अनूपपुर। कलेक्टर चन्द्रमोहन ठाकुर ने मातृ मृत्यु एवं शिशू मृत्यु की घटनाओं पर चिन्ता जताते हुए इनकी नियमित समीक्षा करने के स्वास्थ्य अधिकारियों को निर्देश दिए हैं. आपने प्रसव के दौरान महिलाओं की मृत्यु की घटनाओं के रोकथाम के लिए आधिकारी ने जिला स्तर पर एक कार्यशाला आयोजित कराने के निर्देश भी दिए. इसके साथ ही सभी गर्भवती महिलाओं का पंजीयन अनिवार्यता करना सुनिष्चित करने और इनका स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं से नियमित चेकअप कराने के निर्देश भी दिए गए. कलेक्टर ने ये निर्देश कलेक्ट्रेट सभागार में सम्पन्न हुई जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए दिए.
जिला कार्यशाला का आयोजन करने के निर्देश
कलेक्टर ने कहा कि कार्यशाला में जिले में प्रसव के दौरान महिला मृत्यु की घटनाओं के कारण जानने का प्रयास किया जाए और अगर संसाधनों की कमी की वजह से ऐसी घटनाएं हुई हैं, तो संसाधन जुटाए जाएं. उन्होंने कहा कि इसके लिए जितनी गहराई से चिन्तन होगा, उतना ही अच्छी तरह से परिस्थितियों को समझा जा सकेगा. ऐसी घटनाओं की रोकथाम के कारगर उपाय सुनिष्चित किए जाएं, ताकि भविष्य में इस तरह की कोई भी घटना ना हो पाए.
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मॉनिटरिंग करने की हिदायत
कलेक्टर ने अनुविभागीय अधिकारियों राजस्व समेत खण्ड चिकित्सा अधिकारियों एवं महिला बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारियों को निर्देष दिए कि गर्भवती महिलाओं का पंजीयन कराने के साथ-साथ प्रसव होने की संभावित तिथि तथा प्रसव कहां कराया जाएगा, इसकी आशाओं का आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से पता कराया जाए. इन्हीं के माध्यम से पता कराया जाए कि गर्भवती महिला में आयरन तथा पोषण तत्वों की कमी तो नहीं है. कलेक्टर ने अनुविभागीय अधिकारियों से कहा कि वे मातृ एवं शिशु कल्याण कार्यक्रम की गहन समीक्षा करें और प्रसव हेतु हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं को पहले से चिन्हित किया जाए. हाई रिस्क केस को ऐन मौके पर रेफर करने की बजाय पहले ही जिला अस्पताल के लिए रेफर करने की सलाह दी जाए, इससे जोखिम घटेगा. गर्भावस्था के दौरान ही गर्भवती महिलाओं के खान-पान पर ज्यादा ध्यान देंगे और उनका वजन बढ़ाएंगे, तो बच्चों में कुपोषण की स्थिति निर्मित होने से बचा जा सकेगा. इसके लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को सक्रिय किए जाने की जरूरत है.
विभागो का समन्वय जरूरी
कलेक्टर ने एन.आर.सी. को सक्रिय किए जाने में लोक स्वास्थ्य विभाग एवं महिला एवं बाल विकास विभाग के बीच समन्वय की कमी को रेखांकित करते हुए कहा कि जिले में 70 बिस्तर की एन.आर.सी. है, जिनको और बेहतर बनाया जा सकता है. इनमें रोटेशन में कुपोषित बच्चों को लाया जाए. उन्होंने अनुविभागीय अधिकारियों राजस्व, खण्ड चिकित्सा अधिकारियों एवं महिला एवं बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारियों से कहा कि वे आपस में समन्वय रखते हुए रोजाना बनाए और यह देखें कि एन.आर.सी. में कितने बिस्तर खाली हैं. उन्होंने आगे कहा कि कुपोषित बच्चों की माताओं को समझाया जाए कि उनका बच्चा एन.आर.सी. में ठीक हो जाएगा. कलेक्टर ने स्वास्थ्य अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे सुनिष्चित करें कि महिला हितग्राहियों को योजनाओं के तहत मिलने वाले पैसे का तथा आशाओं को समय पर पैसे का भुगतान हो जाए और साथ ही नियमित मॉनिटरिंग भी की जाए.
बैठक में अपर कलेक्टर सरोधन सिंह समेत जिले के अनुविभागीय अधिकारी राजस्व, तहसीलदार, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत, मुख्य नगरपालिका अधिकारी, लोक स्वास्थ्य विभाग तथा महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी उपस्थित थे.