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रातभर गूंजती रही ढोलक और घुंघरुओं की आवाज, रंगपंचमी मेले में दिखा उत्साह

रंगपंचमी के मौके पर लोगों ने जहां जमकर धूम मचाई वहीं कई जगहों पर मेलों का आयोजन भी किया गया. अशोकनगर और रायसेन में रंगपंचमी के दिन मेले का आयोजन किया गया.

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Published : Mar 26, 2019, 6:21 PM IST

रंग पंचमी पर हुआ मेले का आयोजन

अशोकनगर/रायसेन। रंगपंचमी के मौके पर लोगों ने जहां जमकर धूम मचाई वहीं कई जगहों पर मेलों का आयोजन भी किया गया. अशोकनगर और रायसेन में रंगपंचमी के दिन मेले का आयोजन किया गया.

जिले से करीब 35 किलोमीटर दूर मुंगावली तहसील स्थित करीला धाम में रंगपंचमी पर लगने वाले प्रदेश के सबसे बड़े मेले का आयोजन हुआ. मेले में सोमवार को आस्था का जनसैलाब उमड़ पड़ा. मेले में इस बार प्रशासन ने मंदिर को आकर्षक ढंग से सजाया, तो वहीं मेले में आने वाले श्रद्धालुओं की तैयारियां भी अच्छी की गई. राई नृत्यों की वजह से रातभर करीला क्षेत्र में ढोलक की थाप और घुंघरुओं की आवाज गूंजती रही.

रंग पंचमी पर हुआ मेले का आयोजन


ऐसा माना जाता है कि करीला मंदिर महर्षि बाल्मीक का आश्रम है और जब माता सीता ने लव कुश को जन्म दिया था तब स्वर्ग से अप्सराओं ने आकर इसी स्थान पर नृत्य किया था. तब से ये परम्परा चली आ रही है कि जिन लोगों की मुराद पूरी हो जाती है तो वो लोग राई नृत्य कराने करीला मंदिर आते हैं. हर साल की तरह इस साल भी लगभग 20 लाख की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचे.

इतना ही नहीं कई बड़े नेता भी यहां माता जानकी के दर्शन करने के लिए आते हैं. इस बार मध्यप्रदेश सरकार में नगरीय प्रशासन मंत्री और दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह भी करीला मां जानकी के दर्शन करने पहुंचे. सुरक्षा की दृष्टि से भी यहां पुख्ता इंतजाम किए गए थे. चुनाव के मद्देनजर मतदाताओं को जागरुक करने के लिए कई कार्यक्रम मेले में किए गए.

रायसेन के गैरतगंज से महज तीन किलोमीटर की दूरी पर रंगपंचमी के दिन भानपुर गांव में भी मिनी करीला मंदिर में रंगपंचमी मेले का आयोजन किया गया. इस दौरान लोग बधाई नृत्य करते नजर आए.

अशोकनगर/रायसेन। रंगपंचमी के मौके पर लोगों ने जहां जमकर धूम मचाई वहीं कई जगहों पर मेलों का आयोजन भी किया गया. अशोकनगर और रायसेन में रंगपंचमी के दिन मेले का आयोजन किया गया.

जिले से करीब 35 किलोमीटर दूर मुंगावली तहसील स्थित करीला धाम में रंगपंचमी पर लगने वाले प्रदेश के सबसे बड़े मेले का आयोजन हुआ. मेले में सोमवार को आस्था का जनसैलाब उमड़ पड़ा. मेले में इस बार प्रशासन ने मंदिर को आकर्षक ढंग से सजाया, तो वहीं मेले में आने वाले श्रद्धालुओं की तैयारियां भी अच्छी की गई. राई नृत्यों की वजह से रातभर करीला क्षेत्र में ढोलक की थाप और घुंघरुओं की आवाज गूंजती रही.

रंग पंचमी पर हुआ मेले का आयोजन


ऐसा माना जाता है कि करीला मंदिर महर्षि बाल्मीक का आश्रम है और जब माता सीता ने लव कुश को जन्म दिया था तब स्वर्ग से अप्सराओं ने आकर इसी स्थान पर नृत्य किया था. तब से ये परम्परा चली आ रही है कि जिन लोगों की मुराद पूरी हो जाती है तो वो लोग राई नृत्य कराने करीला मंदिर आते हैं. हर साल की तरह इस साल भी लगभग 20 लाख की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचे.

इतना ही नहीं कई बड़े नेता भी यहां माता जानकी के दर्शन करने के लिए आते हैं. इस बार मध्यप्रदेश सरकार में नगरीय प्रशासन मंत्री और दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह भी करीला मां जानकी के दर्शन करने पहुंचे. सुरक्षा की दृष्टि से भी यहां पुख्ता इंतजाम किए गए थे. चुनाव के मद्देनजर मतदाताओं को जागरुक करने के लिए कई कार्यक्रम मेले में किए गए.

रायसेन के गैरतगंज से महज तीन किलोमीटर की दूरी पर रंगपंचमी के दिन भानपुर गांव में भी मिनी करीला मंदिर में रंगपंचमी मेले का आयोजन किया गया. इस दौरान लोग बधाई नृत्य करते नजर आए.
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रातभर गूंजती रही ढोलक और घुंघरुओं की आवाज, जानें क्या था माजरा 

अशोकनगर/रायसेन। रंगपंचमी के मौके पर लोगों ने जहां जमकर धूम मचाई वहीं कई जगहों पर मेलों का आयोजन भी किया गया. अशोकनगर और रायसेन में रंगपंचमी के दिन मेले का आयोजन किया गया.



जिले से करीब 35 किलोमीटर दूर मुंगावली तहसील स्थित करीला धाम में रंगपंचमी पर लगने वाले प्रदेश के सबसे बड़े मेले का ओयोजन हुआ. मेले में सोमवार को आस्था का जनसैलाब उमड़ पड़ा. मेले में इस बार प्रशासन ने मंदिर को आकर्षक ढंग से सजाया, तो वहीं मेले में आने बाले श्रद्धालुओं की तैयारियां भी अच्छी की गई. राई नृत्यों की वजह से रातभर करीला क्षेत्र में ढोलक की थाप और घुंघरुओं की आवाज गूंजती रही.

ऐसा माना जाता है कि करीला मंदिर महर्षि बाल्मीक का आश्रम है और जब माता सीता ने लव कुश को जन्म दिया था तब स्वर्ग से अप्सराओं ने आकर इसी स्थान पर नृत्य किया था. तब से ये परम्परा चली आ रही है कि  जिन लोगों की मुराद पूरी हो जाती है तो वो लोग राई नृत्य कराने करीला मंदिर आते हैं. हर साल की तरह इस साल भी लगभग 20 लाख की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचे. 

इतनी ही नहीं कई बड़े नेता भी यहां माता जानकी के दर्शन करने के लिए आते हैं. इस बार मध्यप्रदेश सरकार में नगरीय प्रशासन मंत्री और दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह भी करीला मां जानकी के दर्शन करने पहुंचे. सुरक्षा की दृष्टि से भी यहां पुख्ता इंतजाम किए गए थे. चुनाव के मद्देनजर मतदाताओं को जागरुक करने के लिए कई कार्यक्रम मेले में किए गए.

रायसेन के गैरतगंज से महज तीन किलोमीटर की दूरी पर रंगपंचमी के दिन भानपुर गांव में भी मिनी करीला मंदिर में रंगपंचमी मेले का आयोजन किया गया. इस दौरान लोग बधाई नृत्य करते नजर आए.


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