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सूर्य ग्रहण में बंद रहे मंदिर के पट, घरों में रहकर किया मंत्रोचार

आगर मालवा जिले के सुसनेर में साल के पहले सूर्यग्रहण के कारण मंदिरों के पट बंद कर दिए गए और ग्रहण काल के दौरान महिलाओं ने घर पर भजन-कीर्तन किया. साथ ही इसके दुष्प्रभाव से बचने के लिए लोगों ने घरों में ही रहकर महामत्युंजय मंत्र का जाप किया.

temples closed during solar eclipse
ग्रहण के दौरान महिलाओं ने भजन-कीर्तन किया
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Published : Jun 21, 2020, 8:45 PM IST

आगर। साल का पहला सूर्य ग्रहण में सूरज निकलने के बाद भी आसमान में दूधिया रोशनी देखने को मिली. रविवार को सुबह से ही क्षेत्र के सभी बड़े-छोटे मंदिरों के पट को बंद कर दिया गया था, वहीं ग्रहण शुरु होते ही जगह-जगह महिलाओं ने जगह-जगह भजन कीर्तन शुरु कर दिया, जो कि ग्रहण खत्म होने तक जारी रहा. वहीं कई लोगों ने अपने घरों में रहकर महामत्युंजय मंत्र का जाप किया और ग्रहण का सूतक खत्म होने के बाद ही भोजन किया.

रविवार को सूर्य ग्रहणकाल के समय मेन रोड पर महिलाओं ने भजन-कीर्तन का आयोजन किया. भजनों के माध्यम से भगवान शंकर से ग्रहणकाल के दौरान आने वाले संकट को टालने की प्रार्थना की. सूर्यग्रहण के शुरू होने से लेकर दोपहर के 3 बजे तक महिलाओं ने लगातार भजन गाए, भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए महिलाओं ने भजन गीत गाए. ग्रहण के दौरान हर कोई अपने घरों में था वहीं ग्रहण खत्म होते ही पहले साफ सफाई की गई, जिसके बाद मंदिरों के पट खोले गए और पूजा-अर्चना की गई और भगवान को भोग लगाया गया.

ग्रहण के शुरू होते ही लोगों ने घरों में कीर्तन और महामत्युंज मंत्र और अन्य मंत्रों का जाप शुरू कर दिया. घर के सदस्यों ने भगवान के पास बैठकर सूर्य देवता के मंत्र का जाप किया, तुलसी की माला से लगातार मंत्रोचार किया गया. वहीं सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पहले ही सभी मंदिरों के पट बंद कर दिये गये थे, ग्रहण के दौरान लोगों ने खाना नहीं खाया और बच्चों को घर से बाहर नहीं जाने दिया गया.

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, इस बार सूर्य ग्रहण धनु राशि में आ रहा है, जिसके दुष्प्रभाव ज्यादा पड़ेंगें. दुष्प्रभाव से बचने के लिए लोगों ने घर पर ही रहकर जाप और हवन किए गए ताकी इस ग्रहण का कोई बुरा असर न पड़ सके. वहीं तीर्थ, स्नान और दान आदि की परंपरा का निर्वहन करते हुए जरूरतमंद लोगों में दान-पुण्य भी किया गया. रात को बने हुए खानों में भी तुलसी के पत्ते डाल दिए गए थे.

आगर। साल का पहला सूर्य ग्रहण में सूरज निकलने के बाद भी आसमान में दूधिया रोशनी देखने को मिली. रविवार को सुबह से ही क्षेत्र के सभी बड़े-छोटे मंदिरों के पट को बंद कर दिया गया था, वहीं ग्रहण शुरु होते ही जगह-जगह महिलाओं ने जगह-जगह भजन कीर्तन शुरु कर दिया, जो कि ग्रहण खत्म होने तक जारी रहा. वहीं कई लोगों ने अपने घरों में रहकर महामत्युंजय मंत्र का जाप किया और ग्रहण का सूतक खत्म होने के बाद ही भोजन किया.

रविवार को सूर्य ग्रहणकाल के समय मेन रोड पर महिलाओं ने भजन-कीर्तन का आयोजन किया. भजनों के माध्यम से भगवान शंकर से ग्रहणकाल के दौरान आने वाले संकट को टालने की प्रार्थना की. सूर्यग्रहण के शुरू होने से लेकर दोपहर के 3 बजे तक महिलाओं ने लगातार भजन गाए, भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए महिलाओं ने भजन गीत गाए. ग्रहण के दौरान हर कोई अपने घरों में था वहीं ग्रहण खत्म होते ही पहले साफ सफाई की गई, जिसके बाद मंदिरों के पट खोले गए और पूजा-अर्चना की गई और भगवान को भोग लगाया गया.

ग्रहण के शुरू होते ही लोगों ने घरों में कीर्तन और महामत्युंज मंत्र और अन्य मंत्रों का जाप शुरू कर दिया. घर के सदस्यों ने भगवान के पास बैठकर सूर्य देवता के मंत्र का जाप किया, तुलसी की माला से लगातार मंत्रोचार किया गया. वहीं सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पहले ही सभी मंदिरों के पट बंद कर दिये गये थे, ग्रहण के दौरान लोगों ने खाना नहीं खाया और बच्चों को घर से बाहर नहीं जाने दिया गया.

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, इस बार सूर्य ग्रहण धनु राशि में आ रहा है, जिसके दुष्प्रभाव ज्यादा पड़ेंगें. दुष्प्रभाव से बचने के लिए लोगों ने घर पर ही रहकर जाप और हवन किए गए ताकी इस ग्रहण का कोई बुरा असर न पड़ सके. वहीं तीर्थ, स्नान और दान आदि की परंपरा का निर्वहन करते हुए जरूरतमंद लोगों में दान-पुण्य भी किया गया. रात को बने हुए खानों में भी तुलसी के पत्ते डाल दिए गए थे.

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