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माघी पूर्णिमा पर हजारों श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी; तिल, गुड़, कंबल और कपड़ों का किया दान

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Published : Feb 5, 2023, 7:32 PM IST

माघ पूर्णिमा के मौके पर देशभर की नदियों में हजारों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई. अमरकंटक में नर्मदा स्नान के लिए हुजूम उमड़ा. लोगों ने दान करने के साथ सूर्य देव की उपासना की.

holy dip on magh poornima
माघी पूर्णिमा पर नर्मदा स्नान के लिए लगी श्रद्धालुओं की भीड़
माघी पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं ने किया पवित्र स्नान

अनूपपुर। माघ पूर्णिमा के मौके पर रविवार को पवित्र नगरी अमरकंटक में आस्था की डुबकी लगाने हजारों की संख्या में लोग पहुंचे. श्रद्धालुओं ने नर्मदा तीर्थकोटी कुंड एवं रामघाट में स्नान करने के बाद दीपदान किया. सूर्य देव को प्रणाम कर नर्मदे हर के जयकारे लगाए. तिल, गुड़, कंबल और कपड़ों का दान भी किया. अमरकंटक के आश्रमों, मंदिरों, देवालयों एवं सार्वजनिक स्थानों पर भंडारे का आयोजन किया गया, जहां लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया.

धरती पर उतर आते हैं देवी-देवता : हिंदी पंचाग के माघ महीने का धार्मिक दृष्टिकोण से खासा महत्व है. माना जाता है कि माघ माह में पवित्र नदियों और सरोवरों में डुबकी लगाने वाले मनुष्य पापों से मुक्त हो जाते हैं. माघ मास की पूर्णिमा को इस स्नान की महत्ता काफी बढ़ जाती है. धार्मिक मान्यता के मुताबिक, माघ मास की पूर्णिमा को सभी देवी-देवता धरती पर उतर आते हैं और पवित्र नदियों में स्नान करते हैं.

मघा नक्षत्र में होता है चंद्रमा : अमरकंटक स्थित नर्मदा मंदिर के पुजारी उमेश द्विवेदी के मुताबिक, माघ माह की पूर्णिमा या माघी पूर्णिमा के दिन श्री हरि विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं। इस दिन गंगा स्नान का विशेष फल प्राप्त होता है। माघ मास की पूर्णिमा पर चंद्रमा मघा नक्षत्र और सिंह राशि में होता है। मघा नक्षत्र होने के कारण ही इस तिथि को माघ पूर्णिमा कहा जाता है। माघी पूर्णिमा पर देवता भी गंगा स्नान के लिए प्रयाग आते हैं, इसलिए इस तिथि पर गंगा स्नान करना बहुत शुभ माना गया है. माघ माह में एक महीने के कल्पवास की पूर्णता भी पूर्णिमा के दिन ही होती है.

माघ पूर्णिमाः प्रयागराज माघ मेला के संगम में पुण्य की डुबकी

स्नान का महत्व : द्विवेदी बताते हैं कि माघ मास की पूर्णिमा पर गंगा, नर्मदा सहित अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने पर अनंत कोटि गुणफल की प्राप्ति होती है. इसका लाभ उठाने के लिए श्रद्धालु अगर प्रयागराज स्थित संगम न जा पाएं तो गंगा, गोदावरी, कावेरी, नर्मदा, कृष्णा, क्षिप्रा, सिंधु, सरस्वती, ब्रह्मपुत्र आदि पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए. इस मास में दान करने से समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति होती है. द्विवेदी ने कहा कि शास्त्रों में तीन महीनों के स्नान का वर्णन है. इनमें पहला कार्तिक, दूसरा माघ और तीसरा वैशाख माह है. जो लोग माघ मास की पूर्णिमा के दिन पवित्र स्नान करते हैं, उन्हें पूरे महीने के स्नान के पुण्य फल की प्राप्ति होती है.

माघी पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं ने किया पवित्र स्नान

अनूपपुर। माघ पूर्णिमा के मौके पर रविवार को पवित्र नगरी अमरकंटक में आस्था की डुबकी लगाने हजारों की संख्या में लोग पहुंचे. श्रद्धालुओं ने नर्मदा तीर्थकोटी कुंड एवं रामघाट में स्नान करने के बाद दीपदान किया. सूर्य देव को प्रणाम कर नर्मदे हर के जयकारे लगाए. तिल, गुड़, कंबल और कपड़ों का दान भी किया. अमरकंटक के आश्रमों, मंदिरों, देवालयों एवं सार्वजनिक स्थानों पर भंडारे का आयोजन किया गया, जहां लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया.

धरती पर उतर आते हैं देवी-देवता : हिंदी पंचाग के माघ महीने का धार्मिक दृष्टिकोण से खासा महत्व है. माना जाता है कि माघ माह में पवित्र नदियों और सरोवरों में डुबकी लगाने वाले मनुष्य पापों से मुक्त हो जाते हैं. माघ मास की पूर्णिमा को इस स्नान की महत्ता काफी बढ़ जाती है. धार्मिक मान्यता के मुताबिक, माघ मास की पूर्णिमा को सभी देवी-देवता धरती पर उतर आते हैं और पवित्र नदियों में स्नान करते हैं.

मघा नक्षत्र में होता है चंद्रमा : अमरकंटक स्थित नर्मदा मंदिर के पुजारी उमेश द्विवेदी के मुताबिक, माघ माह की पूर्णिमा या माघी पूर्णिमा के दिन श्री हरि विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं। इस दिन गंगा स्नान का विशेष फल प्राप्त होता है। माघ मास की पूर्णिमा पर चंद्रमा मघा नक्षत्र और सिंह राशि में होता है। मघा नक्षत्र होने के कारण ही इस तिथि को माघ पूर्णिमा कहा जाता है। माघी पूर्णिमा पर देवता भी गंगा स्नान के लिए प्रयाग आते हैं, इसलिए इस तिथि पर गंगा स्नान करना बहुत शुभ माना गया है. माघ माह में एक महीने के कल्पवास की पूर्णता भी पूर्णिमा के दिन ही होती है.

माघ पूर्णिमाः प्रयागराज माघ मेला के संगम में पुण्य की डुबकी

स्नान का महत्व : द्विवेदी बताते हैं कि माघ मास की पूर्णिमा पर गंगा, नर्मदा सहित अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने पर अनंत कोटि गुणफल की प्राप्ति होती है. इसका लाभ उठाने के लिए श्रद्धालु अगर प्रयागराज स्थित संगम न जा पाएं तो गंगा, गोदावरी, कावेरी, नर्मदा, कृष्णा, क्षिप्रा, सिंधु, सरस्वती, ब्रह्मपुत्र आदि पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए. इस मास में दान करने से समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति होती है. द्विवेदी ने कहा कि शास्त्रों में तीन महीनों के स्नान का वर्णन है. इनमें पहला कार्तिक, दूसरा माघ और तीसरा वैशाख माह है. जो लोग माघ मास की पूर्णिमा के दिन पवित्र स्नान करते हैं, उन्हें पूरे महीने के स्नान के पुण्य फल की प्राप्ति होती है.

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