आगर मालवा। जिले के सुसनेर के ग्रामीण अंचल के लोग यात्री वाहनों के अलावा अपने निजी वाहनों से भी शहर में आना जाना कर सकें इसके लिए विभिन्न गांवों को शहर से जोड़ने वाले मार्गों पर बनाई गई पुलिया अब क्षतिग्रस्त हो चुकी है, न तो इन पर रैलिंग है और न ही हादसों से बचने के लिए दीवार बनी हुई है. बारिश के मौसम में इनका मटेरियल भी बह गया है. ऐसे में ये पुलिया अब लोगों के लिए खतरनाक साबित होने लगी है. लेकिन उसके बाद भी इस ओर जिम्मैदार ध्यान देने को तैयार नहीं है.
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क्षेत्र में करीब आधा दर्जन छोटी-मोटी पुलिया हैं जहां आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं. जिसमें घायल हुए लोगों को अस्पताल का रास्ता देखना पड़ता है. ऐसे ही न जाने कितने लोग इन जगहों पर गिरकर चोटिल होते होंगे. इसके बावजूद भी इन पुल-पुलियाओं की और जिम्मेदारों का ध्यान नहीं है. दरअसल बारिश के समय नदी में पानी का तेज बहाव होने के कारण इन पुलियाओं का मटेरियल बह गया था तब से ये क्षतिग्रस्त हैं. इस वजह से भी यहां हादसों की संख्या में इजाफा हो रहा है.
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ये दो प्रमुख पुलियाओं को है मरम्मत की दरकार
नगर के पिडावा दरवाजा से राजस्थान की सीमा को जोड़ने वाले डग-सुसनेर मार्ग और पिडावा-सुसनेर को जोड़ने वाले दोनों ही मार्गो पर बनी बगैर रैलिंग की ये क्षतिग्रस्त पुलियाएं लोगों के लिए हादसों का कारण बनी हुई है. वाहन चालकों के अनुसार इन पुलिया पर रैलिंग व दीवार नहीं होने के कारण हादसे होते रहते हैं. यहां तक की वाहन चालकों को वाहन निकालने और क्रॉसिंग करते समय दुर्घटना का अंदेशा लगा रहता है. समय रहते इन पुलियाओं की मरम्मत होना आवश्यक है, नहीं तो किसी बड़ी दुर्घटना से इंकार नहीं किया जा सकता है.
अंधे मोड पर होता है हादसा
पिडावा रोड पर ग्राम सादलपुर के पास बनी पुलिया पर भी न तो रैलिंग है और न ही सुरक्षा की दृष्टि से दीवार बनाई गई है. पुलिया को पार करते ही एक अंधा मोड आता है, जहां सामने की ओर से आने वाला वाहन दिखाई नहीं देता है और दुर्घटना हो जाती है. यह पुलिया पिछले दो साल क्षतिग्रस्त थी. साल 2013 में पुलिया पर सड़क का मटेरियल बह गया था तो वहीं 2014 में आधा पुल बह गया, जिसके कारण बारिश में वाहन चालकों को कई परेशानी हुई थीं. उसके बाद जिम्मेदारों ने इसको दुरूस्त करवाया, लेकिन रैलिंग या दीवार बनाना भूल गए, उसके बाद 2019 में हुई बारिश में ये दोनों पुलिया फिर से क्षतिग्रस्त हो गई. जिसकी सुध अभी तक किसी ने नहीं ली है.
लगभग 50 गांवों के लोग करते हैं आना-जाना
इन क्षतिग्रस्त पुलियाओं के कारण आसपास के करीब 50 गांवों के ग्रामीण परेशान हैं, उन्हें रोज इन क्षतिग्रस्त पुलियाओं से होकर आना-जाना करना पड़ता है. ऐसे में कभी भी कोई हादसा हो सकता है. समीपस्थ गांव मैना, देहरीया, सादलपुर, शत्रीखेडी, श्यामपुरा, मालनवासा, ननौरा, सालरीया आदि के लोगों को इन्हीं क्षतिग्रस्त पुलिया से होकर गुजरना पड़ता है. सभी क्षेत्रीय रहवासियों ने क्षतिग्रस्त पुलियाओं के जल्द ही सुधार किए जाने की मांग की है.