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विश्व मलेरिया दिवस: जागरूकता अभियान का नतीजा, अब तक मिले सिर्फ 5 मरीज

अशोकनगर में पदस्थ मलेरिया अधिकारी दीपा गंगेले के प्रयासों के चलते मलेरिया के मरीजों में भारी गिरावट आई है. पिछले तीन सालों में ये संख्या घटकर 5 मरीजों तक रह गई है.

मलेरिया के ग्राफ में आई गिरावट
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Published : Apr 25, 2019, 11:21 AM IST

अशोकनगर। विश्व मलेरिया दिवस पर हम आपको बताने जा रहे हैं अशोकनगर में पदस्थ मलेरिया अधिकारी दीपा गंगेले के बारे में, जिन्होंने 3 साल पहले जिले में मलेरिया से लोगों को बचाने के लिए जागरूकता अभियान चलाया था. उसका नतीजा ये निकला कि इस साल जिले में मलेरिया के केवल 5 मरीज ही मिले हैं.

मलेरिया के ग्राफ में आई गिरावट

जिले में मलेरिया का ग्राफ लगातार गिरता जा रहा है. मलेरिया विभाग के आंकड़ों की बात करें, तो 2014 में 989 मलेरिया के मरीज दर्ज किए गए थे, जो 2015 में घटकर 223 हो गए थे. 2016 में 1 हजार 175 मरीज मलेरिया पॉजिटिव मिले. लेकिन इसके बाद लगातार गिरावट आती गई और इस साल अभी तक मलेरिया के सिर्फ 5 मरीज ही दर्ज किए गए हैं.

दीपा गंगेले ने बताया कि 3 साल पहले विभाग में कम स्टाफ था, इसलिए नगर पालिका के कर्मचारियों को प्रशिक्षित कर एक टीम बनाई गई, जो लगातार गांव और शहरों में सर्वे करते हैं. गांव-गांव में जाकर लोगों को जागरूक करने के लिए कई जागरूकता रैली निकाली गई. मलेरिया की रोकथाम के लिए लोगों को तरीके सिखाए गए. ग्रामीण क्षेत्रों में मच्छरदानी अभी लोगों को वितरित की जा रही है. साथ ही उन्हें मलेरिया से बचाव के तरीके भी बताए जा रहे हैं, इसलिए आंकड़ों में गिरावट आ सकी है.

अशोकनगर। विश्व मलेरिया दिवस पर हम आपको बताने जा रहे हैं अशोकनगर में पदस्थ मलेरिया अधिकारी दीपा गंगेले के बारे में, जिन्होंने 3 साल पहले जिले में मलेरिया से लोगों को बचाने के लिए जागरूकता अभियान चलाया था. उसका नतीजा ये निकला कि इस साल जिले में मलेरिया के केवल 5 मरीज ही मिले हैं.

मलेरिया के ग्राफ में आई गिरावट

जिले में मलेरिया का ग्राफ लगातार गिरता जा रहा है. मलेरिया विभाग के आंकड़ों की बात करें, तो 2014 में 989 मलेरिया के मरीज दर्ज किए गए थे, जो 2015 में घटकर 223 हो गए थे. 2016 में 1 हजार 175 मरीज मलेरिया पॉजिटिव मिले. लेकिन इसके बाद लगातार गिरावट आती गई और इस साल अभी तक मलेरिया के सिर्फ 5 मरीज ही दर्ज किए गए हैं.

दीपा गंगेले ने बताया कि 3 साल पहले विभाग में कम स्टाफ था, इसलिए नगर पालिका के कर्मचारियों को प्रशिक्षित कर एक टीम बनाई गई, जो लगातार गांव और शहरों में सर्वे करते हैं. गांव-गांव में जाकर लोगों को जागरूक करने के लिए कई जागरूकता रैली निकाली गई. मलेरिया की रोकथाम के लिए लोगों को तरीके सिखाए गए. ग्रामीण क्षेत्रों में मच्छरदानी अभी लोगों को वितरित की जा रही है. साथ ही उन्हें मलेरिया से बचाव के तरीके भी बताए जा रहे हैं, इसलिए आंकड़ों में गिरावट आ सकी है.

Intro:अशोकनगर। आज विश्व मलेरिया दिवस है और हम बात कर रहे हैं अशोकनगर जिले में पदस्थ मलेरिया अधिकारी दीपा गंगेले की ,जिन्होंने 3 साल पहले अशोक नगर में पदस्थ होकर मलेरिया जैसी प्राणघातक बीमारी से लोगों को बचाने और जागरूक करने के लिए कई प्रयास किये. उनके प्रयास ऐसी स्थिति में थे जब अशोकनगर मलेरिया विभाग में केवल बे ही एकमात्र अधिकारी कर्मचारी थी,क्योंकि अन्य कोई भी कर्मचारी उनके विभाग में था ही नहीं.जिले में मलेरिया विभाग द्वारा समय-समय पर वार्डो में सर्वे करने एवं लोगों को मलेरिया से बचाव के तरीके बताए गए,जिसके परिणाम स्वरूप अशोक नगर में लगातार मरीजों की संख्या घटती जा रही है.ओर इस बर्ष अभी तक कुल मलेरिया के 5 मरीज ही मिल पाए है.


Body:जिले में मलेरिया का ग्राफ लगातार घट रहा है यदि हम मलेरिया विभाग के आंकड़ों की बात करें तो 2014 में 989 मलेरिया के मरीज दर्ज किए गए थे. और इसके बाद मलेरिया के मरीजों में बढ़ोतरी हुई 2015 में 223 मरीज, 2016 में 1175 मलेरिया पॉजिटिव मिले.लेकिन इसके बाद लगातार गिरावट आती गई. लोगों में जागरूकता का परिणाम यह रहा कि मरीजों की संख्या घटना शुरू हो गई.2017 में 579 और 2018 में 345 मरीज ही मलेरिया पोसिटिव मिले. और बात करें इस वर्ष की अभी तक मलेरिया के मरीजों की संख्या मात्र 5 है.
चिकित्सा विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो 2018 में 1लाख21हज़ार880 मलेरिया के मरीज़ों की जांच की गई. जिसमें से 82 फैंलसीफेरम के मरीज़ शामिल है.जबकि कुल 345 लोग मलेरिया पॉजिटिव मिले.वही 2017 में 17हजार40, 2015 में 1लाख31हजार281लोगों की मलेरिया जांच की गई.जिसमे 1लाख23हजार मलेरिया पोसिटिव मिले.जिले में मलेरिया की स्थिति में काफी सुधार सामने आया है.
मलेरिया विभाग ने 268 गांव को संवेदनशील माना है जिनमें गणेशखेड़ा,महुअन, रावसर,सेजी, बमोरीताल,मथनेर सहित अन्य गांव आते है. इन चित्रों में मलेरिया पर अंकुश लगाने के लिए एंटी लारवा जांच एवं योजना बनाई गई साथ ही लगातार गांव में दवा का छिड़काव किया गया वहीं स्वास्थ्य विभाग को 1लाख39हजार700 मच्छरदानिया बांटने थे जुड़वा से जिले के चारों ब्लॉक में 1लाख25हजार157 मच्छरदानिया बाटी जा चुकी है.


Conclusion:3 साल पहले मलेरिया विभाग मलेरिया अधिकारी के पद पर पदस्थ हुई दीपा गंगेले ने बताया की मलेरिया विभाग में बहुत कम स्टाफ होने के बाद भी नगर पालिका के कर्मचारियों को प्रशिक्षित कर टीम बनाई गई जो लगातार गांव एवं शहरों में सर्वे करते है. गांव-गांव में लोगों को जागरूक करने के लिए कई जागरूकता रैली निकाली गई.जिसके कारण मलेरिया का ग्राफ काफी कम हुआ है. मई 2016 में 1175 मलेरिया पॉजिटिव मरीज थे. जागरूकता के चलते वर्ष 2018 में 345 ही मरीज मिले. जिस जगह पर मलेरिया के मरीज की जानकारी लगती है तत्काल टीम वहां के लिए रवाना हो जाती है. ताकि समय रहते मलेरिया की रोकथाम की जा सके.बाकी ग्रामीण क्षेत्रों में मच्छरदानी अभी लोगों को वितरित की जा रही हैं. साथ ही उन्हें मलेरिया से बचाव के तरीके भी बताए जा रहे हैं.
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