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मकान खाली करने के लिए मिला 51 मकान मालिकों को नोटिस, तहसीलदार कार्यालय में दिया धरना

तहसील कोर्ट से मिले मकान खाली करने के नोटिस के बाद स्थानीय लोगों ने तहसीलदार कार्यालय पहुंचकर धरना दिया है. उनका कहना है कि पिछले 10 साल से वे यहां रह रहे हैं. भू माफियाओं ने प्रकरण को तहसीलदार कोर्ट में लगवा दिया.

धरने पर बैठे लोग
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Published : May 5, 2019, 1:19 PM IST

अशोकनगर। मोहरी रोड पर 15 सालों से मकान बनाकर रह रहे लोगों को अब बेघर होना पड़ रहा है. जिससे परेशान होकर स्थानिय निवासी ने तहसील कार्यालय पहुंचकर धरना दिया. इस जमीन के मालिक रत्ना सहरिया ने कोर्ट और तहसीलदार कोर्ट में जमीन को खाली कराने की अर्जी लगाई थी. जिस पर तहसीलदार ने 51 मकान मालिकों को नोटिस जारी किया है.


स्थानीय निवासी ने बताया कि वो लोग करीब 10 सालों से इस जमीन पर मकान बना कर रह रहे हैं. ज्ञानी सहरिया नाम के युवक से प्लॉट की नोटरियां कराई थी. जिसके बदले में उन्होंने 50 से 70 हजार रुपए भी दिए थे. जिसमें कुछ लोगों के पास प्लॉट की रजिस्ट्री भी है. इस दौरान मोहरी रोड से आए हुए मकान मालिकों ने अपनी बात बताने के लिए काफी देर तक तहसीलदार के आने का इंतजार किया.लेकिन जब तहसीलदार नहीं आए तो उन्होंने तहसील कार्यालय के बाहर बैठकर धरना भी दिया.

धरने पर बैठे लोग


बस्ती के लोगों ने बताया कि अब तक किसी ने उनके यहां रहने पर किसी ने कुछ नहीं किया लेकिन जैसे ही घरों के पास कृषि उपज मंडी का निर्माण शुरू किया गया. तब से ही भू माफियाओं ने रत्ना सहरिया को मोहरा बनाकर या लालच देकर इस प्रकरण को तहसीलदार कोर्ट में लगवा दिया.

अशोकनगर। मोहरी रोड पर 15 सालों से मकान बनाकर रह रहे लोगों को अब बेघर होना पड़ रहा है. जिससे परेशान होकर स्थानिय निवासी ने तहसील कार्यालय पहुंचकर धरना दिया. इस जमीन के मालिक रत्ना सहरिया ने कोर्ट और तहसीलदार कोर्ट में जमीन को खाली कराने की अर्जी लगाई थी. जिस पर तहसीलदार ने 51 मकान मालिकों को नोटिस जारी किया है.


स्थानीय निवासी ने बताया कि वो लोग करीब 10 सालों से इस जमीन पर मकान बना कर रह रहे हैं. ज्ञानी सहरिया नाम के युवक से प्लॉट की नोटरियां कराई थी. जिसके बदले में उन्होंने 50 से 70 हजार रुपए भी दिए थे. जिसमें कुछ लोगों के पास प्लॉट की रजिस्ट्री भी है. इस दौरान मोहरी रोड से आए हुए मकान मालिकों ने अपनी बात बताने के लिए काफी देर तक तहसीलदार के आने का इंतजार किया.लेकिन जब तहसीलदार नहीं आए तो उन्होंने तहसील कार्यालय के बाहर बैठकर धरना भी दिया.

धरने पर बैठे लोग


बस्ती के लोगों ने बताया कि अब तक किसी ने उनके यहां रहने पर किसी ने कुछ नहीं किया लेकिन जैसे ही घरों के पास कृषि उपज मंडी का निर्माण शुरू किया गया. तब से ही भू माफियाओं ने रत्ना सहरिया को मोहरा बनाकर या लालच देकर इस प्रकरण को तहसीलदार कोर्ट में लगवा दिया.

Intro:अशोकनगर।अशोकनगर की मोहरी रोड पर 15 सालों से मकान बनाकर रह रहे लोगों को अब बेघर होना पड़ रहा है. क्योंकि इस जमीन का मालिक रत्ना सहरिया ने कोर्ट एवं तहसीलदार कोर्ट में जमीन को खाली कराने की अर्जी लगाई थी. जिस पर तहसीलदार द्वारा 51 मकान मालिकों को नोटिस जारी किए गए हैं.ओर जल्द मकान खाली करने के आदेश दिए गए है.मकान मालिकों को नोटिस मिलते ही बे सभी एकत्रित होकर तहसील कार्यालय पहुंचे. लेकिन तहसीलदार मौके पर न मिलने के कारण वहीं जमीन पर बैठकर धरना देने लगे.


Body:नोटिस मिलने के बाद तहसील कार्यालय में पहुंचे लोगों में शामिल क्रांति जोशी ने बताया कि हम लोग 10-15 सालों से इस जमीन पर मकान बना कर रह रहे हैं. और हम लोगों ने ज्ञानी सहरिया नाम के युवक से प्लॉट की नोटरियां कराई थी. जिसके बदले में हम लोगों ने 50 से 70हजार रुपए भी ज्ञानी सहरिया को दिए थे. जिसमें कुछ लोग के पास प्लॉट की रजिस्ट्री भी हैं. लेकिन इसके बाद भी हम लोगों को तहसीलदार द्वारा नोटिस जारी कर मकान खाली करने के निर्देश दिए गए हैं. क्रांति ने बताया कि अपने जीवन भर की पूजी एकत्रित कर हम लोगों ने जैसे तैसे मकानों का निर्माण किया.और अब बह भी हम लोगों से प्रशासन द्वारा छीने जा रहे हैं.
वहीं तहसील कार्यालय में एक वृद्धा का दर्द मकान टूटने की बात को लेकर अमर पड़ा.अपनी बात बताते हुए वृद्धा की आंखों से आंसू टपक रहे थे.और उसने आक्रोशित होते हुए कहां कि मकान खाली नहीं करेंगे चाहे इसके लिए प्रशासन हमें गोली ही क्यों न मार दे.इस दौरान मोहरी रोड से आए हुए मकान मालिकों ने अपनी बात बताने के लिए काफी देर तक तहसीलदार के आने का इंतजार किया.लेकिन जब तहसीलदार नहीं आए तो उन्होंने तहसील कार्यालय के बाहर बैठकर धरना भी दिया.


Conclusion:बस्ती के लोगों ने बताया कि हम लोग इस जमीन पर लगभग 15 वर्षों से रह रहे हैं. लेकिन तब से किसी ने कोई आपत्ति नहीं उठाई. लेकिन जैसे ही हमारे घरों के पास कृषि उपज मंडी का निर्माण शुरू किया गया. तब से ही लोगो ने हमारे पीछे पड़ गए और भू माफियाओं द्वारा रत्ना सहरिया को मोहरा बनाकर या लालच देकर इस प्रकरण को तहसीलदार कोर्ट में लगवा दिया.
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