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प्यास बुझाने मीलों पैदल चलते हैं ग्रामीण, कहा- पानी नहीं तो वोट नहीं

पानी की किल्लत से जूझ रहे ग्रामीणों को प्यास बुझाने के लिए मीलों पैदल चलना पड़ रहा है, लेकिन सरपंच-सचिव से लेकर पीएचई विभाग तक आंखों पर पट्टी बांधे हुए है. अब ग्रामीणों के पास मतदान का बहिष्कार करने के सिवाय कोई रास्ता नहीं बच रहा है क्योंकि बच्चों का पूरा दिन पानी ढोने में निकल जा रहा है, जिससे वह स्कूल भी नहीं जा पा रहे हैं.

पानी की किल्लत
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Published : Apr 21, 2019, 5:15 PM IST

Updated : Apr 21, 2019, 6:19 PM IST

आगर मालवा। सिर पर खपरैल, टीन की छत और छप्पर की छांव. नीचे धूप से तपती जमीन और पानी के अभाव में सूखते कंठ जिंदगी की कठिनाइयों पर कड़ा प्रहार कर रहे हैं. अप्रैल माह में जब ये हाल है तो मई-जून में क्या होगा, ये तो सिर्फ ट्रेलर है पिक्चर अभी बाकी है. बूंद-बूंद को तरसते ग्रामीणों को प्यास बुझाने के लिए मीलों पैदल चलना पड़ रहा है. नहाना-धोना तो दूर प्यास बुझाने में ही इतनी मशक्कत करनी पड़ जाती है कि बाकी काम के लिए वक्त ही नहीं मिल पाता.

पानी के लिए बेचैन ग्रामीण

चिलचिलाती धूप, तपती धरती और पानी के अभाव में सूखती फसलें देख किसानों का कलेजा सूख रहा है. अभी से गर्मी का विकराल रूप देख सब भयभीत हैं. जिनके पास साधन है वो तो एक बार में ही पानी भर लाते हैं, लेकिन जिनके पास संसाधन नहीं है, उन्हें मीलों का सफर पैदल तय करना पड़ता है. बच्चों का पूरा दिन पानी ढोने में निकल जा रहा है, जिसके चलते स्कूल भी नहीं जा पाते हैं. पीएचई विभाग के दावे भी खोखले साबित हो रहे हैं. लिहाजा ग्रामीण मतदान का बहिष्कार करने का मन बना रहे हैं.

जिला मुख्यालय से महज 6 किमी की दूरी पर स्थित करीब 1500 आबादी वाले ढोटी के ग्रामीण बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं. इस गांव में 5 सरकारी हैंडपंप हैं, पर सब बंद हैं, दो ट्यूबवेल होल भी संसाधनों के अभाव में बंद जैसे हालत में गुजर रहे हैं, प्रशासन की अनदेखी के बाद ग्रामीण 40 हजार रुपए जुटाकर मोटर, पाइप व अन्य संसाधन जुटाए, लेकिन वह भी कोई चुरा ले गया. जिससे जल संकट गहरा गया है.

ग्रामीणों ने बताया कि पानी की किल्लत का समाधान कोई नहीं कर रहा है, न सरपंच-सचिव सुन रहे, न पीएचई विभाग मदद कर रहा. जब कोई गुहार नहीं सुन रहा तो ग्रामीण भी मतदान बहिष्कार का मन बना रहे हैं, यदि चुनाव के वक्त इतनी अनदेखी हो रही है तो चुनाव बीत जाने के बाद इनकी फरियाद कौन सुनेगा?

आगर मालवा। सिर पर खपरैल, टीन की छत और छप्पर की छांव. नीचे धूप से तपती जमीन और पानी के अभाव में सूखते कंठ जिंदगी की कठिनाइयों पर कड़ा प्रहार कर रहे हैं. अप्रैल माह में जब ये हाल है तो मई-जून में क्या होगा, ये तो सिर्फ ट्रेलर है पिक्चर अभी बाकी है. बूंद-बूंद को तरसते ग्रामीणों को प्यास बुझाने के लिए मीलों पैदल चलना पड़ रहा है. नहाना-धोना तो दूर प्यास बुझाने में ही इतनी मशक्कत करनी पड़ जाती है कि बाकी काम के लिए वक्त ही नहीं मिल पाता.

पानी के लिए बेचैन ग्रामीण

चिलचिलाती धूप, तपती धरती और पानी के अभाव में सूखती फसलें देख किसानों का कलेजा सूख रहा है. अभी से गर्मी का विकराल रूप देख सब भयभीत हैं. जिनके पास साधन है वो तो एक बार में ही पानी भर लाते हैं, लेकिन जिनके पास संसाधन नहीं है, उन्हें मीलों का सफर पैदल तय करना पड़ता है. बच्चों का पूरा दिन पानी ढोने में निकल जा रहा है, जिसके चलते स्कूल भी नहीं जा पाते हैं. पीएचई विभाग के दावे भी खोखले साबित हो रहे हैं. लिहाजा ग्रामीण मतदान का बहिष्कार करने का मन बना रहे हैं.

जिला मुख्यालय से महज 6 किमी की दूरी पर स्थित करीब 1500 आबादी वाले ढोटी के ग्रामीण बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं. इस गांव में 5 सरकारी हैंडपंप हैं, पर सब बंद हैं, दो ट्यूबवेल होल भी संसाधनों के अभाव में बंद जैसे हालत में गुजर रहे हैं, प्रशासन की अनदेखी के बाद ग्रामीण 40 हजार रुपए जुटाकर मोटर, पाइप व अन्य संसाधन जुटाए, लेकिन वह भी कोई चुरा ले गया. जिससे जल संकट गहरा गया है.

ग्रामीणों ने बताया कि पानी की किल्लत का समाधान कोई नहीं कर रहा है, न सरपंच-सचिव सुन रहे, न पीएचई विभाग मदद कर रहा. जब कोई गुहार नहीं सुन रहा तो ग्रामीण भी मतदान बहिष्कार का मन बना रहे हैं, यदि चुनाव के वक्त इतनी अनदेखी हो रही है तो चुनाव बीत जाने के बाद इनकी फरियाद कौन सुनेगा?

Intro:अप्रैल माह की इस भीषण गर्मी ने पानी की एक-एक बूंद के लिए लोगो का अपना विकराल रूप अभी से दिखाना शुरू कर दिया है। अभी तो ग्रीष्म ऋतु के दो माह और बाकी है लेकिन जलसंकट की विकराल समस्या अभी से उभरने लगी है। पानी की इस विकट समस्या से ग्राम ढोटी के लोग अभी से परेशान हो गए है। 4 किमी की दूरी तक से ग्रामीणों को पानी लाने पर मजबूर होना पड़ रहा है। पानी की समस्या के चलते यहां के लोग नारकीय जीवन जीने पर मजबूर है। पीएचई विभाग के जिले में पानी की समस्या नही होने के सारे दावे भी यहां पर खोखले साबित हो रहे है। अभी इस भीषण गर्मी के बचे दो माह इन गांव वालों के कैसे गुजरेंगे यह तो आगामी समय पर ही पता चल पाएगा लेकिन गांव वाले पूरा मूड बना चुके है कि यदि जल्द ही उनके यहां जवाबदारों ने पानी की समस्या का समाधान नही किया तो वे आगामी लोकसभा चुनाव का पूरी तरह से बहिष्कार करेंगे।


Body:जिला मुख्यालय से महज 6 किमी की दूरी पर स्थित करीब 1500 की आबादी वाले ग्राम ढोटी के ग्रामीण पानी की बूंद-बूंद के लिए तरस रहे है। इस गांव में 5 सरकारी हैंडपंप है लेकिन सारे हैंडपंप बन्द पड़े हुवे है। वही दो अन्य ट्यूबवेल होल भी यहां किये गए थे एक ट्यूबवेल में पानी भी है लेकिन पानी उबलब्ध कराने के लिए उचित संसाधन जवाबदारों द्वारा उपलब्ध नही करवाने के एवज में पानी नही मिल पा रहा है ग्रामीणों का कहना है कि सभी गांववालों ने मिलकर इस ट्यूबवेल को चालू करने के लिए 40 हजार रुपए एकत्रित कर मोटर, पाइप व अन्य संसाधन जुटाए थे लेकिन वह भी कोइ चोरी करके ले गया। इंसी प्रकार इस गांव के अधिकांश निजी ट्यूबवेल होल व कुएं पानी नही उगल रहे है। एक-दो निजी लोगो के ट्यूबवैल से पूरे गांव के लोगो के लिए पानी की पूर्ति की जा रही है वही यह ट्यूबवैल भी धीरे-धीरे दम तोड़ते हुवे नजर आ रहे है। रुक-रूककर इनमे से पानी आ रहा है। आने वाले दिनों ये ट्यूबवैल भी शायद पानी देना बंद कर देंगे।


Conclusion:गांव के प्रभुलाल, लीलाबाई, बालिका संगीता, बालिका श्यामू, सरदारबाई, बालक कमल यादव आदि ने बताया कि पानी की इस विकराल समस्या का समाधान कोई नही कर रहा है। न गांव के सरपंच-सचिव सुनवाई करते है और न ही गांवों में पानी उपलब्ध करवाने वाला पीएचई विभाग कोई मदद कर रहा है। लोग यहां 3-3 दिनों तक नहा भी नही पाते है। बच्चे अपना स्कूल छोड़कर सुबह से रात तक केवल डब्बीयो के सहारे पानी भरने दिन गुजार देते है। गांव की श्यामू ने बताया कि ग्रामीण अपने सारे काम छोड़कर दिनभर केवल पानी ही भरते है। कोई ट्रैक्टर से पानी लाता है तो कोई बाइक से व साइकल से पानी लाने पर मजबूर है प्रतिदिन 100 से 200 रुपये का पेट्रोल पानी लाने में खर्च हो जाता है वही जिन लोगो के पास वाहन नही है व आर्थिक रूप से अक्षम है वो लोग अपने पूरे परिवार को लेकर पैदल ही 4 किमी का सफर तय कर पानी लाते है। इस संबंध गांव के सरपंच व सचिव से संपर्क करना चाहा लेकिन उनसे संपर्क नही हो पाया वही पीएचई विभाग के जवाबदार अधिकारी आचार संहिता का हवाला देकर कुछ भी कहने से बचते नजर आए।


बाइट- सभी बाइट ग्राम ढोटी के ग्रामीणों की है।
Last Updated : Apr 21, 2019, 6:19 PM IST
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