अलीराजपुर। मिशनरी बाल गृह के निरीक्षण में यहां कई गंभीर अनियमितताएं सामने आई है. बिना पंजीयन के ही यह बाल गृह 35 साल से चलता पाया गया. यहां 71 बालक-बालिकाएं मिले, जिनमें 59 नाबालिग हैं. अधिकांश बालिकाएं अनाथ हैं. संस्था के निरीक्षण में निरोध, सर्जिकल औजार आदि आपत्तिजनक चीजें भी पाई गई हैं. हर बच्चे के पास बाइबल भी मिली, जिससे अनाथ बच्चों का मतांतरण किए जाने की आशंका है. संस्था अध्यक्ष के खिलाफ किशोर न्याय अधिनियम का उल्लंघन करने पर एफआइआर दर्ज की गई है. बच्चों का मेडिकल कराकर उनके बयान भी दर्ज किए गए हैं. मामले की जानकारी मिलते ही हिंदूवादी संगठनों ने कड़ी कार्रवाई की मांग को लेकर यहां धरना दिया.
बिना पंजीयन चलाया जा रहा था गृह: राज्य बाल संरक्षण आयोग के सदस्य ओंकार सिंह, सोनम निनामा ने स्थानीय बाल कल्याण समिति अध्यक्ष व अफसरों के साथ सोमवार को जोबट के नर्मदा नगर में आदिवासी सहायता समिति द्वारा संचालित बाल गृह का निरीक्षण किया था. दल ने निरीक्षण में पाया कि संस्था का संचालन गैर कानूनी तरीके से किया जा रहा था. किशोर न्याय अधिनियम की धारा 42 के तहत बाल गृह पंजीयन के दस्तावेज मांगने पर समिति अध्यक्ष कल्पना डेनियल उपलब्ध नहीं करा पाई. समिति अध्यक्ष ने लिखकर दिया है कि बिना पंजीयन के ही बाल गृह चलाया जा रहा था. यहां 35 बालिकाएं मिलीं, जिनमें 30 नाबालिग हैं. अधिकांश बालिकाएं अनाथ हैं. एक अलग भवन में 36 बालक भी निवासरत मिले, जिनमें 29 नाबालिग हैं. साथ ही वृद्धाश्रम भी संचालित पाया गया, जिसमें 13 वृद्ध रह रहे हैं.
वार्डन कक्ष में निरोध के पैकेट मिले, मानव तस्करी की भी आशंका: निरीक्षण में हर बच्चे के पास बाइबल मिली है. आयोग सदस्य ने मतांतरण किए जाने की आशंका जाहिर की है. भीतर सर्जिकल औजार भी पाए गए, बाल गृह के वार्डन कक्ष में कंडोम के पैकेट भी मिले. जब संस्था प्रमुख से इसके संबंध में पूछा गया तो "उन्होंने अनभिज्ञता जाहिर की. बाल आयोग सदस्य ओंकार सिंह ने बताया कि "बच्चों को स्थानीय चर्च में प्रार्थना के लिए भी ले जाया जाता था. सभी के पास बाइबल भी मिली है. ऐसा लगता है कि यह संस्था लंबे समय से मतांतरण की गतिविधियां चला रही थी. बच्चों को कहां से लाया गया, यह भी पता लगाया जा रहा है. मामले में मानव तस्करी की भी आशंका है." महिला व बाल विकास विभाग के माध्यम से पुलिस को आवदेन देकर समिति अध्यक्ष के खिलाफ जेजे एक्ट के उल्लंघन की एफआईआर दर्ज कराई है.
स्विट्जरलैंड से करोड़ों की फडिंग: आयोग सदस्य सिंह के अनुसार "संस्था को स्विट्जरलैंड से करोड़ों रुपये का फंड दिया जा रहा था. समिति अध्यक्ष ने यह स्वीकार किया है. हालांकि बाल गृह में फंडिंग का कोई भी व्यवस्थित रिकार्ड नहीं मिला है. निरीक्षण के दौरान जिला बाल कल्याण समिति अध्यक्ष रेमसिंह डुडवे, समीर कुलकर्णी, जिला शिक्षा अधिकारी अर्जुन सिंह सोलंकी, पुलिस व महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी शामिल थे.
भवन के पीछे मिली त्योहार की सजावटी सामग्री, शराब की बोतल भी: जांच के दौरान ही भवन के पीछे त्योहार से जुड़ी सजावट की सामग्री मिली. यहां शराब की एक बोतल भी पाई गई. बाल संरक्षण आयोग सदस्य ने मौके पर सभी चीजों को देखा.
सुबह से देर शाम तक धरना, भवन गिराने की मांग: मामले की जानकारी लगते ही हिंदूवादी संगठनों ने संस्था भवन के बाहर धरना दे दिया. संगठनों ने प्रशासन और बाल संरक्षण आयोग सदस्य को अलग-अलग ज्ञापन भी दिए. इसमें कहा गया कि संस्था के सभी पदाधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होनी चाहिए. लंबे समय से यहां मतांतरण की गतिविधियां चल रही थी. इसलिए एफआईआर में धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम की धारा भी जोड़ी जाए. संस्था में अवैध गतिविधि चल रही थी, इसलिए इसका भवन तोड़ा जाए. उक्त मांगों को लेकर सुबह से देर शाम तक धरना दिया गया. इस दौरान मतांतरण के खिलाफ नारे लगाए व हनुमान चालीसा का पाठ भी किया गया. प्रदर्शन के बीच ही डाक्टरों की टीम ने भवन के भीतर बच्चों का मेडिकल किया. बच्चों के बयान भी दर्ज किए गए. बाल आयोग सदस्य ओंकार सिंह ने प्रदर्शनकारियों से कहा है कि "अन्य पदाधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी." वहीं एसडीओपी नीरज नामदेव व तहसीलदार आलोक वर्मा ने कहा कि "जांच में जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसके आधार पर कार्रवाई होगी." जनजाति विकास मंच जिला प्रमुख गोविंद भयड़िया, हिंदू जनजाति युवा मंच रोशन पचाया, अभाविप के विभाग संयोजक नीलेश सस्तिया, सहित सैकड़ों कार्यकर्ता शामिल थे.