अनूपपुर। इंदिरा गाधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय में तृतीय दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया. समारोह के मुख्य अतिथि शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, प्रो डीपी सिंह, अध्यक्ष विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली से आए थे. इस अवसर पर मुख्य अतिथि रमेश पोखरियाल निशंक में अपने दीक्षांत उद्बोधन में कहा कि 'इस विश्वविद्यालय की स्थापना का उद्देश्य जनजातीय विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अवसर प्रदान कर उन्हें देश के विकास से जोड़ना तथा उनकी कला व संस्कृति का संरक्षण एवं संवर्धन करना है. मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि कुलपति प्रकाश मणि त्रिपाठी के नेतृत्व में इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है.' उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा स्थानीय निवासियों के विकास हेतु किए जा रहे विभिन्न कार्यों जैसे गांवों को गोद लेकर विकसित करना, जीविका उपार्जन केंद्र ब नवाचार केंद्र के कार्यां, नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन हेतु किए जा रहे कार्यों आदि की सराहना की. उन्होंने विश्वविद्यालय में चिकित्सालय एवं चिकित्सा विज्ञान संकाय से सम्बद्ध नवाचार एवं रोजगार परक शिक्षा के अवसरों की वृद्धि के लिए घोषणाएं की.
तीसरा दीक्षांत समारोह
विशिष्ट अतिथि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष प्रो डीपी सिंह ने तृतीय दीक्षांत समारोह पर सदन को संबोधित करते हुए कहा कि आज ज्ञान, विज्ञान, अनुसधान के जिस उदेश्य से इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय की स्थापना का संकल्प लिया गया था, यह पूरा होता हुआ दिख रहा है. उन्होंने कहा कि शिक्षा के माध्यम से ही सामाजिक परिवर्तन और राष्ट्र निर्माण का कार्य होता है। विश्वविद्यालय की युवा शक्ति सदमार्ग और मूल्यपरक शिक्षा व आचरण द्वारा नई शिक्षा नीति 2020 को सफल बनाकर भारत को वैश्विक फलक पर गौरवान्वित करने में सफल हो, यही मेरी शुभकामनाएं हैं.
विश्वविद्यालय के 32 विभागों में स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर परंपरागत पाठ्यक्रम के साथ-साथ विश्वविद्यालय व्यवसायिक पाठयक्रमों भी प्रोत्साहन दे रहा है. इसमें सामाजिक कार्य, व्यवसाय प्रबधन, पर्यटन, फोटोग्राफी, कंप्यूटर आदि प्रमुख हैं और सेवा योग्य कौशल विकास के माध्यम से रोजगार प्राप्त करने की क्षमता में युक्त हैं।. अजीविका केंद्रित पाक्यक्रमों में बीएड, बी-फार्मा, डी फार्मा, बी-याक, भी चलाए जा रहे हैं।. इनके साथ विज्ञान संकाय, योग विभाग, और सामाजिक कार्य विभाग भी इस क्षेत्र के अनुरूप कार्य कर रहे है और उत्कृष्ट परिणाम दे रहे हैं.
स्वर्ण पदकों में लड़कियों ने मारी बाजी
विश्वविद्यालय द्वारा प्रदान की जाने वाली उपाधि प्रत्येक अकादमिक वर्ष में विद्यार्थियों की उपलब्धियों के आधार पर मूल्यांकन के पश्चात प्रदान किया जाता है. इसी मूल्यांकन के आधार पर विश्वविद्यालय द्वारा कई प्रकार की उपाधियां दी जाती है. विश्वविद्यालय स्वर्ण पदक, कुलाधिपति स्वर्ण पदक, कुलपति स्वर्ण पदक, उषा स्मृति स्वर्ण पदक, गिरिराज किशारी अग्रवाल स्मृति स्वर्ण पदक और बिसाहु दास महत स्वर्ण पदक विषयवार सर्वोत्तम उपलब्धि के आधार पर प्रदान की जाती है.
इन्हें मिले स्वर्ण पदक
वर्ष 2017 में स्नातक स्तर पर 25 और स्नातकोत्तर स्तर पर 21 स्वर्ण पदक दिया गया है, जिसमें बीसीए की छात्रा अमिषा अग्रवाल को सबसे ज्यादा 4 स्वर्ण पदक मिले हैं तथा किशन लाल को दो स्वर्ण पदक मिले हैं वही स्नातकोत्तर की कम्प्यूटर साइंस की छात्रा सुरभी अग्रवाल को दो स्वर्ण पदक मिले हैं. वर्ष 2018 में व्यावसायिक अध्ययन छात्रा श्रुति सिंह बघेल को 4 स्वर्ण पदक और एकता अश्वनि को दो स्यर्ण पदक मिले है तथा स्नातकोत्तर की गणित की छात्रा ज्योतिमा शुक्ल को दो स्वर्ण पदक मिले हैं। इस वर्ष कुल स्नातक स्तर पर 25 स्वर्ण और स्नातकोत्तर स्तर पर 25 स्वर्ण पदक दिया गया. वर्ष 2019 में स्नातक में 25 स्वर्ण प्रदा और स्नातकोत्तर में 27 स्वर्ण पदक दिया गया. जिसमें स्नातक की निशिका विशनानी ने विश्वविद्यालय द्वारा दिए जाने वाले सभी 5 स्वर्ण पदक प्राप्त की, जबकि एमसीए की छात्रा विन्नी अग्रवाल को दो स्वर्ण पदक मिले. वर्ष 2020 में स्नातक स्तर पर 27 और स्नातकोतर स्तर पर 28 स्वर्ण पदक दिया गया, जिसमें सविता धुर्वे को दो स्वर्ण पदक तथा फार्मेसी की शालिनि शुक्ल को चार स्वर्ण पदक मिले हैं और स्नातकोत्तर में गणित की छात्रा प्रतिभा त्रिपाठी को स्नातकोत्तर का दोनों स्वर्ण पदक प्राप्त हुए.