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जिम्मेदारों ने नहीं बनाया मजदूर परिवार का राशन के लिये BPL कार्ड

आगर मालवा के सुसनेर के गांव मगीशपुर में लॉकडाउन होने के कारण 4 मजदूर परिवार परेशान हैं, जहां गांव का मतदान प्रतिशत बढ़ाने तो जिम्मेदारों ने मतदाता परिचय पत्र तो बनवा दिये लेकिन शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के लिये बीपीएल राशन कार्ड नहीं बनवाया गया, जिससे मजदूर परिवार को प्रधानमंत्री की गरीब कल्याण योजना के तहत राशन नहीं मिल पा रही है.

Responsibilities did not make BPL card for ration of laborer family
जिम्मेदारों ने नहीं बनाया मजदूर परिवार का राशन के लिये बीपीएल कार्ड
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Published : Apr 29, 2020, 4:18 PM IST

आगर मालवा। जिले के सुसनेर विधानसभा के गांव मगीशपुर में 4 लोगों का मजदूर परिवार लॉकडाउन में मजदूरी बंद होने के कारण परेशान है. गांव का मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए जिम्मेदारों के द्वारा चन्दरसिंह के परिवार के सदस्यों के मतदाता परिचय पत्र तो बनवा दिये गए लेकिन शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के लिये बीपीएल राशन कार्ड नहीं बनवाया. अब ऐसे में लॉकडाउन के दौरान प्रधानमंत्री की गरीब कल्याण योजना के तहत राशन दुकानों से मिलने वाला चावल भी इस गरीब मजदूर के परिवार को नहीं मिल पाया है.

वहीं मजदूर चन्दरसिंह का कहना है की लॉकडाउन में मजदूरी भी बंद होने के कारण परिवार के भरण पोषण की समस्या खड़ी हो गई है. चुनाव में वोट डालने के लिए मेरा और मेरे परिवार के वोटर कार्ड तो बनाये गए लेकिन राशन कार्ड नहीं बनाया इसलिए मुझे किसी भी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. मैं राशन दुकान पर चावल लेने पहुंचा तो मना कर दिया गया, जबकि सरकार लॉक डाउन में जरूरतमंद गरीबों को भी राशन दे रही है, लेकिन मुझे तो 4 सालों से राशन ही नहीं मिला है.

दरअसल चन्दर सिंह इस गांव के जमाई हैं, जो मजदूरी के चलते पिछले 4 सालों से मगीशपुर आकर बस गए है, यहां पर उनका मतदाता परिचय पत्र तो जिम्मेदारों ने बना दिया लेकिन सरकार की ओर से मिलने वाली योजनाओं के लाभ के लिये राशनकार्ड नहीं बनवाया गया.

बता दें की लॉकडॉउन में कई परिवार ऐसे है जिन्हें अब तक शासन की योजनाओं का लाभ नहीं पहुच पा रहा है, जबकि वो वास्तविक पात्रता भी रखते है, चन्दरसिंह जैसे कई परिवार क्षेत्र में है जिनके पास लॉकडाउन में न तो कोई मदद पहुंची है और न ही कोई प्रशासन का कोई जिम्मेदार उनकी सुध लेने पहुंचा है.

आगर मालवा। जिले के सुसनेर विधानसभा के गांव मगीशपुर में 4 लोगों का मजदूर परिवार लॉकडाउन में मजदूरी बंद होने के कारण परेशान है. गांव का मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए जिम्मेदारों के द्वारा चन्दरसिंह के परिवार के सदस्यों के मतदाता परिचय पत्र तो बनवा दिये गए लेकिन शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के लिये बीपीएल राशन कार्ड नहीं बनवाया. अब ऐसे में लॉकडाउन के दौरान प्रधानमंत्री की गरीब कल्याण योजना के तहत राशन दुकानों से मिलने वाला चावल भी इस गरीब मजदूर के परिवार को नहीं मिल पाया है.

वहीं मजदूर चन्दरसिंह का कहना है की लॉकडाउन में मजदूरी भी बंद होने के कारण परिवार के भरण पोषण की समस्या खड़ी हो गई है. चुनाव में वोट डालने के लिए मेरा और मेरे परिवार के वोटर कार्ड तो बनाये गए लेकिन राशन कार्ड नहीं बनाया इसलिए मुझे किसी भी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. मैं राशन दुकान पर चावल लेने पहुंचा तो मना कर दिया गया, जबकि सरकार लॉक डाउन में जरूरतमंद गरीबों को भी राशन दे रही है, लेकिन मुझे तो 4 सालों से राशन ही नहीं मिला है.

दरअसल चन्दर सिंह इस गांव के जमाई हैं, जो मजदूरी के चलते पिछले 4 सालों से मगीशपुर आकर बस गए है, यहां पर उनका मतदाता परिचय पत्र तो जिम्मेदारों ने बना दिया लेकिन सरकार की ओर से मिलने वाली योजनाओं के लाभ के लिये राशनकार्ड नहीं बनवाया गया.

बता दें की लॉकडॉउन में कई परिवार ऐसे है जिन्हें अब तक शासन की योजनाओं का लाभ नहीं पहुच पा रहा है, जबकि वो वास्तविक पात्रता भी रखते है, चन्दरसिंह जैसे कई परिवार क्षेत्र में है जिनके पास लॉकडाउन में न तो कोई मदद पहुंची है और न ही कोई प्रशासन का कोई जिम्मेदार उनकी सुध लेने पहुंचा है.

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