Anuppur Assembly Seat: शहडोल संभाग के अनूपपुर जिले में तीन विधानसभा सीट आती हैं. इसमें अनूपपुर विधानसभा सीट, पुष्पराजगढ़ विधानसभा सीट, और कोतमा विधानसभा सीट शामिल हैं. इन तीन विधानसभा सीटों में से अनूपपुर और पुष्पराजगढ़ विधानसभा सीट तो आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित सीट है. लेकिन कोतमा विधानसभा सीट सामान्य सीट है.
आज बात करेंगे अनूपपुर विधानसभा सीट की अनूपपुर विधानसभा सीट में इस बार सब की नजर रहेगी. वजह है, 2018 के चुनाव में यहां से कांग्रेस ने बाजी मारी थी, फिर जब उपचुनाव हुए तो बीजेपी ने इसे कब्जा लिया. अब इस बार कौन बाजी मारेगी, इस पर सब की नजर रहेगी. क्योंकि पिछले 5 साल में इस विधानसभा सीट पर दो बार चुनाव हुए, विधायक वही रहा, सिर्फ पार्टी बदली.
अनूपपुर विधानसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा: अनूपपुर विधानसभा सीट पर वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है. यहां से बिसाहू लाल सिंह विधायक हैं. साल 2018 में जब विधानसभा के चुनाव हुए तो उस समय कांग्रेस प्रत्याशी बिसाहू लाल सिंह ने बाजी मारी थी. ये सीट कांग्रेस के पाले में गई थी, लेकिन जब ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस के कई विधायक बीजेपी में चले गए, तो उसमें अनूपपुर विधायक बिसाहूलाल सिंह भी शामिल थे.
फिर भाजपा में चले जाने के बाद यहां के समीकरण बदल गए और उपचुनाव में बिसाहू लाल सिंह बीजेपी की ओर से जीत कर फिर से इस सीट से विधायक बने. इसके बाद से ही अब इस विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है और बिसाहू लाल सिंह ही विधायक हैं.
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क्या कहते हैं आंकड़े?: अनूपपुर विधानसभा सीट के पिछले कुछ चुनाव के आंकड़ों पर नजर डालें तो वो भी काफी दिलचस्प रहे हैं और अब रोमांचक मुकाबले की ओर इशारा कर रहे हैं.
साल 2003: आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2003 के चुनाव में अनूपपुर विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी की ओर से रामलाल रौतेला प्रत्याशी थे, तो वहीं कांग्रेस की ओर से बिसाहू लाल सिंह मैदान पर थे. यहां भारतीय जनता पार्टी के रामलाल रौतेल ने बिसाहू लाल को हराया था. रामलाल रौतेला ने बिसाहू लाल को 4,847 मतों के अंतर से हरा दिया था.
साल 2008: विधानसभा चुनाव की बात करें तो यहां एक बार फिर से कांग्रेस की ओर से बिसाहू लाल ही अनूपपुर विधानसभा सीट से प्रत्याशी थे, तो बीजेपी से रामलाल रौतेल प्रत्याशी थे. यहां इस बार बिसाहू लाल ने बाजी मारी और बीजेपी के रामलाल रौतेल को 1,149 वोट से हरा दिया और इस सीट पर अपना कब्जा जमा लिया.
साल 2013: विधानसभा चुनाव के आंकड़ों पर नजर डालें तो एक बार फिर से अनूपपुर विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी ने जहां रामलाल रौतेल को ही टिकट दिया तो वहीं कांग्रेस ने बिसाहूलाल को टिकट दिया. इस चुनाव में बीजेपी के रामलाल रौतेल ने बिसाहूलाल को 11,745 वोट के अंतर से हराया.
साल 2018: विधानसभा चुनाव पर नजर डालें तो अनूपपुर से एक बार फिर से बीजेपी ने जहां रामलाल रौतेल को ही मौका दिया, तो कांग्रेस ने बिसाहू लाल सिंह को मौका दिया. इस बार कांग्रेस के बिसाहू लाल सिंह ने रामलाल रौतेला को हराया. कांग्रेस के बिसाहू लाल ने 11, 561 मतों के अंतर से इस चुनाव में जीत दर्ज की और फिर से विधायक बने.
हालांकि, जब ज्योतिराज सिंधिया बीजेपी में गए तो उनके साथ कई विधायक भी बीजेपी में शामिल हुए. इसमें बिसाहू लाल सिंह भी शामिल रहे. अनूपपुर विधानसभा पर फिर एक बार उपचुनाव हुआ. इसमें बिसाहूलाल सिंह बीजेपी की ओर से जीत कर विधायक बनकर फिर आए.
बीजेपी में बड़ी मुश्किल, किसे मिलेगा टिकट?: 2023 के विधानसभा चुनाव में अनूपपुर विधानसभा सीट पर, इस बार सब की नजर है. पिछले कई चुनाव से बीजेपी से जहां अनूपपुर विधानसभा सीट में रामलाल रौतेल प्रत्याशी हुआ करते थे, तो वहीं कांग्रेस की ओर से बिसाहू लाल सिंह को ही लगातार टिकट दिया जा रहा था.
दोनों के बीच में ही टक्कर हुआ करता था, लेकिन इस बार बिसाहू लाल के बीजेपी में आ जाने के बाद से अब रामलाल रौतेल और बिसाहू लाल सिंह दोनों भाजपा में शामिल हो गए हैं. ऐसे में इस बार बीजेपी की ओर से किसे टिकट दिया जाएगा, ये सवाल बरकरार है. क्या बिसाहू लाल सिंह को एक बार फिर से भारतीय जनता पार्टी टिकट देगी, या फिर भाजपा इस बार किसी नए प्रत्याशी पर दाव खेलेगी देखना दिलचस्प होगा?
वैसे राजनीतिक गलियों में जो हल्ला है, क्षेत्र के लोगों के बीच जो चर्चा है कि इस बार वर्तमान विधायक बिसाहू लाल सिंह को ही टिकट मिलना मुश्किल है, तो दूसरी ओर रामलाल रौतेल के लिए भी बीजेपी की ओर से इस बार अनूपपुर विधानसभा से टिकट हासिल करना इतना आसान नहीं होगा. ऐसे में हर किसी की नजर है कि इस बार अनूपपुर विधानसभा चुनाव से भारतीय जनता पार्टी किसे टिकट देती है, रामलाल रौतेल को या फिर बिसाहू लाल को या फिर किसी नए प्रत्याशी को मैदान पर उतारती है.
कांग्रेस के लिए भी बड़ी चुनौती: अनूपपुर विधानसभा सीट पर टिकट देने के लिए कांग्रेस को भी काफी मंथन करना पड़ेगा. इस विधानसभा सीट पर भी कांग्रेस की ओर से कई बड़े दावेदार मौजूद हैं. खुद अनूपपुर कांग्रेस के जिला अध्यक्ष रमेश सिंह जो एसडीएम की नौकरी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे.
इन दिनों अनूपपुर जिले में कांग्रेस जिला अध्यक्ष हैं. टिकट के दावेदार बताए जा रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस की ओर से उपचुनाव में बिसाहूलाल के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले विश्वनाथ सिंह भी टिकट के दावेदारों में शामिल हैं. कई और नेता भी अनूपपुर विधानसभा से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं. ऐसे में सवाल यही है कि इस बार कांग्रेस किसे टिकट देगी और किस बेस पर टिकट तय करेगी. क्योंकि जिस तरह से कांग्रेस की ओर से एक से बढ़कर एक दावेदार सामने आ रहे हैं, उसमें गुटबाजी होने की भी संभावना है. ऐसे में कांग्रेस आलाकमान के लिए भी अनूपपुर विधानसभा सीट से टिकट फाइनल करना इतना आसान नहीं होगा.
गुटबाज़ी दोनों पार्टियों के लिए समस्या: देखा जाए तो अनूपपुर विधानसभा सीट पर इस बार दोनों पार्टियों के लिए गुटबाज़ी बड़ी समस्या रहेगी. चाहे वह बीजेपी हो या फिर कांग्रेस. ये इसलिए भी माना जा रहा है क्योंकि भारतीय जनता पार्टी की ओर से भी टिकट के कई दावेदार हैं.
कांग्रेस की ओर से भी टिकट के कई दावेदार हैं और ऐसे ऐसे दिग्गज नेता टिकट की दावेदारी कर रहे हैं कि अगर उन्हें टिकट नहीं मिलता है तो फिर गुटबाजी होना तय है. ऐसे में अब देखना यह होगा कि अनूपपुर विधानसभा सीट पर यह दोनों ही पार्टियां इस समस्या से कैसे पार पाती हैं, और गुटबाजी को कैसे खत्म करती हैं, और टिकट के लिए किन प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतारती हैं.
अनूपपुर विधानसभा में मतदाता: अनूपपुर विधानसभा सीट से मतदाताओं की संख्या पर नजर डालें तो यहां पर लगभग 1,705,83 टोटल मतदाता हैं, जिनमें से 87,3,24 पुरुष मतदाता हैं और 83,068 महिला मतदाता हैं, और 191 अन्य मतदाता हैं.
जनता के मुद्दे: अनूपपुर विधानसभा सीट पर इतने सालों के बाद भी जनता के मुद्दे जस के तस बने हुए हैं. जिला बनने के बाद कई साल हो चुके हैं, लेकिन अनूपपुर विधानसभा सीट जिला मुख्यालय की सीट है. आज भी ये विकास की बाट जोह रही है. अनूपपुर जिला मुख्यालय जरूर है, लेकिन आज भी यहां विकास की दरकार है. इसके अलावा मजदूरों का पलायन आज भी जारी है. बेरोजगारी चरम पर है. ऐसे कई मुद्दे हैं, जो इस आदिवासी सीट पर इस बार चुनाव पर असर दिखा सकते हैं.
हर पांच साल में बदलता है यहां विधायक: बरहाल, अनूपपुर विधानसभा सीट आदिवासी आरक्षित सीट जरूर है, लेकिन 2003 के विधानसभा चुनाव के आंकड़ों से नजर डालें तो इस सीट पर एक बार बीजेपी तो एक बार कांग्रेस का कब्जा रहा है.
हर पंचवर्षीय में यहां से विधायक बदलते रहे हैं, लेकिन इस बार 2018 में कांग्रेस के बिसाहू लाल सिंह कांग्रेस पार्टी से जरूर जीते लेकिन उपचुनाव में फिर बीजेपी पार्टी में जाने के बाद उपचुनाव में बीजेपी की ओर से जीतकर विधायक बने. ऐसे में अब देखना दिलचस्प होगा कि 2023 के विधानसभा चुनाव में कौन से पार्टी का विधायक यहां से बाजी मारता है.