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मत्स्य पालन के लिए वरदान मीनाक्षी तालाब, वेदराम ने 8 माह में कमाए 10 लाख रुपए - Meenakshi Yojana

बालाघाट जिले के वेदराम राहांगडाले अपने खेत में छोटा सा मीनाक्षी तालाब बनाकर मछली पालन करते हैं. जिन्होंने इस साल 18 लाख रुपए की मछली बेचकर 10 लाख रुपए की आय अर्जित की है.

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मछली पालन से 10 लाख रुपए की आय
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Published : Jul 1, 2020, 5:26 PM IST

बालाघाट। जिले में मनरेगा योजना के अंतर्गत अपने खेत में छोटा सा मीनाक्षी तालाब बनाकर वेदराम निरंतर तरक्की कर रहा है. वह पिछले कुछ सालों से मत्स्य पालन का कार्य कर रहा है, लेकिन इस साल उसने मत्स्य उत्पादन में नया रिकार्ड बना दिया है. वेदराम ने अपने मीनाक्षी तालाब में पंगेसियस प्रजाति की मछली का उत्पादन कर मात्र 8 माह के समय में 18 लाख रुपए की मछली बेचकर 10 लाख रुपए की आय अर्जित की है. वेदराम के मीनाक्षी तालाब से इस साल करीब 15 टन मछली का उत्पादन हुआ है.

मछली पालन से 10 लाख रुपए की आय

मीनाक्षी योजना

लालबर्रा विकासखंड के ग्राम पांडेवाड़ा का वेदराम रहांगडाले मत्स्य पालक किसान है. जिसने बताया कि साल 2013 में उन्होंने मनरेगा की मीनाक्षी योजना से 30 डिसमील जमीन में तालाब बनाया और उसमें ट्यूबवेल भी लगाया. शुरुआत में उसे मत्स्य पालन के कार्य में कुछ असफलता भी मिली और नुकसान भी उठाना पड़ा, लेकिन अब उसे मत्स्य पालन के क्षेत्र में काफी अनुभव हो गया है. इस साल उन्होंने मीनाक्षी तालाब में पंगेसियस मछली के साथ-साथ मेजर कार्प मछली का पालन भी किया है.

मछली उत्पादन बना मिसाल

उप संचालक मत्स्य विभाग शशिप्रभा धुर्वे ने बताया कि वित्तीय साल 2019-20 में वेदराम रहांगडाले द्वारा 0.2 हेक्टेयर क्षेत्र के तालाब में 15 टन यानी 150 क्विंटल मछली का उत्पादन करना एक मिसाल है. वेदराम को अपनी लागत निकालने के बाद 10 लाख रुपए की शुद्ध बचत हुई है. जो बालाघाट जिले के लिए रिकार्ड है. वेदराम रहांगडाले ने मीनाक्षी तालाब से कम समय में अधिक लाभ कमाने के मामले में जिले के अन्य कृषकों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन गए हैं.

मत्स्य पालन किसानों के लिए वरदान

बालाघाट जिले में हजारो की संख्या में मनरेगा योजना से मीनाक्षी तालाबों का निर्माण किया गया है. जिन लोगों के खेत में मीनाक्षी तालाब बने हैं वे मत्स्य पालन कार्य के लिए वेदराम रहांगडाले से सम्पर्क कर तकनीकी मार्गदर्शन ले रहे है. इस तरह से जिले में हजारों किसान उनसे जुड़कर लाखों की आय अर्जित कर रहे है. जिले में मनरेगा योजना से निर्मित मीनाक्षी तालाबों में मत्स्य पालन किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है.

पंगेशियस मछली कहां पाई जाती हैं?

पंगेशियस मछली मूलत: वियतनाम में मेकांग नदी के डेल्टा में पाई जाती है. भारत में पंगेशियस मछली सर्वप्रथम पश्चिम बंगाल में बांग्लादेश के रास्ते थाईलैंड से 1995-96 में लाई गई थी. ये मछली मीठे पानी में पाली जाने वाली दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी प्रजाति की मछली है. वियतनाम पंगेशियस मछली के उत्पादन में विश्व में प्रथम स्थान रखता है. इस प्रजाति की मछली कम समय में तेजी से बड़ी होती है और इसका वजन 6 माह में एक से डेढ़ किलोग्राम तक हो जाता है. अन्य मछलियों की तुलना में इसमें कांटे कम होते हैं और इसमें रोग निरोधक क्षमता अधिक होती है. बालाघाट में भी मछली उत्पादन के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं. इस ओर ध्यान दिया जाए तो बालाघाट ही नहीं बल्कि संपूर्ण देश भी मछली उत्पादन में अग्रणी भूमिका निभा सकता हैं.

बालाघाट। जिले में मनरेगा योजना के अंतर्गत अपने खेत में छोटा सा मीनाक्षी तालाब बनाकर वेदराम निरंतर तरक्की कर रहा है. वह पिछले कुछ सालों से मत्स्य पालन का कार्य कर रहा है, लेकिन इस साल उसने मत्स्य उत्पादन में नया रिकार्ड बना दिया है. वेदराम ने अपने मीनाक्षी तालाब में पंगेसियस प्रजाति की मछली का उत्पादन कर मात्र 8 माह के समय में 18 लाख रुपए की मछली बेचकर 10 लाख रुपए की आय अर्जित की है. वेदराम के मीनाक्षी तालाब से इस साल करीब 15 टन मछली का उत्पादन हुआ है.

मछली पालन से 10 लाख रुपए की आय

मीनाक्षी योजना

लालबर्रा विकासखंड के ग्राम पांडेवाड़ा का वेदराम रहांगडाले मत्स्य पालक किसान है. जिसने बताया कि साल 2013 में उन्होंने मनरेगा की मीनाक्षी योजना से 30 डिसमील जमीन में तालाब बनाया और उसमें ट्यूबवेल भी लगाया. शुरुआत में उसे मत्स्य पालन के कार्य में कुछ असफलता भी मिली और नुकसान भी उठाना पड़ा, लेकिन अब उसे मत्स्य पालन के क्षेत्र में काफी अनुभव हो गया है. इस साल उन्होंने मीनाक्षी तालाब में पंगेसियस मछली के साथ-साथ मेजर कार्प मछली का पालन भी किया है.

मछली उत्पादन बना मिसाल

उप संचालक मत्स्य विभाग शशिप्रभा धुर्वे ने बताया कि वित्तीय साल 2019-20 में वेदराम रहांगडाले द्वारा 0.2 हेक्टेयर क्षेत्र के तालाब में 15 टन यानी 150 क्विंटल मछली का उत्पादन करना एक मिसाल है. वेदराम को अपनी लागत निकालने के बाद 10 लाख रुपए की शुद्ध बचत हुई है. जो बालाघाट जिले के लिए रिकार्ड है. वेदराम रहांगडाले ने मीनाक्षी तालाब से कम समय में अधिक लाभ कमाने के मामले में जिले के अन्य कृषकों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन गए हैं.

मत्स्य पालन किसानों के लिए वरदान

बालाघाट जिले में हजारो की संख्या में मनरेगा योजना से मीनाक्षी तालाबों का निर्माण किया गया है. जिन लोगों के खेत में मीनाक्षी तालाब बने हैं वे मत्स्य पालन कार्य के लिए वेदराम रहांगडाले से सम्पर्क कर तकनीकी मार्गदर्शन ले रहे है. इस तरह से जिले में हजारों किसान उनसे जुड़कर लाखों की आय अर्जित कर रहे है. जिले में मनरेगा योजना से निर्मित मीनाक्षी तालाबों में मत्स्य पालन किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है.

पंगेशियस मछली कहां पाई जाती हैं?

पंगेशियस मछली मूलत: वियतनाम में मेकांग नदी के डेल्टा में पाई जाती है. भारत में पंगेशियस मछली सर्वप्रथम पश्चिम बंगाल में बांग्लादेश के रास्ते थाईलैंड से 1995-96 में लाई गई थी. ये मछली मीठे पानी में पाली जाने वाली दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी प्रजाति की मछली है. वियतनाम पंगेशियस मछली के उत्पादन में विश्व में प्रथम स्थान रखता है. इस प्रजाति की मछली कम समय में तेजी से बड़ी होती है और इसका वजन 6 माह में एक से डेढ़ किलोग्राम तक हो जाता है. अन्य मछलियों की तुलना में इसमें कांटे कम होते हैं और इसमें रोग निरोधक क्षमता अधिक होती है. बालाघाट में भी मछली उत्पादन के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं. इस ओर ध्यान दिया जाए तो बालाघाट ही नहीं बल्कि संपूर्ण देश भी मछली उत्पादन में अग्रणी भूमिका निभा सकता हैं.

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