अशोकनगर। मध्यप्रदेश में होने वाले उपचुनावों की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है. नेताओं की बयानबाजी तेज होती जा रही है. कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णन के सिंधिया को कुत्ता बताने वाले बयान पर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पलटवार किया है. उन्होंने मंच से कहा कि "सुन लीजिए कमलनाथ जी कि हां मैं कुत्ता हूं, क्योंकि मेरा मालिक यह जनता है, जिसकी मैं सेवा करता हूं, मैं सेवा करता हूं, हां कमलनाथ जी मै कुत्ता हूं क्योंकि कुत्ता अपने मालिक और अपने दाता की रक्षा करता है, और जो उसके मालिकों के साथ भ्रष्टाचार करेगा, गलत करेगा उसे कुत्ता काटेगा भी."
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दरअसल, शुक्रवार को अशोकनगर में कांग्रेस के स्टार प्रचारक आचार्य प्रमोद कृष्णम ने अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल करते हुए बिना नाम लिए पिल्ला और कुत्ता शब्द का जिक्र किया था. इस दौरान उन्होंने अपनी जनसभा में ज्योतिरादित्य सिंधिया की तुलना कुत्ते से की थी. आचार्य प्रमोद कृष्णन के कुत्ते वाले बयान पर पलटवार करते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा, ''हां कमलनाथ जी मैं कुत्ता हूं, क्योंकि अगर कोई भी व्यक्ति मेरे मालिक को उंगली दिखाए और मालिक के साथ भ्रष्टाचार और विनाशकारी नीति अपनाए तो कुत्ता उसे काटेगा. हां मैं कुत्ता हूं और मुझे इस बात पर गर्व है कि मैं अपनी जनता का कुत्ता हूं."
हाल ही में अशोकनगर विधानसभा के शाडोरा में कार्यकर्ता सम्मेलन में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंच से एक कहावत सुनाते हुए कांग्रेस पर कटाक्ष किया था. झूठ बोले कौआ काटे काले कौवे से डरियो और वह काला कौआ मैं हूं. ज्योतिरादित्य सिंधिया ने खुद को काला कौआ कहा था और उसी काले ने कांग्रेस को काटा है. गौरलतब हो कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भाजपा में शामिल होने पर अपने आपको टाइगर बताया था. बहरहाल, उपचुनाव से पहले मध्यप्रदेश की राजनीति में टाइगर, कौवा और अब कुत्ते शब्द की एंट्री हो गई. बता दें, अशोकनगर विधानसभा में ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी प्रत्याशी जजपाल सिंह जज्जी के पक्ष में प्रचार करने आए थे, और इसी दौरान उन्होंने कांग्रेस और कमलनाथ को निशाने पर रखा था.
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मध्यप्रदेश में जिन 28 सीटों पर 3 नवंबर को उपचुनाव होने हैं, उनमें से एक है अशोकनगर. अशोकनगर सीट 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के खाते में आई थी, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ अशोकनगर विधायक जजपाल सिंह जज्जी ने भी कांग्रेस का हाथ छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया. जिसके कारण अब इस सीट पर उपचुनाव होने हैं. अशोकनगर सीट के इतिहास को देखें तो यहां बीजेपी का दबदबा रहा है और कांग्रेस 33 साल बाद 2018 के चुनाव में इस सीट पर जीत दर्ज कर पाई थी.
अशोकनगर में सिंधिया कितने असरदार?
कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया के अगर अशोकनगर सीट पर व्यक्तिगत प्रभाव को देखा जाए तो अशोकनगर सिंधिया के कोर एरिया में है, लेकिन यहां सिंधिया का असर परिस्थितियों पर निर्भर रहता है. अशोकनगर वह सीट है, जहां लोकसभा चुनाव में खुद सिंधिया को कम वोट मिलते हैं.
विधानसभा का जातिगत समीकरण
जातिगत आंकड़ों के लिहाज से अशोकनगर विधानसभा सीट को अगर देखा जाए तो यहां पर अनुसूचित जाति वर्ग, यादव और रघुवंशी मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते आए हैं. एक अनुमान के मुताबिक अशोकनगर विधानसभा में करीब 38 हजार अनूसुचित जाति वर्ग के मतदाता, करीब 28 हजार यादव मतदाता, 25 हजार रघुवंशी मतदाता हैं. इसके अलावा करीब 14 हजार ब्राह्मण, 10 हजार जैन, 12 हजार मुस्लिम, 14 हजार कुशवाह सहित शेष अन्य जातियों के मतदाता भी हैं.