आगर मालवा। प्रदेश सरकार हर नागरिक को पानी एवं बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने का दावा कर चुकी है. जिसके लिए कानूनी मसौदा भी तैयार कर लिया है, पर इस सुविधा को हर नागरिक तक पहुंचाने का खाका सरकार अब तक नहीं खींच पायी है. जिसके चलते आगर जिले में पानी व स्वास्थ्य सेवाएं खुद ही दम तोड़ रही हैं क्योंकि यहां अस्पताल तो हैं, लेकिन पानी के अभाव में मरीजों-तीमारदारों की फजीहत हो रही है. जिला अस्पताल में नहाना-धोना तो दूर प्यास बुझाने पर भी आफत है. शौचालयों में ताला लगा है. वाटर कूलर सूखे पड़े हैं. मरीज से तीमारदार तक शौचालय के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं, जबकि पीने के पानी के लिए भी जद्दोजहद कर रहे हैं.
14 करोड़ की लागत से बना नवीन जिला अस्पताल पानी की किल्लत से जूझ रहा है, पानी की कमी के चलते अस्पताल प्रबंधन ने आधे से अधिक शौचालयों में ताला जड़ दिया है. ज्यादातर वाटर कूलर सूखे पड़े हैं. जिसके चलते इलाज के लिए यहां आने वाले सैकड़ों मरीजों व तीमारदारों को पानी की किल्लत से जूझना पड़ता है. तीन मंजिला बने इस भव्य अस्पताल में आधा दर्जन से अधिक वाटर कूलर लगे हैं, लेकिन सब के सब सूखे की चपेट में हैं और मरीजों के परिजन बाहर से खरीदकर पीने का पानी लाने को मजबूर हैं.
पानी की कमी के चलते शौचालयों की साफ-सफाई तक नहीं हो पा रही है. दुर्गंध के चलते मरीजों का जीना मुहाल हो गया है. लिहाजा अस्पताल प्रबंधन ने शौचालयों पर ताला लगवा दिया, ताकि कोई शौचालय का उपयोग न कर सके. पानी के अभाव में पूरा अस्पताल गंदा पड़ा है. जिससे खुद यहां के डॉक्टर भी परेशान हैं. जलापूर्ति के लिए अस्पताल परिसर में दो ट्यूबवेल भी लगवाये गए थे, लेकिन 600 फीट गहरे बोर के बावजूद पानी नहीं निकला. ऐसी स्थिति में नगर पालिका रोजाना टैंकरों से जलापूर्ति कर रहा था, जिसे अब बंद कर दिया है. अब अस्पताल अपनी प्यास बुझाये भी तो कैसे.