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जिला अस्पताल की संवेदनहीनता, बच्चे के शव को लेकर इधर-उधर भटकते रहे माता-पिता - Hearse

अलीराजपुर के जिला अस्पताल में निमोनिया से पीड़ित एक बच्चे की मौत हो गई. इस मामले में जिला अस्पताल की लापरवाही सामने आई है. बच्चे की मौत के बाद शव वाहन ना मिलने के चलते परिजन मासूम का शव लेकर जिला अस्पताल में भटकते रहे. मामला उछलने के बाद अस्पताल के वरिष्ठ अधिकारियों ने परिजनों को शव वाहन उपलब्ध करवाया.

बच्चे के शव को लेकर भटकते रहे माता-पिता
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Published : Nov 20, 2019, 10:04 AM IST

Updated : Nov 20, 2019, 3:00 PM IST

अलीराजपुर। जिला अस्पताल की संवेदनहीनता का मामला सामने आया है. यहां बच्चे की मौत के बाद अस्पताल प्रबंधन ने शव वाहन तक उपलब्ध नहीं कराया, जिसके कारण परिजन मासूम का शव लेकर इधर-उधर भटकते रहे. एक तरफ तो अपने बच्चे को खोने का गम और दूसरी तरफ अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही ने परिजनों के दुःख को और ज्यादा बढ़ा दिया.

जिले के अजन्दा गांव के कदम चौहान अपने एक साल के बच्चे को निमोनिया के इलाज के जिला अस्पताल लाए थे, जिसकी इलाज के दौरान मौत हो गई.

बच्चे के शव को लेकर भटकते रहे माता-पिता

बच्चे का शव लेकर भटकते रहे परिजन

मौत के बाद बच्चे के शव को ले जाने के लिए शव वाहन नहीं मिलने के चलते माता-पिता इधर-उधर भटकते रहे. जिसके बाद थक-हारकर जिला अस्पताल के सामने पार्किंग जोन में बच्चे के शव को हाथों में थामे उनका रोना सुनकर लोगों की आंखों में भी आंसू आ गए.

शव वाहन के लिए देना होता है डीजल का पैसा

दरअसल, कदम को डॉक्टरों ने कहा कि 1 साल के बच्चे के शव को ले जाने के लिए निःशुल्क वाहन नहीं मिलता है. अगर उसे शव वाहन ले जाना है, तो उसमें डीजल के पैसे देने होंगे, लेकिन कदम के पास पैसे नहीं थे.

इलाज में देरी के चलते हुई बच्चे की मौत

वहीं पूरे मामले पर डॉक्टर का कहना है कि मौसम के कारण आए दिन निमोनिया के मरीज आ रहे हैं. वहीं बच्चे को उसके परिजन गंभीर अवस्था में अस्पताल लाए थे, देर से आने के कारण उसकी मौत हो गई. वहीं शव के लिए वाहन उपलब्ध ना कराए जाने पर डॉक्टर ने कहा कि एक साल से कम उम्र के बच्चे के लिए शव वाहन दिया जाता है, लेकिन डीजल का खर्च परिजन को देना होता है.

बता दें कि मामला बढ़ता देख वरिष्ठ अधिकारियों ने आनन-फानन में शव वाहन उपलब्ध करवा कर दिया.

अलीराजपुर। जिला अस्पताल की संवेदनहीनता का मामला सामने आया है. यहां बच्चे की मौत के बाद अस्पताल प्रबंधन ने शव वाहन तक उपलब्ध नहीं कराया, जिसके कारण परिजन मासूम का शव लेकर इधर-उधर भटकते रहे. एक तरफ तो अपने बच्चे को खोने का गम और दूसरी तरफ अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही ने परिजनों के दुःख को और ज्यादा बढ़ा दिया.

जिले के अजन्दा गांव के कदम चौहान अपने एक साल के बच्चे को निमोनिया के इलाज के जिला अस्पताल लाए थे, जिसकी इलाज के दौरान मौत हो गई.

बच्चे के शव को लेकर भटकते रहे माता-पिता

बच्चे का शव लेकर भटकते रहे परिजन

मौत के बाद बच्चे के शव को ले जाने के लिए शव वाहन नहीं मिलने के चलते माता-पिता इधर-उधर भटकते रहे. जिसके बाद थक-हारकर जिला अस्पताल के सामने पार्किंग जोन में बच्चे के शव को हाथों में थामे उनका रोना सुनकर लोगों की आंखों में भी आंसू आ गए.

शव वाहन के लिए देना होता है डीजल का पैसा

दरअसल, कदम को डॉक्टरों ने कहा कि 1 साल के बच्चे के शव को ले जाने के लिए निःशुल्क वाहन नहीं मिलता है. अगर उसे शव वाहन ले जाना है, तो उसमें डीजल के पैसे देने होंगे, लेकिन कदम के पास पैसे नहीं थे.

इलाज में देरी के चलते हुई बच्चे की मौत

वहीं पूरे मामले पर डॉक्टर का कहना है कि मौसम के कारण आए दिन निमोनिया के मरीज आ रहे हैं. वहीं बच्चे को उसके परिजन गंभीर अवस्था में अस्पताल लाए थे, देर से आने के कारण उसकी मौत हो गई. वहीं शव के लिए वाहन उपलब्ध ना कराए जाने पर डॉक्टर ने कहा कि एक साल से कम उम्र के बच्चे के लिए शव वाहन दिया जाता है, लेकिन डीजल का खर्च परिजन को देना होता है.

बता दें कि मामला बढ़ता देख वरिष्ठ अधिकारियों ने आनन-फानन में शव वाहन उपलब्ध करवा कर दिया.

Intro:
एंकर- अलीराजपुर जिला चिकित्सालय में एक मामरिक मामला सामने आया है। जिले के ग्राम अजन्दा के कदम चौहान अपने  1 वर्षीय बच्चे को लेकर जिला चिकित्सालय अलीराजपुर लाया था जहां बच्चे की ईलाज के दौरान मौत हो गई। मौत के बाद बच्चे के शव को ले जाने के लिए कदम ओर उसकी पत्नी इधर उधर भटकते रहे और थक हारकर जिला चिकित्सालय के सामने पार्किंग झोन में बच्चे के शव को हाथों में लेकर अपने बच्चे की मौत का मातम करने लग गए। दरअसल, कदम को डॉक्टरों ने कहा कि 1 साल के बच्चे के शव को ले जाने के लिए मुफ़्त मे वाहन नही मिलता है अगर उसको शव वाहन ले जाना है तो उसमें डीजल के पैसे देने होंगे लेकिन कदम के पास पैसे भी नही थे तो वो करता भी क्या। आखिर में मामला मीडिया के संज्ञान में आया तो वरिष्ठ अधिकारियों ने अन्न फानन में शव वाहन उपलब्ध करवाया।Body:
बाइट1- कदम चौहान, बच्चे का पिता

बाइट2-परिजन, बच्चे के 


खर्चा परिजन को देना होता है।


बाइट3- डॉ. सचिन पाटीदार, शिशु विशेषज्ञ, जिला चिकित्सालय अलीराजपुर

Conclusion:
वीओ1- ये महिला अपने बच्चे के शव को हाथ मे लेकर मातम कर रही है, लेकिन इस बात पर भी रो रही है कि क्या सरकार इसके 1 साल के बच्चे के शव को अपने घर ले जाने के लिए कोई वाहन सुविधा नही करवा पा रही है। दरअसल, ग्राम अजन्दा के कदम चौहान ओर उसकी पत्नी अपने 1 साल के बच्चे को बीमारी के कारण जिला चिकित्सालय अलीराजपुर लाये अपने बच्चे को स्वस्थ करने लेकिन उनका बच्चा नही बच पाया और उसने ईलाज के दौरान दम तोड़ दिया। बच्चे के पिता ने बताया कि डॉक्टर सुबह आये उसके बाद आये नही ओर शाम को आये तो कहा तुम्हारे बच्चे की हालत गम्भीर है हम कुछ नही कर सकते बहार ले जाओ, फिर कुछ घण्टो बाद बच्चे ने दम तोड़ दिया। बाद में बच्चे के शव को सले जाने के लिए बाद कि तो डॉक्टर ने कहा कि 1 साल बच्चे के शव को ले जाने के लिए कोई वाहन नही दिया जाता यदि शव वाहन ले जाना है तो डीजल के पैसे लगेंगे, लेकिन कदम के पास डीजल के पैसे भी नही थे, लिहाज़ा दोनो पति पत्नी 1 साल के बच्चे के शव को लेकर इधर उधर भटकते रहे और थक हारकर जिला चिकित्सालय के सामने बैठकर अपनी किसमत पर रोने लगे और बच्चे की मौत का मातम करने लगे, मामला मीडिया के संज्ञान में आया तो वरिष्ठ अधिकारियों ने आनन फानन में शव वाहन बच्चे के शव के लिए उपलब्ध करवाया।


बाइट1- कदम चौहान, बच्चे का पिता

बाइट2-परिजन, बच्चे के 


वीओ2- इस मामले पर डॉक्टर का कहना है कि मौसम के कारण आये दिन निमोनिया के मरीज आ रहे है एक बच्चे की मौत भी हुई जिसे उसके परिजन गंभीर अवस्था मे अस्पताल लाये थे, वही शव के लिए वाहन पर डॉक्टर ने बताया कि 1 साल कम उम्र के बच्चे के लिए 108 की मदद से शव भिजवाया जाता है लेकिन बच्चा 1 साल का है जिसके लिए शव वाहन दिया जाता है जिसके डीजल का खर्चा परिजन को देना होता है।


बाइट3- डॉ. सचिन पाटीदार, शिशु विशेषज्ञ, जिला चिकित्सालय अलीराजपुर

Last Updated : Nov 20, 2019, 3:00 PM IST
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