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भगवान बालाजी के दरबार में पूरी होती है सबकी मुराद, कोई नहीं जाता खाली हाथ - कालवा बालाजी मंदिर सुसनेर

आगर जिले के सुसनेर शहर से 15 किलोमीटर दूर मध्यप्रदेश और राजस्थान की सीमा पर विध्यांचल पर्वत पर स्थित कालवा बालाजी मंदिर में मनोकामना पूर्ण होने के कारण श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र बना हुआ है. इसी के चलते कई राज्यो से श्रद्धालु यहां पहुँच रहे है। मनोकामना पूरी होने पर श्रद्धालु अपने परिवार के साथ आकर भोजन प्रसादी बनाते है और हनुमानजी को दाल-बाटी का भोग लगाते है.

कालवा बालाजी मंदिर
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Published : Jul 19, 2019, 2:16 PM IST

आगर-मालवा। भक्त-भगवान के बीच रिश्ता ही ऐसा होता है कि भक्त भगवान के दर पर खिंचा चला जाता है. सुसनेर से 15 किलोमीटर दूर मध्यप्रदेश और राजस्थान के सीमाई क्षेत्र में विध्यांचल पर्वत पर स्थित कालवा बालाजी मंदिर आस्था का केंद्र बना है, लोगों का मानना है कि यहां हाजिरी लगाने से सबकी मनोकामना पूरी हो जाती है. यही वजह है कि कई राज्यों से लोग यहां दर्शन करने पहुंचते हैं.

भगवान बालाजी के दरबार में पूरी होती है सबकी मुराद

बालाजी महराज के इस मंदिर में हनुमानजी को दाल-बाटी का भोग लगाया जाता है, सालों से ये परंपरा चली आ रही है. कहा जाता है कि बालाजी महाराज भक्तों की सभी मन्नतें पूरी करते है. जिसके बाद भक्त मंदिर में भंडारा करवाते हैं. आगर जिल का ये धार्मिक स्थल अब धीरे-धीरे पर्यटन स्थल में तब्दील होता जा रहा है.

प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है वातावरण
विध्यांचल पर्वत पर स्थित ये मंदिर दूर से ही दिखाई देता है. सावन माह में मंदिर के आस-पास हरियाली ही हरियाली नजर आती है. जिससे प्रकृति की अनुपम छटा देखने को मिलती है. जिसके चलते धीरे-धीरे ये मंदिर अब पिकनिक स्पाट भी बनता जा रहा है. मंदिर तक पहुंचने वाला कच्चा मार्ग भी जल्द ही बनने वाला है. स्थानीय विधायक ने मंदिर तक भक्तों के पहुंचने के लिए सड़क बनवाने को स्वीकृति दिलाई है.

आगर-मालवा। भक्त-भगवान के बीच रिश्ता ही ऐसा होता है कि भक्त भगवान के दर पर खिंचा चला जाता है. सुसनेर से 15 किलोमीटर दूर मध्यप्रदेश और राजस्थान के सीमाई क्षेत्र में विध्यांचल पर्वत पर स्थित कालवा बालाजी मंदिर आस्था का केंद्र बना है, लोगों का मानना है कि यहां हाजिरी लगाने से सबकी मनोकामना पूरी हो जाती है. यही वजह है कि कई राज्यों से लोग यहां दर्शन करने पहुंचते हैं.

भगवान बालाजी के दरबार में पूरी होती है सबकी मुराद

बालाजी महराज के इस मंदिर में हनुमानजी को दाल-बाटी का भोग लगाया जाता है, सालों से ये परंपरा चली आ रही है. कहा जाता है कि बालाजी महाराज भक्तों की सभी मन्नतें पूरी करते है. जिसके बाद भक्त मंदिर में भंडारा करवाते हैं. आगर जिल का ये धार्मिक स्थल अब धीरे-धीरे पर्यटन स्थल में तब्दील होता जा रहा है.

प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है वातावरण
विध्यांचल पर्वत पर स्थित ये मंदिर दूर से ही दिखाई देता है. सावन माह में मंदिर के आस-पास हरियाली ही हरियाली नजर आती है. जिससे प्रकृति की अनुपम छटा देखने को मिलती है. जिसके चलते धीरे-धीरे ये मंदिर अब पिकनिक स्पाट भी बनता जा रहा है. मंदिर तक पहुंचने वाला कच्चा मार्ग भी जल्द ही बनने वाला है. स्थानीय विधायक ने मंदिर तक भक्तों के पहुंचने के लिए सड़क बनवाने को स्वीकृति दिलाई है.

Intro:आगर। आगर जिले के सुसनेर शहर से 15 किलोमीटर दूर मध्यप्रदेश और राजस्थान की सीमा पर विध्यांचल पर्वत पर स्थित कालवा बालाजी मंदिर में मनोकामना पूर्ण होने के कारण श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र बना हुआ है। इसी के चलते कई राज्यो से श्रद्धालु यहां पहुँच रहे है। मनोकामना पूरी होने पर श्रद्धालु अपने परिवार के साथ आकर भोजन प्रसादी बनाते है और हनुमानजी को दाल-बाटी का भोग लगाते है। यह परम्परा सालो से चली आ रही है। इसी के चलते यहां प्रति मंगलवार और शनिवार को हजारों श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। यहां से दुखियों के दुख दूर होते है तो वहीं रोगीयों की पीडा का भी निवारण होता है। कई पारिवारिक कलेश व जीवन में अाने वाली समस्याओं का छुटकारा कालवा बालाजी दिलाते है। इसलिए यहां प्रतिदिन श्रद्धालुओं की संख्या बढती जा रही हैBody:मंदिर के पुजारी देवीसिंह और कांतीप्रसाद व्यास के अनुसार यहां मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र सहित कई अन्य राज्यों से श्रद्धालु दर्शन करने आते है। वे अपनी समस्याएं बालाजी के समक्ष रखकर जाते है और जब मन्नत पूरी हो जाती है तो परिवार के साथ आकर चोला चढाकर उनकी पूजा अर्चना कर यहीं पर भोजन पकाते और दाल-बाटी का भौग हनुमानजी को लगाया जाता है।

प्रभु दर्शन के साथ पिकनिक का आनंद

यह श्रद्धालुआंे के लिए एक सुरम्य और प्राकृतिक सौंदर्य से सुज्जित धार्मिक स्थल है। जो धीरे-धीरे पर्यटन स्थल का रूप लेता जा रहा है। यही कारण यह है यह स्थान अब पिकनिक स्पाट का रूप धारण करता जा रहा है। इसलिए लोगो को प्रभु दर्शन के साथ पिकनिक का आंनद भी मिलता है।

भजन मंडलिया करती है भजन कीर्तन

आसपास कई ग्राम इस मंदिर से जूडे हुएं है। श्यामपुरा, देहरीया, पंचदेहरीया, मेना, सारसी, पटपडा, मालनवासा, कलारिया सहित कई ग्रामों के ग्रामीणो और शहरवासीयों की अटूट आस्था यहां से जूडी हुई है। इसलिए प्रति मंगलवार और शनिवार को यहां पर आकर अपने-अपने गांवो की भजन मंडलियों के साथ भजन कीर्तन करते है।

प्राकृतिक सोंदर्य से भरपूर है वातावरण

विध्यांचल पर्वत पर स्थित मंदिर और चारों आैर से दिखाई देता प्राकृतिक नाजार लोगो को बरबस ही अपनी और आर्कषित करता है। इसलिए यहां प्राकृतिक आंनद लेने के लिए भी लोग दूर-दूर से आते है। राजस्थान की सीमा से जूडा होने के कारण आसपास के श्रद्धालुओं के अलावा यहां डग, पिडावा, झालवाड राजस्थान से भी श्रद्धालु पिकनिक मनाने के लिए आते रहते है।

विधायक ने कराई सड़क स्वीकृत

वैसे तो इस मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए सारी सुविधाएं जिसमें यहां भोजन पकाने से लेकर ठहरने तक की व्यवस्था है। किन्तु पहाडी इलाका होने के कारण सड़क कच्ची है जिसके कारण श्रद्धालुओं काे काफी परेशानीयों का सामना करना पडता है। कई दो पहीया से आने वाले वाहन चालक दुर्घटना का शिकार हो जाते है।े इसके मद्देनजर विधायक विक्रमसिंह राणा ने ग्राम श्यामपुरा से कालवा बालाजी तक सड़क शासन से स्वीकृत करवाई है। जल्द ही कार्य शुरू होने की उम्मीद है। इस सड़क के बन जाने के बाद यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में भी इजाफा होगा।Conclusion:मंदिर में दिनोदिन श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही है, प्राकृतिक वातावरण होने से पिकनिक स्पॉट भी बना हुआ है, यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं ने शासन से इस धार्मिक स्थल को पर्यटन स्थल घोषित किये जाने की मांग की है, कच्ची सड़क होने के कारण श्रद्धालुओं को काफी परेशानीयो का सामना करना पड़ रहा था इसलिए विधायक के प्रयासो से सड़क को शासन से मंजूरी मिली है।

बाईट- कांतिप्रसाद व्यास, पुजारी, कालवा बालाजी मंदिर।

बाईट- श्री मति निशा जैन, सामाजिक कार्यकर्ता, सुसनेर।

बाईट- राधेश्याम गुर्जर, ग्राम धान्यखेड़ी उज्जैन।

बाईट- राणा विक्रमसिंह, विधायक सुसनेर।
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