अनूपपुर। शहडोल संभाग के अनूपपुर जिले में तीन विधानसभा सीट आती हैं. अनूपपुर विधानसभा सीट का समीकरण हम आपको बता चुके हैं, और आज बात करेंगे कोतमा विधानसभा सीट की. कोतमा विधानसभा सीट हमेशा सुर्खियों में रहने वाली विधानसभा सीट है. वजह है संभाग की आठ विधानसभा सीटों में से एकमात्र सामान्य सीट है. कोतमा सीट जहां दावेदारों की भरमार रहती है, और यहां का चुनावी समीकरण भी दिलचस्प रहता है. क्योंकि यहां की चुनावी लड़ाई इतनी आसान नहीं होती है. आखिर क्या कहता है कोतमा विधानसभा सीट का चुनावी समीकरण. इस बार किसका पलड़ा रहेगा भारी, तो वहीं किसका पलड़ा है कमजोर. क्या बीजेपी कर पाएगी वापसी, या फिर कांग्रेस एक बार फिर से लगा जाएगी जोर, देखना दिलचस्प होगा.
वर्तमान में कांग्रेस का कब्जा: कोतमा विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो कोतमा व्यापारियों का एक बड़ा केंद्र है. यह माइंस के लिए भी जाना जाता है, और एक सामान्य विधानसभा सीट है. कोतमा विधानसभा सीट में वर्तमान में कांग्रेस पार्टी का ही कब्जा है. पिछले दो चुनाव से कांग्रेस पार्टी यहां बाजी मार रही है और इस बार कांग्रेस के पास इस विधानसभा सीट से हैट्रिक लगाने का भी मौका है. 2013 में भी कांग्रेस ने यहां से जीत दर्ज की थी और 2018 में भी कांग्रेस ने बाजी मारी थी. वर्तमान में कोतमा विधानसभा सीट से कांग्रेस के सुनील सराफ विधायक हैं.
क्या कहते हैं आंकड़े? कोतमा विधानसभा सीट में 2018 चुनाव के आंकड़ों पर नजर डालें तो कोतमा से कांग्रेस की ओर से जहां सुनील सराफ मैदान पर थे तो वहीं भारतीय जनता पार्टी की ओर से दिलीप कुमार जायसवाल मैदान पर थे. यह सीट हमेशा सुर्खियों में रहती है, वजह है यह जनरल सीट है और इस सीट से 2018 में कांग्रेस के सुनील सराफ ने शानदार जीत दर्ज की थी. भारतीय जनता पार्टी के दिलीप जायसवाल को 11,429 मतों के अंतर से हरा दिया था.
- 2013 के चुनाव के आंकड़ों पर नजर डालें तो कोतमा विधानसभा सीट में कांग्रेस से जहां मनोज कुमार मैदान पर थे, तो वहीं भारतीय जनता पार्टी की ओर से राजेश सोनी मैदान पर थे, और यहां पर कांग्रेस के मनोज कुमार अग्रवाल 1,546 मतों से भारतीय जनता पार्टी के राजेश सोनी से जीत गए थे.
- 2008 के चुनावी आंकड़ों पर नजर डालें तो कोतमा से बीजेपी की ओर से जहां दिलीप जायसवाल मैदान पर थे तो कांग्रेस की ओर से मनोज कुमार अग्रवाल मैदान पर थे और यहां पर भारतीय जनता पार्टी के दिलीप जायसवाल ने 1,849 मतों से मनोज कुमार अग्रवाल को हरा दिया था.
- 2003 के चुनावी आंकड़ों पर नजर डालें तो कोतमा विधानसभा सीट से जयसिंह मरावी भारतीय जनता पार्टी की ओर से मैदान पर थे, और कांग्रेस की ओर से आनंद राम सिंह मैदान पर थे और यहां पर जय सिंह मरावी ने आनंद राम सिंह को 19,013 वोट के भारी अंतर से हराया था.
सीट एक दावेदार अनेक: कोतमा विधानसभा सीट हर बार सुर्खियों में रहती है. वजह है संभाग की इकलौती सामान्य सीट है और यहां से दावेदार भी बहुत ज्यादा रहते हैं. अभी विधानसभा चुनाव में समय है लेकिन पिछले कई महीने से कोतमा विधानसभा सीट से बीजेपी हो या कांग्रेस हर पार्टी से कई दावेदार तैयारी में लगे हुए हैं, और टिकट के लिए भी अपना पूरा जोर लगा रहे हैं. कोतमा विधानसभा में टिकट की लड़ाई ही बड़ी होती है और दोनों ही पार्टियों के लिए एक बेहतर कैंडिडेट लाना एक चुनौती होती है. क्योंकि यहां से टिकट के दावेदार बहुत होते हैं, और सभी दावेदारों को संतुष्ट करना और उनमें से किसी एक को चुनकर टिकट देना दोनों ही पार्टियों के लिए बड़ी चुनौती होती है. कोतमा विधानसभा सीट के समीकरण की बात करें तो इस बार बीजेपी और कांग्रेस दोनों जोर लगा रही हैं. हालांकि वर्तमान में कोतमा सीट पर कांग्रेस का कब्जा है और इस बार भी वर्तमान विधायक सुनील सराफ को एक मजबूत प्रत्याशी माना जा रहा है. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि ''कोतमा सीट पर सुनील सराफ को हराना इतना आसान नहीं है क्योंकि आज भी जनता से उनका जुड़ाव पहले जैसा ही बना हुआ है.''
जनता के बीच लोकप्रिय सुनील सराफ: कोतमा विधानसभा क्षेत्र के कुछ लोगों से जब ईटीवी भारत ने बात की तो उनका कहना है कि ''कांग्रेस के सुनील सराफ आज भी आम पब्लिक से जुड़े रहते हैं.'' राजनीतिक जानकारों की माने तो कांग्रेस के लोकल संगठन के लोग जरूर नाराज हैं लेकिन आम पब्लिक के बीच में उनका जुड़ाव उतना ही बना हुआ है, मतलब पब्लिक उनसे खुश है और यही उनकी ताकत है और इस बार के चुनाव में भी इसे उनकी बड़ी ताकत मानी जा रही है.
जनता के मुद्दे: कोतमा विधानसभा चुनाव अलग ही तरह का चुनाव होता है यहां पर किसी नेता का जनता से जुड़ाव कितना है इस पर ज्यादा वोट होते हैं, कौन सा नेता जनता के बीच ज्यादा समय रहता है, ज्यादा समय देता है. जनता की बातों को सुनता है. इस पर मतदाता ज्यादा प्रभावित होते हैं. हालांकि आज भी वहां कई बड़े मुद्दे बने हुए हैं, जैसे रोजगार के लिए पलायन जारी है, स्वास्थ्य की अच्छी सुविधाएं नहीं हैं, सड़कों का हाल बेहाल है. क्षेत्र में आज भी बुनियादी सुविधाओं की कमी है.
गुटबाजी बन सकती है बड़ी समस्या: भारतीय जनता पार्टी हो या फिर कांग्रेस जब किसी सीट से टिकट के दावेदारों की लिस्ट बड़ी होती है तो जाहिर सी बात है उस पार्टी में गुटबाजी भी होगी. कांग्रेस की बात करें तो कांग्रेस में भी गुटबाजी चरम पर है इतना ही नहीं वर्तमान कांग्रेस विधायक को लेकर कांग्रेस के जिला संगठन के कुछ वरिष्ठ नेता ही विरोध कर रहे हैं. कांग्रेस पार्टी के कुछ वरिष्ठ कार्यकर्ताओ ने एक अपनी टीम बनाई है जिसे जी-20 टीम नाम दिया है. वर्तमान विधायक सुनील सराफ को टिकट न देने की बात पर अड़े हुए हैं, तो वहीं यही बात कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं और गुटबाजी को हवा दे सकती हैं.
भाजपा में टिकट के कई दावेदार: भारतीय जनता पार्टी की बात करें तो कोतमा विधानसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी की ओर से भी टिकट के कई दावेदार हैं, और अभी से तैयारी में जुटे हुए हैं. जाहिर सी बात है वहां भी गुटबाजी चरम पर होगी. ऐसे में चुनाव से पहले पार्टी के अंदर खाने ही गुटबाजी दोनों पार्टियों के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं, और जो भी पार्टी इसमें लगाम लगाने में कामयाब हो जाएगी वह मजबूत भी हो जाएगी.
कोतमा विधानसभा में वोटर्स: कोतमा विधानसभा सीट के वोटर्स की संख्या पर नजर डालें तो टोटल लगभग 1,50,518 वोटर्स की संख्या है. जिसमें से 77,297 पुरुष वोटर हैं. 73,121 महिला वोटर हैं, और अन्य लगभग 100 हैं.