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खरीदी केंद्र पर किसानों द्वारा बेची गई फसल का नहीं हुआ भुगतान, अन्नदाता परेशान - समर्थन मूल्य पर गेहूं

किसानों ने बड़ी उम्मीद और आस से साथ रवि फसल की उपज को समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीद केंद्र पर बेचा था. कि उन्हें सरकार से फसल का उचित दाम मिलेगा. लेकिन सरकार ने किसानों के द्वारा बेची गई फसल की राशि उन्हें नहीं दी.

Farmers arriving outside the district cooperative banks for the deducted amount of support price.
जिला सहकारी बैंकों के बाहर समर्थन मूल्य की काटी गई राशि के लिए पहुंच रहे किसान
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Published : Jun 23, 2020, 7:14 AM IST

आगर। किसानों ने बड़ी उम्मीद और आस से साथ रवि फसल की उपज को समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीद केंद्र पर बेचा था. कि उन्हें सरकार से फसल का उचित दाम मिलेगा. लेकिन सरकार ने किसानों के द्वारा बेची गई फसल की राशि उन्हें नहीं दी. सरकार ने किसानों के द्वारा फसल की राशि को उनके कर्ज की बकाया राशि से काट ली है. जिससे किसान बहुत परेशान हैं. शाजापुर और आगर जिले की सहकारी समितियों को कंट्रोल करने वाले जिला सहकारी बैंक के प्रबंधक के एक आदेश से यह सवाल खड़े हो रहे हैं कि सरकार की आर्थिक की स्थिति कमजोर हो गई है कि वह किसानों के समर्थन मूल्य की गेहूं की राशि भी देने में असमर्थ है. जिला सहकारी बैंक के जिला प्रबंधक ने अप्रैल के आखिरी सप्ताह में एक आदेश जारी कर समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने वाले जिन किसानों की कर्ज की राशि भुगतान में से काटी गई थी. उस राशि को होल्ड पर रखने को कहा था. जिसके बाद खरीदी करने वाली सहकारी संस्थाओं ने ऐसे कृषकों की सूची जिला सहकारी बैंक की स्थानीय शाखा में देकर उनके भुगतान को होल्ड करते हुए रोक लगा दी थी.

Farmers arriving outside the district cooperative banks for the deducted amount of support price.
जिला सहकारी बैंकों के बाहर समर्थन मूल्य की काटी गई राशि के लिए पहुंच रहे किसान

दरअसल, जिले में समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी के लिए शासन द्वारा बनाए गए 39 खरीदी केन्द्रों पर गेहूं की खरीदी की गई थी. इनमें सुसनेर क्षेत्र में 5 केन्द्रों पर उपज बेचने वाले लगभग 700 किसानो की ऋण की बकाया राशि उनके भुगतान में से काट ली गई थी. यह राशि 2 करोड़ के लगभग थी. पूरे आगर जिले में लगभग 5 से 7 हजार किसान ऐसे हैं जिनके खातों से राशि काटी गई थी. अब ये किसान अपनी राशि वापस पाने के लिए बैंकों के चक्कर लगा रहे हैं. राशि वापस देने से पहले बैंक के जिम्मेदार इन किसानों को वापस सहकारी संस्थाओं में भेजकर बकाया राशि वापस जमा करने तथा सहकारी संस्था से जमा का प्रमाण पत्र लाने के बाद भुगतान करने को बोल रहे हैं. इससे किसानों के सामने समस्या खड़ी हो गई है. कि वे अब राशि कहां से लाए. प्री मानसून की बारिश के मद्देनजर किसान बोवनी कार्य में जूट गए है. लेकिन उनको फसल का भुगतान नहीं मिलने के कारण वे खाद-बीज के लिए परेशान हो रहे है.

सहकारी संस्थाएं कोरे विड्राल पर किसानों से करवा रहीं हस्ताक्षर

किसान ऋण की बकाया राशि सहकारी संस्थाओं में जमा नहीं कर पा रहे हैं. उन किसानों से राशि लेने के लिए सहकारी संस्थाओं ने नया तरीका निकाला है. सहकारी संस्थाओं के जिम्मेदार उन किसानों से कोरे विड्राल पर हस्ताक्षर करवा करके अपने पास रख रहे हैं. जिससे वे इन किसानों का भुगतान निकाल सकें. लेकिन यह बैंक के नियमों के विपरीत है और मिली भगत की आशंका के चलते इसमें गड़बड़ी किये जाने की पूरी आशंका है.

जिला सहकारी बैंक प्रबंधक एके हरसोला का कहना है की समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने वाले किसानों के भुगतान से काटी गई ऋण की बकाया राशि को होल्ड पर रखने के आदेश सभी सहकारी संस्थाओं को दिये गए हैं. काटी गई राशि पहले सहकारी संस्थाओं के खातों में जमा होना थी. जो किसी कारण जमा नहीं हो सकी है. चुकी संस्था के ऋण की बकाया राशि की वसूली की जाना है. इसलिए होल्ड पर रखने के आदेश दिये गए हैं.

आगर। किसानों ने बड़ी उम्मीद और आस से साथ रवि फसल की उपज को समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीद केंद्र पर बेचा था. कि उन्हें सरकार से फसल का उचित दाम मिलेगा. लेकिन सरकार ने किसानों के द्वारा बेची गई फसल की राशि उन्हें नहीं दी. सरकार ने किसानों के द्वारा फसल की राशि को उनके कर्ज की बकाया राशि से काट ली है. जिससे किसान बहुत परेशान हैं. शाजापुर और आगर जिले की सहकारी समितियों को कंट्रोल करने वाले जिला सहकारी बैंक के प्रबंधक के एक आदेश से यह सवाल खड़े हो रहे हैं कि सरकार की आर्थिक की स्थिति कमजोर हो गई है कि वह किसानों के समर्थन मूल्य की गेहूं की राशि भी देने में असमर्थ है. जिला सहकारी बैंक के जिला प्रबंधक ने अप्रैल के आखिरी सप्ताह में एक आदेश जारी कर समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने वाले जिन किसानों की कर्ज की राशि भुगतान में से काटी गई थी. उस राशि को होल्ड पर रखने को कहा था. जिसके बाद खरीदी करने वाली सहकारी संस्थाओं ने ऐसे कृषकों की सूची जिला सहकारी बैंक की स्थानीय शाखा में देकर उनके भुगतान को होल्ड करते हुए रोक लगा दी थी.

Farmers arriving outside the district cooperative banks for the deducted amount of support price.
जिला सहकारी बैंकों के बाहर समर्थन मूल्य की काटी गई राशि के लिए पहुंच रहे किसान

दरअसल, जिले में समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी के लिए शासन द्वारा बनाए गए 39 खरीदी केन्द्रों पर गेहूं की खरीदी की गई थी. इनमें सुसनेर क्षेत्र में 5 केन्द्रों पर उपज बेचने वाले लगभग 700 किसानो की ऋण की बकाया राशि उनके भुगतान में से काट ली गई थी. यह राशि 2 करोड़ के लगभग थी. पूरे आगर जिले में लगभग 5 से 7 हजार किसान ऐसे हैं जिनके खातों से राशि काटी गई थी. अब ये किसान अपनी राशि वापस पाने के लिए बैंकों के चक्कर लगा रहे हैं. राशि वापस देने से पहले बैंक के जिम्मेदार इन किसानों को वापस सहकारी संस्थाओं में भेजकर बकाया राशि वापस जमा करने तथा सहकारी संस्था से जमा का प्रमाण पत्र लाने के बाद भुगतान करने को बोल रहे हैं. इससे किसानों के सामने समस्या खड़ी हो गई है. कि वे अब राशि कहां से लाए. प्री मानसून की बारिश के मद्देनजर किसान बोवनी कार्य में जूट गए है. लेकिन उनको फसल का भुगतान नहीं मिलने के कारण वे खाद-बीज के लिए परेशान हो रहे है.

सहकारी संस्थाएं कोरे विड्राल पर किसानों से करवा रहीं हस्ताक्षर

किसान ऋण की बकाया राशि सहकारी संस्थाओं में जमा नहीं कर पा रहे हैं. उन किसानों से राशि लेने के लिए सहकारी संस्थाओं ने नया तरीका निकाला है. सहकारी संस्थाओं के जिम्मेदार उन किसानों से कोरे विड्राल पर हस्ताक्षर करवा करके अपने पास रख रहे हैं. जिससे वे इन किसानों का भुगतान निकाल सकें. लेकिन यह बैंक के नियमों के विपरीत है और मिली भगत की आशंका के चलते इसमें गड़बड़ी किये जाने की पूरी आशंका है.

जिला सहकारी बैंक प्रबंधक एके हरसोला का कहना है की समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने वाले किसानों के भुगतान से काटी गई ऋण की बकाया राशि को होल्ड पर रखने के आदेश सभी सहकारी संस्थाओं को दिये गए हैं. काटी गई राशि पहले सहकारी संस्थाओं के खातों में जमा होना थी. जो किसी कारण जमा नहीं हो सकी है. चुकी संस्था के ऋण की बकाया राशि की वसूली की जाना है. इसलिए होल्ड पर रखने के आदेश दिये गए हैं.

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