अशोकनगर। वैसे तो जिला अस्पताल की लापरवाही सुर्खियों में रहती है, लेकिन जिले भर में केवल एक ही शव वाहन है और वह भी अक्सर जर्जर स्थिति में रहता है. जब भी शव वाहन को कहीं ले जाना होता है तो वो खराब ही मिलता है. यदि सही भी हो तो रास्ते में कब और कहां खराब हो जाए, इसकी कोई गारंटी नहीं है.
शव वाहन का पिछला गेट टूटा हुआ
जिला अस्पताल में एकमात्र शव वाहन है, जो सरकारी अस्पताल की बदहाली की दास्तां बयान करता है. प्रबंधन की लापरवाही के चलते वाहन का समय से मरम्मत नहीं कराने के चलते वो कभी रास्ते में खराब हो जाता है तो कभी टूट-फूट की संभावना बनी रहती है. हाल ही में शव वाहन का पिछला गेट टूटा हुआ है, जिसके चलते शव ले जाते समय परिजनों को शव पकड़कर बैठना पड़ता है क्योंकि गेट नहीं होने की वजह से शव के नीचे गिरने का अंदेशा बना रहता है.
सिविल सर्जन ने बताई वाहन चालक की साजिश
जब इस लापरवाही पर जिम्मेदार सिविल सर्जन से बात की गई तो उनका कहना था कि ये जान-बूझकर वाहन चालक द्वारा की जाने वाली साजिश है, वैसे आपके द्वारा ये मामला मेरे संज्ञान में लाया गया है. इसके बाद तत्काल वाहन को मैकेनिक के यहां दुरुस्त कराने के लिए भेज दिया है, जो जल्दी ही ठीक हो जाएगा.
खबर में आने पर ही प्रबंधन करता है सुधार
बात ये है कि जब भी जिला अस्पताल की लापरवाही की खबरें मीडिया में आती हैं, तभी अस्पताल प्रबंधन सुधार का प्रयास करता है, लेकिन प्रबंधन की जिम्मेदारी बनती है कि यदि किसी चीज में कुछ कमी दिखाई दे रही है तो उसको पहले से ही दुरुस्त करा लिया जाए.