बडवानी/अलीराजपुर. सीएम शिवराज सिंह चौहान पत्नी साधना सिंह के साथ गुरुवार को भगोरिया उत्सव में शामिल होने बड़वानी पहुंचे. इस दौरान मामा शिवराज ने पत्नी संग आदिवासियों के साथ पारंपरिक नृत्य करते हुए नजर आए. इसी के साथ जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी, मध्य प्रदेश संस्कृति परिषद ने आजादी 75वें अमृत महोत्सव के तहत आयोजित भगोरिया हाट उत्सव में गौंड, बैगा, कोरकू, भील, भारिया जनजातियों के नृत्यों का प्रदर्शन किया गया. प्रदेश के आदिवासी अंचल में आयोजित होने वाले भगोरिया मेले आदिवासी संस्कृति और परंपरा का प्रतीक माने जाते हैं, लेकिन इस बार परंपरा का विकृत रूप भी सामने आया. जिस वजह से सीएम को भी सख्ती दिखानी पड़ी. बावजूद इसके भगोरिया मेलों में छेड़छाड़ और युवतियों से सरेआम अश्लील हरकत करने की घटनाएं बढ़ रही हैं.
सामने आया झाबुआ की घटना का वीडियो
झाबुआ जिले के मेघनगर में 12 मार्च को हुई ऐसी ही एक अन्य घटना का वीडियो वायरल हुआ है. वीडियो में मेले के दौरान कुछ युवक लड़कियों को छेड़ने के बाद विरोध करने पर लड़कियों की सार्वजनिक रूप से पिटाई करते हुए भी नजर आए. पुलिस के मुताबिक अंतरवेलीया क्षेत्र की कुछ युवतियां 12 मार्च को मेघनगर में आयोजित भगोरिया मेले से गुजर रही थी. शाम करीब 4 बजे बस स्टैंड के पास में 6-7 लड़के वहां से गुजर रहे थे. एक लड़के ने लड़की के कंधे पर हाथ रख दिया. जब लड़की ने आपत्ति की तो लड़के झगड़ा करने लगे. इसी दौरान विरोध करते हुए लड़कों ने लड़कियों के साथ मारपीट शुरू कर दी.
पुलिस ने शुरू किया सर्चिंग अभियान
सार्वजनिक रूप से लड़कियों के साथ हो रही पिटाई के बावजूद किसी ने भी उन्हें बचाने का प्रयास नहीं किया गया. हालांकि घटना के बाद जब यह वीडियो वायरल हुआ तो पुलिस ने आरोपियों को पकड़ने के लिए टीम का गठन कर सर्चिंग अभियान शुरू किया. जिसके बाद सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया. जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया है.
अलीराजपुर में भी युवतियों से हुई अश्लील हरकत
इससे पहले अलीराजपुर के वालपुर में भगोरिया पर्व के दौरान मेले में सरेराह आदिवासी युवती से छेड़छाड़ करने का मामला सामने आ चुका है. हालांकि पुलिस प्रशासन की सख्ती और सीएम के बयान के बाद 15 आरोपियों को हिरासत में लिया गया है. इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया में वायरल हुआ था. जिसकी कई सामाजिक संगठनों और कांग्रेस ने निंदा की थी. एक्ट्रेस उर्मिला मातोंडकर ने भी ट्वीट करते हुए सरकार से आरोपियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की थी.
परंपरा का हो रहा पतन
भगोरिया के आदिवासी पर्व की शुरुआत दशकों पहले हुई थी. प्राचीन दौर में इसे भगोर कहा जाता था. उस दौरान स्थानीय मेलों में लोग सज धज कर आते थे. मेले में आदिवासी लोगों की अलग-अलग टोलियां बांसुरी मांदल और ढोल बजाते नजर आते थे. इस दौरान आदिवासी लड़कियां भी पारंपरिक वेशभूषा में होती थीं. मेले में तरह-तरह के व्यंजन गुड़ की जलेबी पहन-भजिया ताड़ी आदि की भी खासी मांग होती है.
आदिवासी संस्कृति का अहम पर्व है भगोरिया
मेले में आदिवासी युवतियां पारंपरिक वेशभूषा में आती हैं और नृत्य प्रस्तुत करती हैं. परिवारों की रजामंदी से भगोरिया मेले में आदिवासी युवक और युवतियों के रिश्ते तय होने की परंपरा भी निराली है. इस दौरान युवतियां अपनी पसंद से लड़कों को चुनती हैं. बाद में उनकी शादी होती है.
पान खाने से तय होता है रिश्ता
कहा जाता है कि लड़का-लड़की एक दूसरे को पसंद है या नहीं, यह लड़की के पान खाने के बाद से तय होता है. यदि लड़की पान खा लेती है तो उसे हां समझा जाता है. इसके बाद लड़का भगोरिया मेले से ही लड़की को लेकर निकल जाता है. जो भगोरिया के बाद अपने गांव वापस लौटते हैं. इसके बाद दोनों की शादी कर दी जाती है.
गुलाबी रंग से होता था प्यार
मेले की मान्यता यह भी है कि भगोरिया में लड़का-लड़की यदि एक दूसरे को गुलाबी रंग लगा दे तो इसे प्यार का इजहार समझा जाता है. हालांकि अब आधुनिक दौर में भगोरिया मेलों में लड़कियों के साथ छेड़छाड़ मारपीट और शर्मनाक घटनाएं हो रही हैं. जिसके कारण भगोरिया का मूल स्वरूप कहीं ना कहीं खंडित हो रहा है.