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शुरू होने से पहले ही लड़खड़ाई ई पंचायत की भारत नेट योजना, नहीं पहुंचा इंटरनेट

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Published : Sep 9, 2020, 5:11 PM IST

आगर में ई-पंचायत बनाने के लिए भारत नेट योजना शुरु की गई. जिस पर करोड़ों रुपए का बजट भी रखा गया, लेकिन धरातल पर समुचित मॉनिटरिंग ना होने से यह योजना प्रथम चरण में ही लड़खड़ाती हुई दिखाई दे रही है. जिले की सभी पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क से जोड़ने के लिए बकायदा केबल बिछाई जा चुकी है, लेकिन पंचायतों ई-पंचायत बनाने के लिए जो सामग्री भेजी गई है. वह सामग्री कहीं पर धूल खा रही है तो कहीं सामग्री कबाड़ में तब्दील हो चुकी है.

How will e-panchayat be made like this
ऐसे कैसे बनेगा ई-पंचायत

आगर मालवा। भारत सरकार द्वारा प्रत्येक ग्राम पंचायत को ई-पंचायत बनाने के लिए भारत नेट योजना जैसी एक महत्वाकांक्षी योजना आरंभ की गई है, जिस पर करोड़ों रुपए का बजट भी रखा गया, लेकिन धरातल पर समुचित मॉनिटरिंग ना होने से यह योजना प्रथम चरण में ही लड़खड़ाती हुई दिखाई दे रही है. जिले की सभी पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर (optical Fibre) नेटवर्क से जोड़ने के लिए बकायदा केबल बिछाई जा चुकी है, लेकिन पंचायतों को ई-पंचायत बनाने के लिए जो सामान भेजा गया है, वह कहीं पर धूल खा रहा है तो कहीं कबाड़ में तब्दील हो चुका है.

ऐसे कैसे बनेगा ई-पंचायत

बता दें कि फाइबर ऑप्टिकल केबल बिछाने के बाद भी जिले की अधिकांश ग्राम पंचायतों में इंटरनेट सुविधा शुरू नहीं हो पाई है. बड़ोद विकासखंड के ग्राम कुलमडी औप झौंटा में जब इसकी वास्तविक हकीकत देखी गई तो यह योजना लड़खड़ाती हुई नजर आई. करीब 4 साल पहले सरकार ने कंप्यूटर, प्रिंटर, एलईडी टीवी सहित अन्य सामग्री ग्रामीणों की सुविधा के लिए पंचायतों को इंटरनेट से जोड़ने के अभियान के तहत भेजी थी. करीब एक साल पहले गांव तक ऑप्टिकल फाइबर (optical Fibre) तो पहुंच गई लेकिन सरकार इंटरनेट कनेक्शन देना भूल गई. जिसके चलते यह सिस्टम किसी काम का नहीं रहा. ग्रामीणों को उम्मीद जागी थी कि ई-पंचायत बनने के बाद इंटरनेट से जुड़े हुए सभी कार्य गांव में ही आसानी से हो जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया.

ग्राम पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर (optical Fibre) नेटवर्क से जोड़ने के लिए केंद्र सरकार के फ्लैगशिप कार्यक्रम भारत नेट प्रोजेक्ट की शुरुआत की गई थी. इस परियोजना का उद्देश्य राज्य और निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी से दूर-दराज के क्षेत्रों में लोगों और संस्थानों को सुलभ ब्रांडेड सेवाएं उपलब्ध कराना है. भारत नेट अधोसंरचना ग्रामीण लोगों को स्वास्थ्य, शिक्षा, जीविका, कौशल, ई-कृषि और ई-वाणिज्य जैसी सेवाओं की डिजिटल सुपुर्दगी के लिए प्रोत्साहन प्रदान करती है. मुफ्त वाई-फाई और हाई स्पीड इंटरनेट यह ऐसे सपने हैं जो सरकार वक्त-बेवक्त लोगों को दिखाती रहती है. वर्ष 2016 में देश की सभी ग्राम पंचायतों को ब्रॉडबैंड इंटरनेट से जोड़ने के लिए सरकार ने सभी पंचायतों को ई-पंचायत बनाने का फैसला किया था, लेकिन यह योजना धरातल पर दम तोड़ती दिख रही है.

पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह (Former Minister Jayawardhan Singh) से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने बताया कि ई-पंचायत योजना भाजपा सरकार का जुमला है. प्रदेश में आज तक किसी भी पंचायत में इंटरनेट सुविधा नहीं पहुंची है और जो कंप्यूटर, टीवी और अन्य सामग्री दी गई थी. वह किसी भी काम की नहीं है. इस योजना में भाजपा सरकार ने करोड़ो का घोटाला किया है. इस घोटाले की जांच होना चाहिए.

आगर मालवा। भारत सरकार द्वारा प्रत्येक ग्राम पंचायत को ई-पंचायत बनाने के लिए भारत नेट योजना जैसी एक महत्वाकांक्षी योजना आरंभ की गई है, जिस पर करोड़ों रुपए का बजट भी रखा गया, लेकिन धरातल पर समुचित मॉनिटरिंग ना होने से यह योजना प्रथम चरण में ही लड़खड़ाती हुई दिखाई दे रही है. जिले की सभी पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर (optical Fibre) नेटवर्क से जोड़ने के लिए बकायदा केबल बिछाई जा चुकी है, लेकिन पंचायतों को ई-पंचायत बनाने के लिए जो सामान भेजा गया है, वह कहीं पर धूल खा रहा है तो कहीं कबाड़ में तब्दील हो चुका है.

ऐसे कैसे बनेगा ई-पंचायत

बता दें कि फाइबर ऑप्टिकल केबल बिछाने के बाद भी जिले की अधिकांश ग्राम पंचायतों में इंटरनेट सुविधा शुरू नहीं हो पाई है. बड़ोद विकासखंड के ग्राम कुलमडी औप झौंटा में जब इसकी वास्तविक हकीकत देखी गई तो यह योजना लड़खड़ाती हुई नजर आई. करीब 4 साल पहले सरकार ने कंप्यूटर, प्रिंटर, एलईडी टीवी सहित अन्य सामग्री ग्रामीणों की सुविधा के लिए पंचायतों को इंटरनेट से जोड़ने के अभियान के तहत भेजी थी. करीब एक साल पहले गांव तक ऑप्टिकल फाइबर (optical Fibre) तो पहुंच गई लेकिन सरकार इंटरनेट कनेक्शन देना भूल गई. जिसके चलते यह सिस्टम किसी काम का नहीं रहा. ग्रामीणों को उम्मीद जागी थी कि ई-पंचायत बनने के बाद इंटरनेट से जुड़े हुए सभी कार्य गांव में ही आसानी से हो जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया.

ग्राम पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर (optical Fibre) नेटवर्क से जोड़ने के लिए केंद्र सरकार के फ्लैगशिप कार्यक्रम भारत नेट प्रोजेक्ट की शुरुआत की गई थी. इस परियोजना का उद्देश्य राज्य और निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी से दूर-दराज के क्षेत्रों में लोगों और संस्थानों को सुलभ ब्रांडेड सेवाएं उपलब्ध कराना है. भारत नेट अधोसंरचना ग्रामीण लोगों को स्वास्थ्य, शिक्षा, जीविका, कौशल, ई-कृषि और ई-वाणिज्य जैसी सेवाओं की डिजिटल सुपुर्दगी के लिए प्रोत्साहन प्रदान करती है. मुफ्त वाई-फाई और हाई स्पीड इंटरनेट यह ऐसे सपने हैं जो सरकार वक्त-बेवक्त लोगों को दिखाती रहती है. वर्ष 2016 में देश की सभी ग्राम पंचायतों को ब्रॉडबैंड इंटरनेट से जोड़ने के लिए सरकार ने सभी पंचायतों को ई-पंचायत बनाने का फैसला किया था, लेकिन यह योजना धरातल पर दम तोड़ती दिख रही है.

पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह (Former Minister Jayawardhan Singh) से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने बताया कि ई-पंचायत योजना भाजपा सरकार का जुमला है. प्रदेश में आज तक किसी भी पंचायत में इंटरनेट सुविधा नहीं पहुंची है और जो कंप्यूटर, टीवी और अन्य सामग्री दी गई थी. वह किसी भी काम की नहीं है. इस योजना में भाजपा सरकार ने करोड़ो का घोटाला किया है. इस घोटाले की जांच होना चाहिए.

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