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शासन की योजनाओं पर नहीं हो रहा अमल, गैस सिलेंडर होने के बाद भी चूल्हे पर पकाया जा रहा मध्याह्न भोजन - Cooking women are not aware of the use of cylinders

अशोकनगर जिले के सरकारी स्कूलों में गैस पर खाना न बनाकर चूल्हे पर खाना बनाया जा रहा है. खाना बनाने वाली महिलाएं और स्कूल के बच्चों के स्वास्थ्य पर धुएं का बुरा असर पड़ रहा है. हालांकि शासन ने गैस कनेक्शन के लिए स्कूलों को राशि जारी कर दी थी, लेकिन अभी भी खाना चूल्हे पर ही बन रहा है.

Food is made on the stove, not gas
गैस नहीं, चूल्हे पर बनता है खाना
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Published : Feb 7, 2020, 11:10 AM IST

Updated : Feb 7, 2020, 3:13 PM IST

अशोकनगर। स्कूलों में मिड डे मील बनाने के लिए शासन ने 1,459 गैस कनेक्शन की राशि शासकीय स्कूलों के खाते में डाली थी, लेकिन जिले के स्कूलों में चूल्हे पर लकड़ी और कंडों से खाना बनाया जा रहा है. चूल्हे पर खाना बनाते समय निकलने वाले धुएं से बच्चों के साथ-साथ समूह की महिलाओं के स्वास्थ्य पर भी खराब प्रभाव पड़ रहा है.

गैस नहीं, चूल्हे पर बनता है खाना

खाना बनाने वाली महिलाओं को सिलेंडर से रेगुलेटर निकालना भी नहीं आता है. यदि आगजनी की घटना होती है तो स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के लिए बड़ा खतरा बन सकता है. बता दें कि सिलेंडर और चूल्हा खरीदने के लिए 23 जनवरी को 505 स्कूलों को 33 लाख 21 हजार 385 रुपए की राशि जारी की गई थी.

राशि जारी करने का उद्देश्य था कि खाना पकाते समय धुएं से महिलाओं का स्वास्थ्य खराब नहीं हो, साथ ही पेड़ों की कम कटाई से हरियाली बची रहे, लेकिन इसके बावजूद महिलाओं को जहां सिलेंडर ऑन और बंद करना भी नहीं आता, तो वहीं कई महिलाओं को रेगुलेटर सिलेंडर से निकालना और लगाना भी नहीं आता, जो हादसे का सबब बन सकता है.

अशोकनगर। स्कूलों में मिड डे मील बनाने के लिए शासन ने 1,459 गैस कनेक्शन की राशि शासकीय स्कूलों के खाते में डाली थी, लेकिन जिले के स्कूलों में चूल्हे पर लकड़ी और कंडों से खाना बनाया जा रहा है. चूल्हे पर खाना बनाते समय निकलने वाले धुएं से बच्चों के साथ-साथ समूह की महिलाओं के स्वास्थ्य पर भी खराब प्रभाव पड़ रहा है.

गैस नहीं, चूल्हे पर बनता है खाना

खाना बनाने वाली महिलाओं को सिलेंडर से रेगुलेटर निकालना भी नहीं आता है. यदि आगजनी की घटना होती है तो स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के लिए बड़ा खतरा बन सकता है. बता दें कि सिलेंडर और चूल्हा खरीदने के लिए 23 जनवरी को 505 स्कूलों को 33 लाख 21 हजार 385 रुपए की राशि जारी की गई थी.

राशि जारी करने का उद्देश्य था कि खाना पकाते समय धुएं से महिलाओं का स्वास्थ्य खराब नहीं हो, साथ ही पेड़ों की कम कटाई से हरियाली बची रहे, लेकिन इसके बावजूद महिलाओं को जहां सिलेंडर ऑन और बंद करना भी नहीं आता, तो वहीं कई महिलाओं को रेगुलेटर सिलेंडर से निकालना और लगाना भी नहीं आता, जो हादसे का सबब बन सकता है.

Intro:अशोकनगर. शासकीय स्कूलों में बच्चों को धुआं रहित मध्यान भोजन मिले एवं खाना पकाने वाली महिलाओं को भी धुंए की वजह से स्वास्थ्य खराब ना हो, इस उद्देश्य से शासन द्वारा 1459 गैस कनेक्शन की राशि स्कूलों के खाते में डाली गई है.लेकिन ETV BHARAT ने जब हकीकत जानने ग्रामीण क्षेत्रों का भ्रमण किया तो मामला कुछ अलग ही दिखाई दिया.स्कूलों में किचन शेड में गैस सिलेंडर तो रखे हैं लेकिन फिर भी चुल्हो पर ही मध्यान भोजन तैयार किया जा रहा है. यहां तक कि महिलाओं को सिलेंडर से रेगुलेटर तक निकालना नहीं आता.


Body:स्कूलों में मध्यान्ह भोजन बनाने के दौरान लकड़ी और कंडों से उठने वाले धुएं का बच्चों के साथ-साथ खाना बनाने वाली समूह की महिलाओं के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव ना पड़े. इसके लिए शासन द्वारा तीन चरणों में 1459 गैस कनेक्शन की राशि शासकीय स्कूलों के खाते में डाली गई. लेकिन आज भी सैकड़ों स्कूल ऐसे हैं जहां सिलेंडर और चूल्हा तो है, लेकिन आज भी लकड़ी और कंडो पर ही चूल्हा जलाकर भोजन पकाया जा रहा है. इसकी पड़ताल जब ईटीवी भारत ने ग्रामीण क्षेत्र में पहुंचकर की तो पता चला किचन मैं खाना बनाने वाली महिलाओं को सिलेंडर से रेगुलेटर तक दूर करना नहीं आता. ऐसे में यदि आगजनी की घटना होती है तो स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के लिए बड़ा खतरा बन सकता है.
जिले के स्कूलों में मध्यान्ह भोजन बनाने के लिए स्कूलों को 2 सिलेंडर एवं चूल्हा खरीदने के लिए 23 जनवरी को 505 स्कूलों को 33 लाख 21 हजार 385 रुपए की राशि जारी की गई. यह राशि जारी करने का प्रमुख उद्देश्य है कि खाना पकाते समय होने वाले धुए से महिलाओं का स्वास्थ्य ना बिगड़े एवं पेड़ों की कम कटाई होने की वजह से हरियाली बची रहे. लेकिन इसके बावजूद भी महिलाओं को जहां सिलेंडर चालू और बंद करना भी नहीं आता तो वहीं कई महिलाओं को रेगुलेटर सिलेंडर से निकालना और लगाना भी नहीं आता. जो बड़ी लापरवाही का उदाहरण है.
1205 स्व सहायता समूह करते हैं 1477 स्कूलों में भोजन वितरण- जिले में मध्यान भोजन वाले स्व सहायता समूह की संख्या 1205 है, जो 1477 स्कूलों में मध्यान्ह भोजन का वितरण करते हैं. पहले चरण में वर्ष 2014 में 200 गैस कनेक्शन तो दूसरे चरण में वर्ष 2019 जून माह में 754 गैस कनेक्शन, जबकि अभी 505 स्कूलों में गैस कनेक्शन उपलब्ध कराए गए हैं.इसके बावजूद भी जिले के सैकड़ों स्कूलों में अभी भी लकड़ी और कंडे पर ही खाना बनाया जा रहा है.
ग्राम दियाधरी, धोरा में किचन सेट में मौजूद स्व सहायता समूह की महिलाओं से बात की गई तो उन्होंने पहले तो गैस सिलेंडर आने के फायदे बताते हुए धुए के कारण तबीयत खराब होने की बात कही गई. लेकिन जब उनसे पूछा गया कि गैस सिलेंडर होने के बावजूद भी चूल्हे पर खाना क्यों बनाया जा रहा है? तो उन्होंने कढ़ाई बड़ी होने का बहाना बताया लेकिन जब उनसे सिलेंडर रेगुलेटर लगाने और हटाने की बात कही गई,तो ना तो भी सिलेंडर में रेगुलेटर लगा पाए और ना ही निकाल पाए इस दौरान गांव के युवक द्वारा उन्हें रेगुलेटर लगाना और निकालना बताया गया.
एसडीएम सुरेश जाधव ने बताया आपके द्वारा ही बताया गया एवं मेरे द्वारा भी नहीं निरीक्षण में पाया गया की अत्यधिक स्कूलों में मध्यान भोजन बनाते समय गैस सिलेंडर का प्रयोग ना करते हुए चुल्हो का प्रयोग किया जाता है.महिलाओं को रेगुलेटर लगाना नहीं आता या गैस चलाना नहीं आता, इस संबंध में फूड विभाग को पत्र जारी किया जाएगा कि वे इनकी कार्यशाला कर उन्हें इस संबंध में जानकारी दें.
बाइट-भूरिया बाई, समूह सदस्य
बाइट-गायत्री बाई, समूह सदस्य
बाइट-सुरेश जाधव,एसडीएम


Conclusion:
Last Updated : Feb 7, 2020, 3:13 PM IST
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