आगर। लॉकडाउन में प्रशासन कोरोना योद्धाओं का तो ख्याल रख रहा है, लेकिन कुछ ऐसे लोग भी हैं, जिनको बहुत कम मानदेय मिलता है, उनकी सुध लेने को कोई तैयार नहीं है, फिर भी वे अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं, सुसनेर विधानसभा क्षेत्र के पटपड़ा गांव के बुजुर्ग चौकीदार को 3 माह से वेतन नहीं मिला है, फिर भी वे यहां पर शिक्षकों के साथ 24 घंटे गांव के बाहर पहरा दे रहे हैं और बाहरी लोगों को गांव में आने से रोक रहे हैं, ताकि कोरोना के संक्रमण को फैलने से रोका जा सके.
65 वर्षीय बुजुर्ग मांगीलाल ने बताया कि 4 हजार रूपये महीने मानदेय मिलता है, लेकिन वह भी 3 महीने से नहीं मिला है, घर पर भी परिवार हैं, ऐसे में गुजारा मुश्किल हो रहा है. दुकाने भी बंद हैं, उधार भी ले नहीं सकता, फिर भी कोरोना से लड़ाई लड़ने के लिए दिन रात गांव के बाहर पहरा दे रहा हूं.
पटपड़ा ऐसा गांव हैं, जिसकी तीन दिशाओं से पगडंडी वाले रास्ते राजस्थान की सीमा की ओर जाते हैं, ऐसे में कोई भी व्यक्ति इन रास्तों के जरिए मध्यप्रदेश की सीमा में प्रवेश कर सकता है, इसके लिए ग्राम के मेहतपुर रोड पर जहां पर ये तीनों रास्ते मिलते हैं, वहां पर 2-2 शिक्षक 3 शिफ्टों में 8-8 घंटे की ड्यूटी कर रहे हैं. शिक्षक दिनेश ओसारा और गोकुल वर्मा के साथ ही यहां पर 65 वर्षीय चौकीदार मांगीलाल भी पिछले 3 माह का मानदेय नहीं मिलने के बाद भी 24 घंटे पहरा दे रहे हैं.