अलीराजपुर। जोबट उपचुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर मानी जा रही है. कांग्रेस यहां अपनी साख बचाने के लिए चुनाव मैदान में है, तो वहीं बीजेपी इस सीट को कांग्रेस से छीनने की फिराक में है. बीजेपी ने यहां से सुलोचना रावत को अपना प्रत्याशी बनाया है, तो वहीं कांग्रेस ने महेश पटेल को मैदान में उतारा है. आज जोबट सीट पर मतदान हो रहा है. ऐसे में मतदान से पहले जोबट सीट के प्रत्याशियों के बारे में जानना मतदाताओं के लिए बेहद जरूरी है.
कौन है बीजेपी प्रत्याशी सुलोचना रावत
सुलोचना रावत ने उपचुनाव से बिलकुल पहले कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया. सुलोचना रावत जोबट सीट से कांग्रेस के टिकट पर 3 बार विधायक रह चुकी है. सुलोचना के ससुर अजमेर सिंह रावत जोबट से 7 बार विधायक रह चुके हैं. अजमेर सिंह के निधन के बाद सुलोचना ने यहां से चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी. उसके बाद तीन बार वे इस सीट से विधायक बनीं है. दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में सुलोचना को राज्यमंत्री भी बनाया गया था.
सुलोचना ने किया जीत का दावा
रावत परिवार का जोबट क्षेत्र में अच्छा जनाधार माना जाता है. इसी जनाधार और बीजेपी के झंडे के दम पर सुलोचना रावत जीत का दावा कर रही हैं. सुलोचना रावत इस सीट से 3 बार विधायक रह चुकी है. स्थानीय स्तर पर सुलोचना की पकड़ का उन्हें फायदा मिल सकता है, जबकि कांग्रेस पार्टी छोड़ने का नुकसान भी उन्हें उठाना पड़ सकता है.
कौन है कांग्रेस प्रत्याशी महेश पटेल?
महेश पटेल का परिवार भी राजनीति में अच्छी पकड़ रखता है. महेश पटेल जिला कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर रह चुके हैं, इसके अलावा उनके पिता वेस्ता रावत पटेल अलीराजपुर से विधायक रह चुके हैं. फिलहाल महेश के छोटे भाई मुकेश पटेल अलीराजपुर से विधायक हैं. महेश की पत्नी सेना पटेल भी अलीराजपुर नगर पालिका की अध्यक्ष रह चुकी है. महेश पटेल 2008 में अलीराजपुर विधानसभा सीट से चुनवा हार चुके हैं.
महेश पटेल को जीत का भरोसा
कांग्रेस प्रत्याशी महेश पटेल ने यहां बेरोजगारी, पलायन को अहम मुद्दा बनाया है. सुलोचना रावत के बीजेपी में जाने को भी कांग्रेस ने यहां जमकर मुद्दा बनाया है. ऐसे में महेश पटेल को यहां जीत का भरोसा है. महेश पटेल भी राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं, ऐसे में उन्हें भी उम्मीद है कि इसका फायदा उन्हें उपचुनाव में मिलेगा.
कलावती भूरिया के निधन से खाली हुई सीट
2018 में जोबट विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर कलावती भूरिया चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंची थी. हाल ही में कोरोना से कलावती भूरिया के निधन के बाद इस सीट पर उपचुनाव हो रहे हैं. इस सीट को वैसे तो कांग्रेस की परंपरागत सीट माना जाता है, लेकिन सुलोचना रावत के जनाधार के सहारे बीजेपी इस सीट को जीतने के सपने देख रही है.