अलीराजपुर। जिला अस्पताल की संवेदनहीनता का मामला सामने आया है. यहां बच्चे की मौत के बाद अस्पताल प्रबंधन ने शव वाहन तक उपलब्ध नहीं कराया, जिसके कारण परिजन मासूम का शव लेकर इधर-उधर भटकते रहे. एक तरफ तो अपने बच्चे को खोने का गम और दूसरी तरफ अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही ने परिजनों के दुःख को और ज्यादा बढ़ा दिया.
जिले के अजन्दा गांव के कदम चौहान अपने एक साल के बच्चे को निमोनिया के इलाज के जिला अस्पताल लाए थे, जिसकी इलाज के दौरान मौत हो गई.
बच्चे का शव लेकर भटकते रहे परिजन
मौत के बाद बच्चे के शव को ले जाने के लिए शव वाहन नहीं मिलने के चलते माता-पिता इधर-उधर भटकते रहे. जिसके बाद थक-हारकर जिला अस्पताल के सामने पार्किंग जोन में बच्चे के शव को हाथों में थामे उनका रोना सुनकर लोगों की आंखों में भी आंसू आ गए.
शव वाहन के लिए देना होता है डीजल का पैसा
दरअसल, कदम को डॉक्टरों ने कहा कि 1 साल के बच्चे के शव को ले जाने के लिए निःशुल्क वाहन नहीं मिलता है. अगर उसे शव वाहन ले जाना है, तो उसमें डीजल के पैसे देने होंगे, लेकिन कदम के पास पैसे नहीं थे.
इलाज में देरी के चलते हुई बच्चे की मौत
वहीं पूरे मामले पर डॉक्टर का कहना है कि मौसम के कारण आए दिन निमोनिया के मरीज आ रहे हैं. वहीं बच्चे को उसके परिजन गंभीर अवस्था में अस्पताल लाए थे, देर से आने के कारण उसकी मौत हो गई. वहीं शव के लिए वाहन उपलब्ध ना कराए जाने पर डॉक्टर ने कहा कि एक साल से कम उम्र के बच्चे के लिए शव वाहन दिया जाता है, लेकिन डीजल का खर्च परिजन को देना होता है.
बता दें कि मामला बढ़ता देख वरिष्ठ अधिकारियों ने आनन-फानन में शव वाहन उपलब्ध करवा कर दिया.