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अनोखी तपस्या के आठ सालः एक हाथ ऊपर रख विश्व कल्याण के लिए तप कर रहे महंत राधे पुरी

आगर जिले के आमला गांव के मंहत राधेपुरी पिछले आठ सालों से अपने दाएं हाथ को उपर उठाकर तपस्या कर रहे हैं. उनका कहना है कि उनकी यह तपस्या विश्वशांति और जनकल्याण के लिए है. इससे पहले भी 10 साल तक खड़े होकर तपस्या कर चुके हैं.

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Published : Jul 13, 2019, 5:07 PM IST

हाथ उठाए पिछले आठ सालों से तपस्या कर रहे मंहत राधेपुरी

आगर-मालवा। यूं तो विश्व कल्याण और विश्व शांति के लिए दुनिया भर के लोग अपने-अपने तरीके से काम करते हैं, लेकिन आगर जिले के आमला गांव में रहने वाले महंत राधे पुरी की तपस्या कई मायनों में अनोखी है. वे पिछले पिछले आठ सालों से अपने दाएं हाथ को उपर उठाकर विश्व कल्याण और विश्व शांति के लिए तप कर रहे हैं.

विश्वकल्याण के लिए मंहत राधेपुरी की तपस्या के आठ साल

महंत 2011 से अपने दायें हाथ को इसी तरह उपर उठाए हुए हैं. हर समय हाथ ऊपर रहने के चलते उनकी अंगुलियों के नाखून बढ़कर लटकने लगे हैं, बावजूद इसके उनके तपस्या में कोई कमी नहीं आई और अपने हाथ को ऊपर उठाए हुए ही सारे काम करते है. भक्तों से बात करने के लिए बैठने पर भी वे कपड़े से अपना हाथ लटकाकर बांध लेते हैं.

महंत बताते हैं कि उनकी ये तपस्या विश्व कल्याण और विश्व शांति के लिए है. जो पिछले आठ सालों से इसी तरह चल रही है. महंत ने इससे पहले भी 10 सालों तक खड़े रहकर तपस्या की थी. विश्व कल्याण और विश्व शांति के लिए तप कर रहे हैं. लोग दूर-दराज से महंत के दर्शन भी करने आते हैं.

आगर-मालवा। यूं तो विश्व कल्याण और विश्व शांति के लिए दुनिया भर के लोग अपने-अपने तरीके से काम करते हैं, लेकिन आगर जिले के आमला गांव में रहने वाले महंत राधे पुरी की तपस्या कई मायनों में अनोखी है. वे पिछले पिछले आठ सालों से अपने दाएं हाथ को उपर उठाकर विश्व कल्याण और विश्व शांति के लिए तप कर रहे हैं.

विश्वकल्याण के लिए मंहत राधेपुरी की तपस्या के आठ साल

महंत 2011 से अपने दायें हाथ को इसी तरह उपर उठाए हुए हैं. हर समय हाथ ऊपर रहने के चलते उनकी अंगुलियों के नाखून बढ़कर लटकने लगे हैं, बावजूद इसके उनके तपस्या में कोई कमी नहीं आई और अपने हाथ को ऊपर उठाए हुए ही सारे काम करते है. भक्तों से बात करने के लिए बैठने पर भी वे कपड़े से अपना हाथ लटकाकर बांध लेते हैं.

महंत बताते हैं कि उनकी ये तपस्या विश्व कल्याण और विश्व शांति के लिए है. जो पिछले आठ सालों से इसी तरह चल रही है. महंत ने इससे पहले भी 10 सालों तक खड़े रहकर तपस्या की थी. विश्व कल्याण और विश्व शांति के लिए तप कर रहे हैं. लोग दूर-दराज से महंत के दर्शन भी करने आते हैं.

Intro:आगर मालवा
-- जनकल्याण व विश्व शांति के लिए साधु-महात्मा अलग-अलग प्रकार की तपस्या कर सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करवाते हैं लेकिन जिले के आमला गांव में एक कुटिया में रहने वाले महंत राधे पुरी पिछले 8 सालों से एक अनोखा तप कर रहे हैं। राधेपुरी पिछले 8 सालों से अपना दायां हाथ ऊपर उठाकर कठिन तपस्या में लगे हुए हैं महंत के इस हठयोग को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं और उनसे आशीर्वाद लेकर अपनी समस्याओं का समाधान पूछते हैं।


Body:बता दें कि जूना अखाड़ा से संबंध रखने वाले जिले के ग्राम आमला निवासी महंत राधे पुरी ने 2011 से एक हाथ ऊपर उठाकर तप करने का निर्णय लिया था महंत 24 घंटों में एक पल भी अपना हाथ नीचे नही करते है। हर समय हाथ ऊपर रहने के कारण उनकी अंगुलियों के नाखून बढ़कर लटकने लगे हैं इसके बावजूद भी आज तक उनके तप में कोई कमी नहीं आई है हर समय उनके पास उनके भक्तों की भीड़ लगी रहती है महंत राधेपुरी की यह तपस्या किसी स्वार्थ या मनोकामना पूरी करने के लिए नहीं है बल्कि यह तपस्या विश्व शांति व जनकल्याण के लिए कर रहे हैं महंत ने बाल्यकाल के दौरान ही घर छोड़ दिया था और कई सालों तक अलग-अलग जगह पर रहकर तप करते रहे। वर्ष 2001 में वे आमला आ गए यहां पर उन्होंने वर्ष 2011 तक करीब 10 साल तक खड़े रहकर तपस्या की वहीं उन्होंने कुछ सालों तक पंचधुनि तपस्या भी की इस तपस्या को कठिन बताते हुए उन्होंने कहा कि पांच धुनियो को जलाकर उनके बीच तपस्या की जाती है चाहे गर्मी हो या ठंड 24 घंटे उनके बीच में बैठकर तपस्या करनी होती है अपने घर परिवार के विषय पर उन्होंने बताया कि वे यूपी के रहने वाले हैं लेकिन वर्तमान में उनका परिवार कहां है इसका उन्हें कुछ नहीं पता है।
यह भी बता दें कि महंत राधेपुरी चलने फिरने के दौरान तो हाथ को हमेशा ऊपर करके ही रखते हैं लेकिन जब धूनी पर या फिर भक्तों से बात करने के लिए बैठते हैं तो एक कपड़े से अपना हाथ लटकाकर बांध लेते हैं स्थिर बैठने के दौरान लगातार हाथ खड़ा नहीं रख पाते हैं इसलिए कोहनी से हाथ बांध लेते हैं। देखने में उनकी कोहनी से ऊपर का हिस्सा काफी कमजोर सा दिखता है वही सालों से हाथ खड़ा रखने के कारण उनके अंगुलियों और अंगूठे के नाखून काफी लंबे हो गए हैं गर्मी के दिनों में कड़क होकर नाखून टूट जाते हैं नहीं तो नाखून भी उनके ज्यादा बड़े हो जाते।
बता दे कि महंत राधेपुरी अपनी कुटिया पर समय-समय धार्मिक आयोजन भी करवाते रहते है। उनकी कुटिया के समीप उन्होंने शनि मंदिर, हनुमान मंदिर, शिव मंदिर तथा माता मंदिर भी स्थापित कर रखे है।


Conclusion:महंत राधेपुरी ने बताया कि वर्ष 2011 से वे एक हाथ ऊपर उठाकर तपस्या कर रहे है। इससे पहले उन्होंने 10 सालों तक खड़े रहकर तपस्या की थी इसके अलावा पंचधुनि तपस्या भी उन्होने की है यह सभी तपस्या उन्होंने जनकल्याण व विश्वशांति के लिए की है।
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