बालाघाट। मध्यप्रदेश में कुपोषण एक बड़ी समस्या है. प्रदेश सरकार द्वारा कुपोषण को लेकर कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. लेकिन हकीकत में ये योजनाएं जमीनी स्तर पर कितनी सफल हैं, इसकी बानगी बालाघाट में देखने को मिली. जहां जिला अस्पताल के पोषण पुर्नवास केंद्र में इस समय 37 कुपोषित बच्चे भर्ती हैं. लिहाजा ये आंकड़े महिला बाल विकास विभाग के दस्तक अभियान की पोल खोलती नजर आ रही है.
बालाघाट का पुर्नवास केंद्र शासन द्वारा कुपोषित बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए चलाए जा रहे अभियान की पोल खोलने के लिये काफी है. हालांकि कुपोषित बच्चों की संख्या का पता तब चला जब शासन के निर्देश पर दस्तक अभियान के तहत घर- घर दस्तक दी जा रही है. पोषण पुर्नवास केंद्र में इस समय 37 कुपोषित बच्चे भर्ती हैं. डॉक्टर का कहना है कि केंद्र की क्षमता महज 20 बच्चों की ही है. लेकिन उसमें क्षमता से ज्यादा बच्चे भर्ती किए गए हैं.
गौर करने वाली बात यह है कि सुविधा के नाम पर कुछ बच्चों को बेड न होने पर जमीन पर ही गद्दे देकर भर्ती कराया गया है. असल में इस समय हर दिन 15 से 20 बच्चे कुपोषित श्रेणी में पहुंच रहे हैं. दस्तक अभियान जिले में कुपोषितों के आंकड़े की पोल खोल रही हैं. क्योंकि अब तक इस तरह के बच्चों के आंकड़े सामने नहीं आए हैं.
एक महीने से लेकर पांच साल तक के बच्चों को एनआरसी सेंटर में भर्ती कर कम से कम 14 दिनों तक रखा जाता है. जिन्हें पोषण आहार की खुराक मां और बच्चे को दी जाती है. ग्रामीण अंचल के ज्यादातर बच्चे कुपोषित हैं. शासन द्वारा चलाए जा रहे दस्तक अभियान के दौरान यह आंकड़ा सामने आ रहा है. जिसमें कम वजन वाले बच्चों को भर्ती कराया जा रहा हैं. इसमें पोषण आहार की व्यवस्था की जा रही हैं.