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कभी 'चंदेरी साड़ियों' पर फिदा हो जाती थीं महिलाएं, अब लॉकडाउन से सब खत्म - Ashoknagar special

अशोकनगर जिले की ऐतिहासिक नगरी चंदेरी, जो अपनी ऐतिहासिक विरासत और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए विख्यात है. इनके साथ चंदेरी अपनी बुनकर कला के लिए भी पूरे विश्व में जाना जाता है. लेकिन लॉकडाउन के 30 दिनों में इन व्यापारी और बुनकरों की कमर तोड़ कर रख दी है. व्यापार ना होने के कारण आज बुनकर भुखमरी की कगार पर आ पहुंचा है.

Chanderi sari industry ruined in lockdown
लॉकडाउन में चंदेरी साड़ी उद्योग हुआ बर्बाद
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Published : Apr 25, 2020, 11:37 PM IST

Updated : Apr 26, 2020, 3:49 PM IST

अशोकनगर। मध्य प्रदेश के अशोकनगर जिले में चंदेरी अपनी ऐतिहासिकता और चंदेरी की साड़ी के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है. मालवा और बुन्देलखंड की सीमा पर बसा यह नगर राजधानी भोपाल से लगभग सवा दो सौ किलोमीटर की दूरी पर है. चंदेरी, बेतवा नदी के नजदीक बसा है. यह नगर पहाड़ी, झीलों और वनों से घिरा हुआ है. जिसके कारण सैलानियों का आना जाना लगा रहा है. चंदेरी पर मालवा के सुल्तानों द्वारा बनवाई गई अनेक इमारतें यहां देखी जा सकती है. चंदेरी का जिक्र महाभारत में भी मिलता है. 11वीं शताब्दी में यह नगर एक महत्वपूर्ण सैनिक केंद्र था और प्रमुख व्यापारिक मार्ग भी यहीं से होकर जाते थे.

लॉकडाउन में चंदेरी साड़ी उद्योग हुआ बर्बाद

चंदेरी की हस्तनिर्मित साड़ियां देश सहित दुनियाभर में पंसद की जाती है. इसके साथ ही यहां की बुनकर कला अपनी अनूठी पहचान के लिए काफी मायने रखती है. लेकिन लॉकडाउन की वजह से चंदेरी के बुनकर और व्यापारी के सामने रोजी रोटी की एक बड़ा संकट खड़ा हो गया है.

बुनकर नासिर मोहम्मद ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से सभी बुनकरों की स्थिति दयनीय हो गई है. किसी भी बुनकर को काम नहीं मिल रहा है. वहीं लॉकडाउन के दौर में बुनकरों को कोई मदद नहीं मिल रही है. शासन ने भी इस मामले पर तो चुप्पी ही साध ली है.

लॉकडाउन ने बुनाई उद्योग की कमर तोड़कर रख दी है. जिससे बुनकर का परिवार और छोटे व्यापारी भुखमरी की कगार पर पहुंच चुके हैं. बुनकरों ने बताया कि सेठ साड़ी नहीं बनवा रहे हैं क्योंकि माल शहर से बाहर बिकने नहीं जा पा रहा और न ही बाहर से कच्चा माल चंदेरी आ पा रहा है. बड़े सेठों को इससे ज्यादा अंतर नहीं पड़ता लेकिन छोटे व्यापारी कच्चा माल का काम करने वाले व्यापारियों की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो चुकी है.

व्यापारी योगेश बिहारी ने लॉकडाउन के दौरान बिगड़ी माली हालात पर बोलते हुए कहा कि साड़ी बनाने का काम लगभग 15 दिनों से बंद है. उन्होंने कहा कि इस समय बुनकरों की स्थिति बहुत बुरी है. उन्होंने कहा कि जो राशन मिल गया था वहीं खाकर गुजारा चला रहे थे. लेकिन जब ये खत्म हो जाएंगे तो हम लोग कैसे अपना पेट भरेंगे.

अशोक नगर का चंदेरी नगर एशिया का पहले और भारत का एक मात्र बुनकर पार्क है. जहां लॉकडाउन के दौरान बंद हो गया है. बुनकर पार्क में सैंकड़ों बुनकर काम करते हैं. लेकिन लॉकडाउन का असर यहां भी साफ साफ दिखाई दे रहा है.

चंदेरी के बुनकरों के सामने 60 सालों में ऐसा समय कभी नहीं आया है. बुनकर साड़ियों का छोटा-मोटा काम कर अपना गुजर-बसर कर रहे थे. लेकिन लॉकडाउन ने इन लोगों को भुखमरी के दरवाजे पर लाकर खड़ा कर दिया है. अब देखना होगा कि प्रशासन इन बुनकरों के लिए कब तक रियायत देगा ताकि इन्हें भूखा न सोना पड़े.

अशोकनगर। मध्य प्रदेश के अशोकनगर जिले में चंदेरी अपनी ऐतिहासिकता और चंदेरी की साड़ी के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है. मालवा और बुन्देलखंड की सीमा पर बसा यह नगर राजधानी भोपाल से लगभग सवा दो सौ किलोमीटर की दूरी पर है. चंदेरी, बेतवा नदी के नजदीक बसा है. यह नगर पहाड़ी, झीलों और वनों से घिरा हुआ है. जिसके कारण सैलानियों का आना जाना लगा रहा है. चंदेरी पर मालवा के सुल्तानों द्वारा बनवाई गई अनेक इमारतें यहां देखी जा सकती है. चंदेरी का जिक्र महाभारत में भी मिलता है. 11वीं शताब्दी में यह नगर एक महत्वपूर्ण सैनिक केंद्र था और प्रमुख व्यापारिक मार्ग भी यहीं से होकर जाते थे.

लॉकडाउन में चंदेरी साड़ी उद्योग हुआ बर्बाद

चंदेरी की हस्तनिर्मित साड़ियां देश सहित दुनियाभर में पंसद की जाती है. इसके साथ ही यहां की बुनकर कला अपनी अनूठी पहचान के लिए काफी मायने रखती है. लेकिन लॉकडाउन की वजह से चंदेरी के बुनकर और व्यापारी के सामने रोजी रोटी की एक बड़ा संकट खड़ा हो गया है.

बुनकर नासिर मोहम्मद ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से सभी बुनकरों की स्थिति दयनीय हो गई है. किसी भी बुनकर को काम नहीं मिल रहा है. वहीं लॉकडाउन के दौर में बुनकरों को कोई मदद नहीं मिल रही है. शासन ने भी इस मामले पर तो चुप्पी ही साध ली है.

लॉकडाउन ने बुनाई उद्योग की कमर तोड़कर रख दी है. जिससे बुनकर का परिवार और छोटे व्यापारी भुखमरी की कगार पर पहुंच चुके हैं. बुनकरों ने बताया कि सेठ साड़ी नहीं बनवा रहे हैं क्योंकि माल शहर से बाहर बिकने नहीं जा पा रहा और न ही बाहर से कच्चा माल चंदेरी आ पा रहा है. बड़े सेठों को इससे ज्यादा अंतर नहीं पड़ता लेकिन छोटे व्यापारी कच्चा माल का काम करने वाले व्यापारियों की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो चुकी है.

व्यापारी योगेश बिहारी ने लॉकडाउन के दौरान बिगड़ी माली हालात पर बोलते हुए कहा कि साड़ी बनाने का काम लगभग 15 दिनों से बंद है. उन्होंने कहा कि इस समय बुनकरों की स्थिति बहुत बुरी है. उन्होंने कहा कि जो राशन मिल गया था वहीं खाकर गुजारा चला रहे थे. लेकिन जब ये खत्म हो जाएंगे तो हम लोग कैसे अपना पेट भरेंगे.

अशोक नगर का चंदेरी नगर एशिया का पहले और भारत का एक मात्र बुनकर पार्क है. जहां लॉकडाउन के दौरान बंद हो गया है. बुनकर पार्क में सैंकड़ों बुनकर काम करते हैं. लेकिन लॉकडाउन का असर यहां भी साफ साफ दिखाई दे रहा है.

चंदेरी के बुनकरों के सामने 60 सालों में ऐसा समय कभी नहीं आया है. बुनकर साड़ियों का छोटा-मोटा काम कर अपना गुजर-बसर कर रहे थे. लेकिन लॉकडाउन ने इन लोगों को भुखमरी के दरवाजे पर लाकर खड़ा कर दिया है. अब देखना होगा कि प्रशासन इन बुनकरों के लिए कब तक रियायत देगा ताकि इन्हें भूखा न सोना पड़े.

Last Updated : Apr 26, 2020, 3:49 PM IST
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