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रूपन बाई ने स्कूल के नाम कर दी पुश्तैनी जमीन - School building in Dola village

डोला गांव में स्कूल भवन बनाने के लिए रूपन बाई ने अपनी पुश्तैनी जमीन दे दी है. जिसके बाद अब स्कूल बनकर तैयार है. स्कूल बनने के बाद रूपन बाई बेहद खुश हैं.

Rupan Bai gave his land for school
रूपन बाई ने स्कूल के नाम की जमीन
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Published : Feb 15, 2021, 9:00 PM IST

अनूपपुर। जिले के डोला गांव में रहने वाली 65 साल की रूपन बाई ने शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए जो काम किया. उसकी हर ओर तारीफ हो रही है. रुपन बाई ने अपनी पुस्तैनी जमीन शासकीय हाई स्कूल भवन निर्माण के लिए दे दी. ताकि गांव में स्कूल का भवन बने और बच्चे पढ़ाई कर सकें. अब स्कूल भवन बनकर तैयार है. और बच्चे पढ़ाई करने के लिए स्कूल भी पहुंच रहे हैं.

  • खुद नहीं की पढ़ाई लेकिन स्कूल के लिए दे दी जमीन

रुपन बाई खुद पढ़ी लिखी नहीं हैं. इसलिए वह शिक्षा का महत्व बखूबी जानती है. विद्यालय बनाने के लिए विभाग द्वारा प्रयास किया जा रहा था, इसके लिए राशि भी स्वीकृत कर दी गई थी. लेकिन भूमि नहीं मिलने की वजह से विद्यालय खोलने का काम लम्बे समय से अटका हुआ था. जिसकी जानकारी रूपन बाई लगी तो उन्होंने विद्यालय प्रबंधन को अपनी जमीन देने की बात कहीं. जिसके बाद विद्यालय के शिक्षकों द्वारा इसकी जानकारी अपने वरिष्ठ अधिकारियों को दी गई. भू-स्वामी की सहमति मिलने के बाद भवन निर्माण भी पूर्ण हो गया.

5 वर्षों से अधूरा पड़ा प्राथमिक स्कूल का सीसी रोड

  • 'मैं शिक्षित नहीं इसलिए जानती हूं शिक्षा का महत्व'

स्कूल निर्माण के लिए जमीन देने के बाद रूपन बाई ने कहा कि उनके गांव में स्कूल नहीं था. इसलिए वह खुद शिक्षित नहीं हो सकी. लेकिन वह चाहती हैं कि हर बच्चा शिक्षित हो. इसलिए उन्होंने स्कूल के निर्माण के लिए अपनी पुस्तैनी जमीन दे दी. रूपन बाई ने बताया कि उन्हें पता चला कि शिक्षा विभाग के लोग गांव में स्कूल बनाने के लिए जमीन की तलाश कर रहे हैं. तो उन्होंने अपनी जमीन देने की बात कही.

अनूपपुर। जिले के डोला गांव में रहने वाली 65 साल की रूपन बाई ने शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए जो काम किया. उसकी हर ओर तारीफ हो रही है. रुपन बाई ने अपनी पुस्तैनी जमीन शासकीय हाई स्कूल भवन निर्माण के लिए दे दी. ताकि गांव में स्कूल का भवन बने और बच्चे पढ़ाई कर सकें. अब स्कूल भवन बनकर तैयार है. और बच्चे पढ़ाई करने के लिए स्कूल भी पहुंच रहे हैं.

  • खुद नहीं की पढ़ाई लेकिन स्कूल के लिए दे दी जमीन

रुपन बाई खुद पढ़ी लिखी नहीं हैं. इसलिए वह शिक्षा का महत्व बखूबी जानती है. विद्यालय बनाने के लिए विभाग द्वारा प्रयास किया जा रहा था, इसके लिए राशि भी स्वीकृत कर दी गई थी. लेकिन भूमि नहीं मिलने की वजह से विद्यालय खोलने का काम लम्बे समय से अटका हुआ था. जिसकी जानकारी रूपन बाई लगी तो उन्होंने विद्यालय प्रबंधन को अपनी जमीन देने की बात कहीं. जिसके बाद विद्यालय के शिक्षकों द्वारा इसकी जानकारी अपने वरिष्ठ अधिकारियों को दी गई. भू-स्वामी की सहमति मिलने के बाद भवन निर्माण भी पूर्ण हो गया.

5 वर्षों से अधूरा पड़ा प्राथमिक स्कूल का सीसी रोड

  • 'मैं शिक्षित नहीं इसलिए जानती हूं शिक्षा का महत्व'

स्कूल निर्माण के लिए जमीन देने के बाद रूपन बाई ने कहा कि उनके गांव में स्कूल नहीं था. इसलिए वह खुद शिक्षित नहीं हो सकी. लेकिन वह चाहती हैं कि हर बच्चा शिक्षित हो. इसलिए उन्होंने स्कूल के निर्माण के लिए अपनी पुस्तैनी जमीन दे दी. रूपन बाई ने बताया कि उन्हें पता चला कि शिक्षा विभाग के लोग गांव में स्कूल बनाने के लिए जमीन की तलाश कर रहे हैं. तो उन्होंने अपनी जमीन देने की बात कही.

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