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मिलने लगा रोजगार, शहरों से लौटे मजदूरों के चेहरों पर आने लगी बहार - मनरेगा के तहत काम कर रहे मजदूर

कोरोना को लेकर लागू लॉकडाउन के चलते आगर मालवा के मजदूर बेरोजगार होने के बाद दूसरों राज्यों और शहरों से लौट आए थे. लेकिन अब सरकार की पहल पर जनपद पंचायत के सीईओ पराग पंथी ने उन्हें अपने इलाकों में ही रोजगार उपलब्ध कराया है.

Relief from financial crisis
आर्थिक सकंट से राहत
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Published : May 28, 2020, 6:26 PM IST

आगर मालवा। कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए देशभर में लागू किए गए लॉकडाउन के कारण जहां बड़े पैमाने पर मजदूर शहरों को छोड़कर वापस अपने-अपने गांव लौट गए हैं. सरकार अब उन्हें रोजगार उपलब्ध करवा रही है. राहत की बात ये है कि उन्हें गांवों में ही मनरेगा के तहत काम भी मिल रहा है.

शहरों से लौटे मजदूरों के चेहरों पर आने लगी बहार

मनरेगा के तहत मजदूरों को मिला काम

इस पहल के तहत सरकार ने जनपद पंचायतों के अन्तर्गत आने वाले गांवों में काम भी शुरू करवा दिया है. जिले की सुसनेर जनपद पंचायत के अन्तर्गत 55 ग्राम पंचायतों में करीब तीन हजार 771 मजदूरों को काम मिला है. उन्हें प्रतिदिन 190 रूपए मजदूरी के भी दिए जा रहे हैं, ताकि मजदूरों का आर्थिक संकट दूर हो सके. मजदूरों की रोजगार की समस्या को देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने मनरेगा योजना के तहत राहत काम शुरू किया है. इससे क्षेत्र के ऐसे मजदूरों को रोजगार मिल गया, जो कोरोना संकट के चलते लगे लॉकडाउन के बाद रोजगार के लिए परेशान थे. लॉकडाउन के चलते इनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया था. अंदर भूख का तांडव और बाहर पुलिस के डंडों के भय से मजदूर अपनी किस्मत को कोसते नजर आते थे. मजदूरों के रोजगार बंद होने से इनलोगों की आर्थिक हालत खस्ता हो चुकी थी. इसको देखते हुए जनपद पंचायत सुसनेर ने राहत काम शुरू किया, जिससे मजदूरों की रोजी-रोटी की समस्या खत्म हो सके.

जनपद पंचायत सीईओ ने मजदूरों को कराया रोजगार उपलब्ध

जनपद पंचायत के सीईओ पराग पंथी के अनुसार क्षेत्र की समस्त ग्राम पंचायतो में मनरेगा के तहत 139 राहत कार्य शुरू करवाए गए हैं. जनपद के अन्तर्गत आने वाली इन पंचायतो में 11 जगहों पर कंटूर के तहत 5500 जल संरचनाएं, 42 कपिलधारा कूप, 35 जगहों पर तालाब, 3 चारागाह, 12 जगहों पर डग आउट पौंड, 21 जगहों पर वृक्षारोपण, आठ जगहों पर सामुदायिक कूप निर्माण और आठ जगहों पर तालाबों की मरम्मत करवाई जा रही है. इन सभी जगहों पर शासन के निर्देशानुसार मनेरगा के तहत मजदूरों को रोजगार उपलब्ध करवाया गया है.

आर्थिक संकट से मजदूरों को राहत

सरकार ने लॉकडाउन में मनरेगा के तहत काम की मंजूरी देकर मजदूरों की जिंदगी पटरी पर लाने की कोशिश की है. इस कारण मजदूरों को अब अपना या अपने परिवार का पेट पालने में परेशानी नहीं होगी. साथ ही उन्हें आर्थिक संकट से भी राहत मिलेगी.

आगर मालवा। कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए देशभर में लागू किए गए लॉकडाउन के कारण जहां बड़े पैमाने पर मजदूर शहरों को छोड़कर वापस अपने-अपने गांव लौट गए हैं. सरकार अब उन्हें रोजगार उपलब्ध करवा रही है. राहत की बात ये है कि उन्हें गांवों में ही मनरेगा के तहत काम भी मिल रहा है.

शहरों से लौटे मजदूरों के चेहरों पर आने लगी बहार

मनरेगा के तहत मजदूरों को मिला काम

इस पहल के तहत सरकार ने जनपद पंचायतों के अन्तर्गत आने वाले गांवों में काम भी शुरू करवा दिया है. जिले की सुसनेर जनपद पंचायत के अन्तर्गत 55 ग्राम पंचायतों में करीब तीन हजार 771 मजदूरों को काम मिला है. उन्हें प्रतिदिन 190 रूपए मजदूरी के भी दिए जा रहे हैं, ताकि मजदूरों का आर्थिक संकट दूर हो सके. मजदूरों की रोजगार की समस्या को देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने मनरेगा योजना के तहत राहत काम शुरू किया है. इससे क्षेत्र के ऐसे मजदूरों को रोजगार मिल गया, जो कोरोना संकट के चलते लगे लॉकडाउन के बाद रोजगार के लिए परेशान थे. लॉकडाउन के चलते इनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया था. अंदर भूख का तांडव और बाहर पुलिस के डंडों के भय से मजदूर अपनी किस्मत को कोसते नजर आते थे. मजदूरों के रोजगार बंद होने से इनलोगों की आर्थिक हालत खस्ता हो चुकी थी. इसको देखते हुए जनपद पंचायत सुसनेर ने राहत काम शुरू किया, जिससे मजदूरों की रोजी-रोटी की समस्या खत्म हो सके.

जनपद पंचायत सीईओ ने मजदूरों को कराया रोजगार उपलब्ध

जनपद पंचायत के सीईओ पराग पंथी के अनुसार क्षेत्र की समस्त ग्राम पंचायतो में मनरेगा के तहत 139 राहत कार्य शुरू करवाए गए हैं. जनपद के अन्तर्गत आने वाली इन पंचायतो में 11 जगहों पर कंटूर के तहत 5500 जल संरचनाएं, 42 कपिलधारा कूप, 35 जगहों पर तालाब, 3 चारागाह, 12 जगहों पर डग आउट पौंड, 21 जगहों पर वृक्षारोपण, आठ जगहों पर सामुदायिक कूप निर्माण और आठ जगहों पर तालाबों की मरम्मत करवाई जा रही है. इन सभी जगहों पर शासन के निर्देशानुसार मनेरगा के तहत मजदूरों को रोजगार उपलब्ध करवाया गया है.

आर्थिक संकट से मजदूरों को राहत

सरकार ने लॉकडाउन में मनरेगा के तहत काम की मंजूरी देकर मजदूरों की जिंदगी पटरी पर लाने की कोशिश की है. इस कारण मजदूरों को अब अपना या अपने परिवार का पेट पालने में परेशानी नहीं होगी. साथ ही उन्हें आर्थिक संकट से भी राहत मिलेगी.

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