन्हें एक-एक हजार रूपये की पेंशन नहीं मिल रही हैं। पेंशन के लिये सचिव से संपर्क कर रूपये भी दिये हैं। फिर भी इन महिलाओं के कोई काम नहीं हो रहे हैं। गांव में डेम बंधान व सड़क के निर्माण में काम किये हैं लेकिन उसकी मजदूरी भी उन्हें लंबे अंतराल से नहीं मिली हैं। ऐसे में इन पीड़ित परिवार किसके पास जाये व किनसे गुहार लगाये? चूंकि जिला मुख्यालय की दूरी लगभग 90 से 100 किमी दूर हैं। इतने दूर आने में उन्हें आर्थिक व मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ता हैं। स्थानीय जिम्मेवारों द्वारा भी उनकी सूध नहीं ली जा रही हैं।
बाईट- बैगा महिलायें

शासन व प्रशासन इन बैगाओं के विकास व सुविधायें उपलब्ध कराये जाने का दावा करती हैं। पर जब बारिश के मौसम में भी ऐसी तस्वीरें सामने आये तो चिंता का विषय हैं। चूंकि बालाघाट में इस समय पिछले बीस दिनों से बारिश नहीं हुई हैं। ऐसे में ग्रामीणों की ऐसी तस्वीर आंख खोलने के लिये काफी हैं। इस संबंध में कलेक्टर दीपक आर्य का कहना हैं कि झिरिया का पानी पीने का मामला गंभीर हैं इसकी त्वरित जांच करवायी जायेगी। स्थानीय सरपंच व सचिव तथा रोजगार सहायक को हेंडपंप बदं होने को देखना चाहिए थे अगर ऐसा नहीं किया हैं तो वे भी जिम्मेवार हैं।  चूंकि हेंडपंप बंद होने के संबंध में सूचना हेतु एक हेल्पलाईन नंबर भी हैं। अगर उसमें सूचना दी गई हैं और फिर भी सुधारा नहीं गया तो जिम्मेवारों के खिलाफ कार्यवाही की जायेगी।
बैगा महिलाओं को पेशन नहीं मिलने के संदर्भ में कलेक्टर ने कहा कि इसकी जांच करायी जायेगी। लेकिन एक भा्रंति यह भी हैं कि सभी बैगाओं को पेंशन दी जा रही हैं। जबकि सिर्फ मुखिया को ही पेंशन दी जा रही हैं।
बाईट- श्रीमती कुंजो बाई बैगा
बाईट- श्रीमती दुबी बाई बैगा
बाईट- सुखलाल बैगा हेंडपंप से पानी निकालने का प्रयास करते हुये

बाईट- दीपक आर्य कलेक्टर बालाघाट
श्रीनिवास चौधरी ईटीवी भारत बालाघाट

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