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तीन दिन के नवजात के साथ दिनभर इंतजार करती रही मां, घर जाने के लिए नहीं मिली एंबुलेंस

आगर मालवा जिला अस्पताल के बाहर तीन दिन का बच्चा, महिला और परिजन सुबह से लेकर रात तक एंबुलेंस का इंतजार करते रहे. आखिरकार थक हारकर खुद वाहन का इंतजाम किया और अपने गांव गए.

Waiting for ambulance
एंबुलेंस का इंतजार
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Published : Dec 6, 2020, 2:18 AM IST

आगर मालवा। जिला अस्पताल में इन दिनों मरीजों को मिलने वाली सुविधाओं की हालत खराब है. चाहे सरकारी योजनाओं का लाभ हो या स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति. इन अव्यवस्थाओं की सबसे ज्यादा मार यहां आ रहीं प्रसूताओं को झेलना पड़ रही है. शनिवार रात को इसकी बानगी देखने को मिली. जब एक महिला, तीन दिन का बच्चा और पूरा परिवार दिन भर अस्पताल के बाहर एंबुलेंस का इंतजार करता रहा, सुबह से रात हो गई लेकिन उन्हें अपने गांव बिजनाखेड़ी जाने के लिए एंबुलेंस मुहैया नहीं हो पाई.

नवजात के साथ दिनभर इंतजार करती रही मां

खुद वाहन वाहन का करना पड़ा इंतजाम

बिजनाखेड़ी निवासी एक महिला की तीन दिन पहले जिला अस्पताल में डिलीवरी हुई थी. शनिवार को सुबह करीब 10 बजे उसकी छुट्टी कर दी गई. जिसके बाद परिजनों ने गांव वापस जाने के लिए 108 (जननी एक्सप्रेस) पर फोन किया. इंतजार करते-करते सुबह से रात के 8 बज गए. लेकिन एंबुलेंस नहीं पहुंची. मजबूरन परिजनों को खुद वाहन का इंतजाम कर गांव जाना पड़ा.

दिन भर परेशान होते रहे परिजन

परिजनों ने अपनी समस्या अस्पताल प्रबंधन को बताई. लेकिन वहां से भी उन्हें कोई मदद नहीं मिली. महिला के पति रतनलाल ने बताया कि एंबुलेंस के लिए सुबह से कई बार फोन कर चुके हैं. मना कोई नहीं कर रहा, 30 मिनट का बोल देते हैं. फिर आते नहीं. 108 पर फोन किया, बोलते हैं आ रहे हैं, लेकिन फिर कोई एंबुलेंस नहीं आई. दिन भर से परेशान हो रहे हैं. कहीं कोई सुनवाई नहीं होती.

कहीं कोई सुनवाई नहीं

एक परिजन ने बताया कि उन्होंने सीएमओ से लेकर सीएम हेल्पलाइन पर तक कॉल किया. हर जगह बोल देते हैं हां बस एंबुलेंस पहुंचने वाली है. लेकिन अंत तक एंबुलेंस नहीं आई. ये कैसा सिस्टम है. किसी की कोई जिम्मेदारी नहीं है. एक महिला तीन दिन के बच्चे के साथ दिन भर अस्पताल के बाहर बैठी रही. उसे घर पहुंचाने के लिए एंबुलेंस मुहैया नहीं हुई. इस तरह की घटनाएं प्रशासन पर सवालिया निशान लगाती हैं. लेकिन जिम्मेदार एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं.

आगर मालवा। जिला अस्पताल में इन दिनों मरीजों को मिलने वाली सुविधाओं की हालत खराब है. चाहे सरकारी योजनाओं का लाभ हो या स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति. इन अव्यवस्थाओं की सबसे ज्यादा मार यहां आ रहीं प्रसूताओं को झेलना पड़ रही है. शनिवार रात को इसकी बानगी देखने को मिली. जब एक महिला, तीन दिन का बच्चा और पूरा परिवार दिन भर अस्पताल के बाहर एंबुलेंस का इंतजार करता रहा, सुबह से रात हो गई लेकिन उन्हें अपने गांव बिजनाखेड़ी जाने के लिए एंबुलेंस मुहैया नहीं हो पाई.

नवजात के साथ दिनभर इंतजार करती रही मां

खुद वाहन वाहन का करना पड़ा इंतजाम

बिजनाखेड़ी निवासी एक महिला की तीन दिन पहले जिला अस्पताल में डिलीवरी हुई थी. शनिवार को सुबह करीब 10 बजे उसकी छुट्टी कर दी गई. जिसके बाद परिजनों ने गांव वापस जाने के लिए 108 (जननी एक्सप्रेस) पर फोन किया. इंतजार करते-करते सुबह से रात के 8 बज गए. लेकिन एंबुलेंस नहीं पहुंची. मजबूरन परिजनों को खुद वाहन का इंतजाम कर गांव जाना पड़ा.

दिन भर परेशान होते रहे परिजन

परिजनों ने अपनी समस्या अस्पताल प्रबंधन को बताई. लेकिन वहां से भी उन्हें कोई मदद नहीं मिली. महिला के पति रतनलाल ने बताया कि एंबुलेंस के लिए सुबह से कई बार फोन कर चुके हैं. मना कोई नहीं कर रहा, 30 मिनट का बोल देते हैं. फिर आते नहीं. 108 पर फोन किया, बोलते हैं आ रहे हैं, लेकिन फिर कोई एंबुलेंस नहीं आई. दिन भर से परेशान हो रहे हैं. कहीं कोई सुनवाई नहीं होती.

कहीं कोई सुनवाई नहीं

एक परिजन ने बताया कि उन्होंने सीएमओ से लेकर सीएम हेल्पलाइन पर तक कॉल किया. हर जगह बोल देते हैं हां बस एंबुलेंस पहुंचने वाली है. लेकिन अंत तक एंबुलेंस नहीं आई. ये कैसा सिस्टम है. किसी की कोई जिम्मेदारी नहीं है. एक महिला तीन दिन के बच्चे के साथ दिन भर अस्पताल के बाहर बैठी रही. उसे घर पहुंचाने के लिए एंबुलेंस मुहैया नहीं हुई. इस तरह की घटनाएं प्रशासन पर सवालिया निशान लगाती हैं. लेकिन जिम्मेदार एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं.

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