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अमरकंटक: प्रकृति की गोद से होता है नर्मदा का जन्म, मन मोह लेतीं हैं यहां की खूबसूरत वादियां

अमरकंटक मां नर्मदा का उद्गम स्थल है. अमरकंटक में मां नर्मदा की मौजूदगी यहां की प्राकृतिक सुंदरता तो बढ़ाती है, साथ ही इसे धर्म और अध्यात्म का केंद्र भी बना देती है.अमरकंटक में प्राकृतिक वादियों के बीच से गुजरते घुमावदार रास्ते पर्यटकों का दिल जीत लेते हैं. एक ओर देवी नर्मदा की इस भूमि पर भक्तों का तांता लगा रहता है तो वहीं प्राकृतिक सौंदर्य के दीवाने भी यहां का रुख करने से खुद को रोक नहीं पाते.

अमरकंटक
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Published : Mar 21, 2019, 9:12 AM IST

अनूपपुर। हरे-भरे वन, विंध्य और सतपुड़ा की पहाड़ियों का संगम, पांच नदियों का उद्गम और वनों से आती मदमस्त हवा, इस मनोहारी वातावरण में जब कलकल करती, लहराती, बलखाती नर्मदा की धारा निकलती है तो अमरकंटक की शोभा कई गुना बढ़ जाती है. अमरकंटक मां नर्मदा का उद्गम स्थल है. अमरकंटक में मां नर्मदा की मौजूदगी यहां की प्राकृतिक सुंदरता तो बढ़ाती है, साथ ही इसे धर्म और अध्यात्म का केंद्र भी बना देती है.

अमरकंटक में प्राकृतिक वादियों के बीच से गुजरते घुमावदार रास्ते पर्यटकों का दिल जीत लेते हैं. एक ओर देवी नर्मदा की इस भूमि पर भक्तों का तांता लगा रहता है तो वहीं प्राकृतिक सौंदर्य के दीवाने भी यहां का रुख करने से खुद को रोक नहीं पाते. पानी से लबालब नर्मदा और कल-कल कर बहते झरने, मीलों तक फैले फलों के बगीचे उस सूकून का एहसास दिलाते हैं, जिसकी तलाश में न जाने कितने लोग भटक रहे हैं. यहां बने नर्मदा मंदिर के दर्शन के लिए भक्त दूर-दराज से आते हैं. अमरकंटक में नर्मदा कुंड ही नर्मदा नदी का उद्गम है.

हिंदु धर्मशास्त्रों के अनुसार मान्यता है कि भारत की पवित्र नदियों में से एक नर्मदा, भगवान शिव की पुत्री हैं और नर्मदा के दर्शन मात्र से ही मोक्ष मिल जाता है. भारत की पवित्र नदियों में से नर्मदा अकेली ऐसी नदी है जो बंगाल की खाड़ी की बजाय, अरब सागर में गिरती है. नर्मदा की धारा अमरकंटक में ही बेहद खूबसूरत जलप्रपात भी बनाती है. नर्मदा का सबसे पहला प्रपात कपिलधारा है जहां सौ फीट की ऊंचाई से गिरती नर्मदा मनोहारी दृश्य पैदा करती है. वहीं दुग्धधारा से बहते श्वेत जल को देखकर लगता है मानो झरने से सचमुच दूध की धारा बह रही हो. दुग्धधारा के पास बनी 37 किमी लम्बी गुफा में एक शिवलिंग स्थापित है, चट्टानों से बहती पानी की बूंदे लगातार इस शिवलिंग का अभिषेक करती हैं.

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इसके साथ ही माई की बगिया अमरकंटक के खास आकर्षणों में से एक है. कहा जाता है कि माई की बगिया में देवी नर्मदा खेला करती थीं. इसी बगिया में 5 कुंड बने हैं, इन कुंडों में बहती देवी नर्मदा विलुप्त होकर 1 किलोमीटर दूर बने उद्गम कुंड में प्रकट होती हैं.

मां नर्मदा की उद्गम स्थली, ऋषि दुर्वासा की तपस्थली कहा जाने वाले अमरकंटक का कोना-कोना आध्यात्मिक और प्राकृतिक ऊर्जा से भरा हुआ है. नर्मदा की सौम्य जलधारा और कल-कल कर बहते झरनों को देखकर एक ही बात मन में आती है.

त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ।

अनूपपुर। हरे-भरे वन, विंध्य और सतपुड़ा की पहाड़ियों का संगम, पांच नदियों का उद्गम और वनों से आती मदमस्त हवा, इस मनोहारी वातावरण में जब कलकल करती, लहराती, बलखाती नर्मदा की धारा निकलती है तो अमरकंटक की शोभा कई गुना बढ़ जाती है. अमरकंटक मां नर्मदा का उद्गम स्थल है. अमरकंटक में मां नर्मदा की मौजूदगी यहां की प्राकृतिक सुंदरता तो बढ़ाती है, साथ ही इसे धर्म और अध्यात्म का केंद्र भी बना देती है.

अमरकंटक में प्राकृतिक वादियों के बीच से गुजरते घुमावदार रास्ते पर्यटकों का दिल जीत लेते हैं. एक ओर देवी नर्मदा की इस भूमि पर भक्तों का तांता लगा रहता है तो वहीं प्राकृतिक सौंदर्य के दीवाने भी यहां का रुख करने से खुद को रोक नहीं पाते. पानी से लबालब नर्मदा और कल-कल कर बहते झरने, मीलों तक फैले फलों के बगीचे उस सूकून का एहसास दिलाते हैं, जिसकी तलाश में न जाने कितने लोग भटक रहे हैं. यहां बने नर्मदा मंदिर के दर्शन के लिए भक्त दूर-दराज से आते हैं. अमरकंटक में नर्मदा कुंड ही नर्मदा नदी का उद्गम है.

हिंदु धर्मशास्त्रों के अनुसार मान्यता है कि भारत की पवित्र नदियों में से एक नर्मदा, भगवान शिव की पुत्री हैं और नर्मदा के दर्शन मात्र से ही मोक्ष मिल जाता है. भारत की पवित्र नदियों में से नर्मदा अकेली ऐसी नदी है जो बंगाल की खाड़ी की बजाय, अरब सागर में गिरती है. नर्मदा की धारा अमरकंटक में ही बेहद खूबसूरत जलप्रपात भी बनाती है. नर्मदा का सबसे पहला प्रपात कपिलधारा है जहां सौ फीट की ऊंचाई से गिरती नर्मदा मनोहारी दृश्य पैदा करती है. वहीं दुग्धधारा से बहते श्वेत जल को देखकर लगता है मानो झरने से सचमुच दूध की धारा बह रही हो. दुग्धधारा के पास बनी 37 किमी लम्बी गुफा में एक शिवलिंग स्थापित है, चट्टानों से बहती पानी की बूंदे लगातार इस शिवलिंग का अभिषेक करती हैं.

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इसके साथ ही माई की बगिया अमरकंटक के खास आकर्षणों में से एक है. कहा जाता है कि माई की बगिया में देवी नर्मदा खेला करती थीं. इसी बगिया में 5 कुंड बने हैं, इन कुंडों में बहती देवी नर्मदा विलुप्त होकर 1 किलोमीटर दूर बने उद्गम कुंड में प्रकट होती हैं.

मां नर्मदा की उद्गम स्थली, ऋषि दुर्वासा की तपस्थली कहा जाने वाले अमरकंटक का कोना-कोना आध्यात्मिक और प्राकृतिक ऊर्जा से भरा हुआ है. नर्मदा की सौम्य जलधारा और कल-कल कर बहते झरनों को देखकर एक ही बात मन में आती है.

त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ।

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अमरकंटक: प्रकृति की गोद से होता है नर्मदा का जन्म, मन मोह लेतीं हैं यहां की खूबसूरत वादियां



अनूपपुर। हरे-भरे वन, विंध्य और सतपुड़ा की पहाड़ियों का संगम, पांच नदियों का उद्गम और वनों से आती मदमस्त हवा, इस मनोहारी वातावरण में जब कलकल करती, लहराती, बलखाती नर्मदा की धारा निकलती है तो अमरकंटक की शोभा कई गुना बढ़ जाती है. अमरकंटक मां नर्मदा का उद्गम स्थल है. अमरकंटक में मां नर्मदा की मौजूदगी यहां की प्राकृतिक सुंदरता तो बढ़ाती है, साथ ही इसे धर्म और अध्यात्म का केंद्र भी बना देती है.



अमरकंटक में प्राकृतिक वादियों के बीच से गुजरते घुमावदार रास्ते पर्यटकों का दिल जीत लेते हैं. एक ओर देवी नर्मदा की इस भूमि पर भक्तों का तांता लगा रहता है तो वहीं प्राकृतिक सौंदर्य के दीवाने भी यहां का रुख करने से खुद को रोक नहीं पाते. पानी से लबालब नर्मदा और कल-कल कर बहते झरने, मीलों तक फैले फलों के बगीचे उस सूकून का एहसास दिलाते हैं, जिसकी तलाश में न जाने कितने लोग भटक रहे हैं. यहां बने नर्मदा मंदिर के दर्शन के लिए भक्त दूर-दराज से आते हैं. अमरकंटक में नर्मदा कुंड ही नर्मदा नदी का उद्गम है.



हिंदु धर्मशास्त्रों के अनुसार मान्यता है कि भारत की पवित्र नदियों में से एक नर्मदा, भगवान शिव की पुत्री हैं और नर्मदा के दर्शन मात्र से ही मोक्ष मिल जाता है. भारत की पवित्र नदियों में से नर्मदा अकेली ऐसी नदी है जो बंगाल की खाड़ी की बजाय, अरब सागर में गिरती है. नर्मदा की धारा अमरकंटक में ही बेहद खूबसूरत जलप्रपात भी बनाती है. नर्मदा का सबसे पहला प्रपात कपिलधारा है जहां सौ फीट की ऊंचाई से गिरती नर्मदा मनोहारी दृश्य पैदा करती है. वहीं दुग्धधारा से बहते श्वेत जल को देखकर लगता है मानो झरने से सचमुच दूध की धारा बह रही हो. दुग्धधारा के पास बनी 37 किमी लम्बी गुफा में एक शिवलिंग स्थापित है, चट्टानों से बहती पानी की बूंदे लगातार इस शिवलिंग का अभिषेक करती हैं.



इसके साथ ही माई की बगिया अमरकंटक के खास आकर्षणों में से एक है. कहा जाता है कि माई की बगिया में देवी नर्मदा खेला करती थीं. इसी बगिया में  5 कुंड बने हैं, इन कुंडों में बहती देवी नर्मदा विलुप्त होकर 1 किलोमीटर दूर बने उद्गम कुंड में प्रकट होती हैं.   

मां नर्मदा की उद्गम स्थली, ऋषि दुर्वासा की तपस्थली कहा जाने वाले अमरकंटक का कोना-कोना आध्यात्मिक और प्राकृतिक ऊर्जा से भरा हुआ है. नर्मदा की सौम्य जलधारा और कल-कल कर बहते झरनों को देखकर एक ही बात मन में आती है.





त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ।



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अमरकंटक मां नर्मदा का उद्गम स्थल है. अमरकंटक में मां नर्मदा की मौजूदगी यहां की प्राकृतिक सुंदरता तो बढ़ाती है, साथ ही इसे धर्म और अध्यात्म का केंद्र भी बना देती है.अमरकंटक में प्राकृतिक वादियों के बीच से गुजरते घुमावदार रास्ते पर्यटकों का दिल जीत लेते हैं. एक ओर देवी नर्मदा की इस भूमि पर भक्तों का तांता लगा रहता है तो वहीं प्राकृतिक सौंदर्य के दीवाने भी यहां का रुख करने से खुद को रोक नहीं पाते.



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