अलीराजपुर (एजेंसी, पीटीआई)। रोजी-रोटी के लिए अपने गृह क्षेत्र से दूर दूसरे प्रांत में रहने को मजबूर किरला डोडवा (उम्र 40) गुजरात के सुरेंद्रनगर जिले के एक जिनिंग कारखाने में कपास चुनने का काम करते हैं. यह प्रवासी श्रमिक पश्चिमी मध्यप्रदेश के उन हजारों आदिवासियों में शामिल हैं, जिन्हें विधानसभा चुनाव के तहत 17 नवंबर को होने वाले मतदान के लिए प्रेरित करते हुए उनके गृह क्षेत्र में बुलाना निर्वाचन आयोग के लिए बड़ी चुनौती है. चुनाव आयोग ने इन प्रवासी मजदूरों को मतदान के लिए बुलावा भेजने के लिए अलीराजपुर में विशेष कॉल सेंटर शुरू किया. Special call center migrant laborers
पिछले चुनाव में कम मतदान : आदिवासी बाहुल्य अलीराजपुर जिले से रोजगार के लिए बड़े स्तर पर पलायन होता है. जिले में विधानसभा की दो सीटें हैं अलीराजपुर और जोबट. सरकारी अनुमान के मुताबिक दोनों सीटों के कुल 5.66 लाख मतदाताओं में से करीब 85,000 लोग रोजगार के लिए गुजरात और महाराष्ट्र सरीखे पड़ोसी राज्यों में हैं. चुनाव अधिकारियों ने बताया कि वर्ष 2018 के पिछले विधानसभा चुनावों के दौरान जोबट विधानसभा क्षेत्र में केवल 52.84 प्रतिशत मतदान हुआ था, जो राज्य की सभी 230 सीटों में सबसे कम था.
श्रमिकों को मोबाइल फोन पर कॉल : अलीराजपुर के जिलाधिकारी और जिला निर्वाचन अधिकारी अभय अरविंद बेडेकर ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘अलीराजपुर जिले के करीब 85,000 प्रवासी श्रमिकों को मतदान के लिए उनके गृह क्षेत्र में बुलाने के लिए हमने 20 कर्मियों का कॉल सेंटर शुरू किया है. हमने इनमें से ज्यादातर श्रमिकों के मोबाइल नंबर पहले ही जुटा लिए हैं’’. उन्होंने बताया कि गुजरात और महाराष्ट्र सरीखे पड़ोसी राज्यों के नियोक्ताओं से कहा जा रहा है कि वे निर्वाचन आयोग के निर्देशों के मुताबिक इन श्रमिकों को मतदान के दिन सवैतनिक अवकाश दें. Special call center migrant laborers
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गुजरात भी जाएगी टीम : बेडेकर ने बताया कि अलीराजपुर का प्रशासन अपने अधिकारियों के एक दल को गुजरात भेजने पर भी विचार कर रहा है, जो मतदान को बढ़ावा दिए जाने को लेकर संबंधित नियोक्ताओं से मुलाकात करेगा. अधिकारियों ने बताया कि आदिवासी समुदाय के प्रवासी मजदूरों को मतदान के लिए जागरूक करने के लिए भीली बोली में विशेष पोस्टर और गीत भी तैयार किए गए हैं. ऐसे ही एक गीत के बोल हैं, ‘मामार आवो, मामार आवो रे, वुटू नाखणे मामार आवो रे (जल्दी आओ, जल्दी आओ रे, वोट डालने जल्दी आओ रे)’’. इसे आदिवासी संस्कृति के जानकार अनिल तंवर ने लिखा है. Special call center migrant laborers