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दस्तक अभियान की खुल रही पोल, 37 बच्चे मिले कुपोषण के शिकार

बालाघाट के जिला अस्पताल के पोषण पुर्नवास केंद्र में इस समय 37 कुपोषित बच्चे भर्ती हैं. ये आंकड़े महिला बाल विकास विभाग के दस्तक अभियान की पोल खोलती नजर आ रही है.

कुपोषण के शिकार बच्चे
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Published : Jul 16, 2019, 8:42 PM IST

बालाघाट। मध्यप्रदेश में कुपोषण एक बड़ी समस्या है. प्रदेश सरकार द्वारा कुपोषण को लेकर कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. लेकिन हकीकत में ये योजनाएं जमीनी स्तर पर कितनी सफल हैं, इसकी बानगी बालाघाट में देखने को मिली. जहां जिला अस्पताल के पोषण पुर्नवास केंद्र में इस समय 37 कुपोषित बच्चे भर्ती हैं. लिहाजा ये आंकड़े महिला बाल विकास विभाग के दस्तक अभियान की पोल खोलती नजर आ रही है.


बालाघाट का पुर्नवास केंद्र शासन द्वारा कुपोषित बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए चलाए जा रहे अभियान की पोल खोलने के लिये काफी है. हालांकि कुपोषित बच्चों की संख्या का पता तब चला जब शासन के निर्देश पर दस्तक अभियान के तहत घर- घर दस्तक दी जा रही है. पोषण पुर्नवास केंद्र में इस समय 37 कुपोषित बच्चे भर्ती हैं. डॉक्टर का कहना है कि केंद्र की क्षमता महज 20 बच्चों की ही है. लेकिन उसमें क्षमता से ज्यादा बच्चे भर्ती किए गए हैं.

बालाघाट में कुपोषण के शिकार हो रहे बच्चे


गौर करने वाली बात यह है कि सुविधा के नाम पर कुछ बच्चों को बेड न होने पर जमीन पर ही गद्दे देकर भर्ती कराया गया है. असल में इस समय हर दिन 15 से 20 बच्चे कुपोषित श्रेणी में पहुंच रहे हैं. दस्तक अभियान जिले में कुपोषितों के आंकड़े की पोल खोल रही हैं. क्योंकि अब तक इस तरह के बच्चों के आंकड़े सामने नहीं आए हैं.


एक महीने से लेकर पांच साल तक के बच्चों को एनआरसी सेंटर में भर्ती कर कम से कम 14 दिनों तक रखा जाता है. जिन्हें पोषण आहार की खुराक मां और बच्चे को दी जाती है. ग्रामीण अंचल के ज्यादातर बच्चे कुपोषित हैं. शासन द्वारा चलाए जा रहे दस्तक अभियान के दौरान यह आंकड़ा सामने आ रहा है. जिसमें कम वजन वाले बच्चों को भर्ती कराया जा रहा हैं. इसमें पोषण आहार की व्यवस्था की जा रही हैं.

बालाघाट। मध्यप्रदेश में कुपोषण एक बड़ी समस्या है. प्रदेश सरकार द्वारा कुपोषण को लेकर कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. लेकिन हकीकत में ये योजनाएं जमीनी स्तर पर कितनी सफल हैं, इसकी बानगी बालाघाट में देखने को मिली. जहां जिला अस्पताल के पोषण पुर्नवास केंद्र में इस समय 37 कुपोषित बच्चे भर्ती हैं. लिहाजा ये आंकड़े महिला बाल विकास विभाग के दस्तक अभियान की पोल खोलती नजर आ रही है.


बालाघाट का पुर्नवास केंद्र शासन द्वारा कुपोषित बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए चलाए जा रहे अभियान की पोल खोलने के लिये काफी है. हालांकि कुपोषित बच्चों की संख्या का पता तब चला जब शासन के निर्देश पर दस्तक अभियान के तहत घर- घर दस्तक दी जा रही है. पोषण पुर्नवास केंद्र में इस समय 37 कुपोषित बच्चे भर्ती हैं. डॉक्टर का कहना है कि केंद्र की क्षमता महज 20 बच्चों की ही है. लेकिन उसमें क्षमता से ज्यादा बच्चे भर्ती किए गए हैं.

बालाघाट में कुपोषण के शिकार हो रहे बच्चे


गौर करने वाली बात यह है कि सुविधा के नाम पर कुछ बच्चों को बेड न होने पर जमीन पर ही गद्दे देकर भर्ती कराया गया है. असल में इस समय हर दिन 15 से 20 बच्चे कुपोषित श्रेणी में पहुंच रहे हैं. दस्तक अभियान जिले में कुपोषितों के आंकड़े की पोल खोल रही हैं. क्योंकि अब तक इस तरह के बच्चों के आंकड़े सामने नहीं आए हैं.


एक महीने से लेकर पांच साल तक के बच्चों को एनआरसी सेंटर में भर्ती कर कम से कम 14 दिनों तक रखा जाता है. जिन्हें पोषण आहार की खुराक मां और बच्चे को दी जाती है. ग्रामीण अंचल के ज्यादातर बच्चे कुपोषित हैं. शासन द्वारा चलाए जा रहे दस्तक अभियान के दौरान यह आंकड़ा सामने आ रहा है. जिसमें कम वजन वाले बच्चों को भर्ती कराया जा रहा हैं. इसमें पोषण आहार की व्यवस्था की जा रही हैं.

Intro:बालाघाट- बालाघाट जिले में कुपोषित बच्चों की सख्ंया में एकाएक इजाफा सामने आया हैं। शासन द्वारा कुपोषित बच्चो के बेहतर स्वास्थय सुविधा मुहैया कराने चलाये जा रहे अभियान की की पोल खोलने के लिये काफी हैं। चूंकि यह तब सामने आ रहा जब शासन के निर्देश पर दस्तक अभियान में तहत घर-घर दस्तक दी जा रही हैं। दस्तक अभियान से आंगनबाड़ी के माध्यम से परोसे जाने वाले पोषण आहार की पोल भी खुल रही हैं।
Body:बालाघाट जिला अस्पताल के पोषण पुर्नवास केंद्र में इस समय 37 कुपोषितों बच्चे भर्ती हैं। चिकित्सक के मुताबिक केंद्र की क्षमता महज 20 हैं लेकिन उस क्षमता से अधिक बच्चों को भर्ती किया गया हैं। जिससे कुछ बच्चों को नीचे बेड देकर रखा गया हैं।असल में इस समय प्रतिदिन 15 से 20 बच्चे कुपोषित श्रेणी के पहुंच रहे हैं। इतने अधिक बच्चे हैं कि उन्हें भर्ती नहीं किया जा सक रहा हैं। बालाघाट में जिला अस्पताल सहित पांच पुर्नवास केंद्र का संचालन हैं। इन सभी में बच्चे भर्ती हैं और यह आंकड़ा 1 सैकड़ा पार कर गया हैं। चिकित्सक के अस्पताल में प्रतिदिन आने वाले बच्चों के आंकड़़े को जोड़े तो जिले में 1 हजार बच्चे इस श्रेणी में आ गये हैं। अस्पताल में ही साल भर में लगभग 500 कुपोषित बच्चों को रखा जा चुका हैं।

कुपोषित बच्चे 1 माह से लेकर 59 माह तक को एनआरसी सेंटर में भर्ती कर कम से कम 14 दिनों तक भर्ती रखा जाता हैं। जिन्हें पोषण आहार की खुराक मां व बच्चे को दी जाती हैं। ग्रामीण अंचल के अधिकतर बच्चे कुपोषित हैं। यह तब सामने आ रहे हैं जब शासन के निर्देश पर घर-घर जाकर सर्वे करने वाला दस्तक अभियान चलाया जा रहा हैं। जिसमें कम वजन वाले बचचों को भर्ती कराया जा रहा हैं। जिसमें खून लगाने से लेकर पोषण आहार की व्यवस्था की जा रही हैं।
Conclusion:दस्तक अभियान जिले में कुपोषितों के आंकड़े की पोल खोल रही हैं। क्योंकि अब तक इस तरह के बच्चों को भर्ती करने या सामने आने का आंकड़ा नहीं आया । विभाग भी एक तरह से पर्दा डालते रहे। पर इसकी हकीकत सामने आ रही हैं। चूंकि अभी दस्तक अभियान जारी हैं और इसमें कितने बच्चे चिन्हित हुये इसके आधिकारिक आंकड़े नहीं मिले हैं।

पर जो आंकड़े जिला अस्पताल में सामने आये वह चिंतनीय हैं। जो कि पोषण आहार की कमी के कारण हो रहा हैं। चिकित्सक का भी मानना हैं कि दस्तक अभियान में बच्चों की पहचान हो जा रही और उन्हें ठीक किया जा रहा। अभिभावकों को भी बच्चे व उसकी मां के खानपान पर ध्यान देना चाहिए।

बाईट- डॉक्टर पी.के.पाराशर पोषण पुर्नवास केंद्र प्रभारी जिला अस्पताल
श्रीनिवास चौधरी ईटीवी भारत बालाघाट
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