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होल्कर रियासत में बने इस मंदिर में विराजी हैं मां लक्ष्मी और भगवान नारायण

1603 ईस्वी से अधिक पुराना होल्कर स्टेट का यह मंदिर एशिया में नेपाल के बाद ऐसा दूसरा मंदिर है. जहां लक्ष्मीनारायण भगवान की प्रतिमा पाषाण से बनी है.

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Published : Oct 26, 2019, 6:39 PM IST

Updated : Oct 26, 2019, 7:42 PM IST

होल्कर रियासत में बने इस मंदिर में विराजी है मां लक्ष्मी और भगवान नारायण

आगर। हिन्दू धर्म के पुराणों और धर्म ग्रंथों में महालक्ष्मी को धन की देवी कहा गया है. दीपावली के समय श्रृद्धालु मां लक्ष्मी की विशेष पूजा अर्चना कर फल प्राप्त करते हैं. इस दीपोत्सव पर आज हम आपको ऐसे मंदिर से अवगत कराने जा रहे हैं जहां धन की देवी लक्ष्मी जी की भगवान नारायण के साथ पूजा की जाती है. इस मंदिर में लक्ष्मी जी अपने स्वामी भगवान नारायण के साथ विराजमान हैं.

होल्कर रियासत में बने इस मंदिर में विराजी हैं मां लक्ष्मी और भगवान नारायण

1603 ईस्वी से भी अधिक पुराना होल्कर स्टेट का यह मंदिर धर्मस्व विभाग के अधीन है. 15 साल पहले पुरातत्व विभाग की टीम ने इस मंदिर का निरीक्षण किया था और इस बात की पुष्टि की थी कि यह एशिया का नेपाल के बाद ऐसा दूसरा मंदिर है जहां लक्ष्मीनारायण भगवान की प्रतिमा पाषाण से बनी है. मंदिर में नारायण बडे़ चतुर्भुज रूप में लक्ष्मी जी के साथ विराजमान है. ऐसी ही हुबहू प्रतिमां पाषणयुक्त चतुर्भजाधारी नेपाल में मौजूद है.

सुसनेर के शुक्रवारिया बाजार में स्थित लक्ष्मीनारायण गणपति मंदिर1603 ईस्वी से भी पहले का बताया जा रहा है. यह मंदिर सालों से श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र बना हुआ है. मंदिर परिसर में चम्पा का पेड़ होने से श्रद्धालू इसे चंपा मंदिर के नाम से भी जानते हैं. मंदिर में एक बड़ी प्रतिमा भगवान नारायण और छोटी प्रतिमा मां लक्ष्मी जी की स्थापित है. मंदिर में अन्य देवी देवता भी विराजमान है. यहां हर साल दीपावली पर लोग विशेष पूर्जा अर्चना करते हैं. मां लक्ष्मीजी के साथ नारायण की भी पूजा इस मंदिर में की जाती है.

मंदिर के पुजारी पं. दुर्गेश कुमार ने बताया कि यह पाषाण से निर्मित चार भुजाधारी प्रतिमा है, प्रतिमा में नारायण भगवान के हाथों में शंख, चक्र, गधा और पदम है. यही वजह है कि यह प्रतिमा सालों से श्रद्धालूओं के आकर्षण केन्द्र बनी हुई है.

पंचामृत से होगा अभिषेक
दीपावली के अवसर पर मंदिर में विराजे भगवान लक्ष्मी-नारायण का पंचामृत से अभिषेक किया जाएगा. दिवाली के मौके पर मां लक्ष्मी जी और भगवान नारायण के साथ साथ अन्य प्रतिमाओं का विशेष श्रृंगार भी किया जाएगा.

आगर। हिन्दू धर्म के पुराणों और धर्म ग्रंथों में महालक्ष्मी को धन की देवी कहा गया है. दीपावली के समय श्रृद्धालु मां लक्ष्मी की विशेष पूजा अर्चना कर फल प्राप्त करते हैं. इस दीपोत्सव पर आज हम आपको ऐसे मंदिर से अवगत कराने जा रहे हैं जहां धन की देवी लक्ष्मी जी की भगवान नारायण के साथ पूजा की जाती है. इस मंदिर में लक्ष्मी जी अपने स्वामी भगवान नारायण के साथ विराजमान हैं.

होल्कर रियासत में बने इस मंदिर में विराजी हैं मां लक्ष्मी और भगवान नारायण

1603 ईस्वी से भी अधिक पुराना होल्कर स्टेट का यह मंदिर धर्मस्व विभाग के अधीन है. 15 साल पहले पुरातत्व विभाग की टीम ने इस मंदिर का निरीक्षण किया था और इस बात की पुष्टि की थी कि यह एशिया का नेपाल के बाद ऐसा दूसरा मंदिर है जहां लक्ष्मीनारायण भगवान की प्रतिमा पाषाण से बनी है. मंदिर में नारायण बडे़ चतुर्भुज रूप में लक्ष्मी जी के साथ विराजमान है. ऐसी ही हुबहू प्रतिमां पाषणयुक्त चतुर्भजाधारी नेपाल में मौजूद है.

सुसनेर के शुक्रवारिया बाजार में स्थित लक्ष्मीनारायण गणपति मंदिर1603 ईस्वी से भी पहले का बताया जा रहा है. यह मंदिर सालों से श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र बना हुआ है. मंदिर परिसर में चम्पा का पेड़ होने से श्रद्धालू इसे चंपा मंदिर के नाम से भी जानते हैं. मंदिर में एक बड़ी प्रतिमा भगवान नारायण और छोटी प्रतिमा मां लक्ष्मी जी की स्थापित है. मंदिर में अन्य देवी देवता भी विराजमान है. यहां हर साल दीपावली पर लोग विशेष पूर्जा अर्चना करते हैं. मां लक्ष्मीजी के साथ नारायण की भी पूजा इस मंदिर में की जाती है.

मंदिर के पुजारी पं. दुर्गेश कुमार ने बताया कि यह पाषाण से निर्मित चार भुजाधारी प्रतिमा है, प्रतिमा में नारायण भगवान के हाथों में शंख, चक्र, गधा और पदम है. यही वजह है कि यह प्रतिमा सालों से श्रद्धालूओं के आकर्षण केन्द्र बनी हुई है.

पंचामृत से होगा अभिषेक
दीपावली के अवसर पर मंदिर में विराजे भगवान लक्ष्मी-नारायण का पंचामृत से अभिषेक किया जाएगा. दिवाली के मौके पर मां लक्ष्मी जी और भगवान नारायण के साथ साथ अन्य प्रतिमाओं का विशेष श्रृंगार भी किया जाएगा.

Intro:आगर। सनातन धर्म के पुराणों एवं ग्रंथों में महालक्ष्मी को धन की देवी कहा गया है। दीपावली के समय श्रृद्धाुल माता लक्ष्मी की विशेष पूजा अर्चना कर फल प्राप्त करते है। इस दीपोत्सव पर आज हम आपकों ऐसे मंदिर से अवगत करवा रहे है जहां धन की देवी लक्ष्मीजी की भगवान नारायण के साथ पूजा की जाती है, इस मंदिर में लक्ष्मी जी अपने स्वामी नारायण के साथ विराजमान है। 1603 ईस्वी से भी अधिक पुराना होल्कर स्टेट का यह मंदिर धर्मस्व विभाग के अधीन है, 15 साल पहले पुरातत्व विभाग की टीम ने इस मंदिर का निरीक्षण किया था और इस बात की पुष्टी की थी कि यह एशिया का नेपाल के बाद ऐसा दूसरा मंदिर है जहां लक्ष्मीनारायण भगवान की प्रतिमा पाषाण से बनी होकर बडे चतुर्भूजरूप में लक्ष्मीजी के साथ विराजमान है। ऐसी ही हुबहू प्रतिमां पाषणयुक्त चतुर्भजाधारी नेपाल में मौजूद है।Body:चम्पा का मंदिर नाम से प्रसिद्व है यह मंदिर

सुसनेर के शुक्रवारीया बाजार में स्थित लक्ष्मीनारायण गणपति मंदिर 1603 ईस्वी से भी पूर्व का है। जो कि वर्षो से श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र बना हुआ है। मंदिर परिसर में चम्पा का वृक्ष लगे होने के कारण यह मंदिर चम्पा के मंदिर के नाम से प्रसिद्व है। मंदिर में एक बडी प्रतिमा भगवान नारायण व छोटी प्रतिमा मां लक्ष्मी जी की है। साथ ही मंदिर में अन्य देवी देवता भी विराजमान है। प्रतिवर्ष दीपावली पर लोग यहा पूजन करने के लिए आते है। मां लक्ष्मीजी के साथ नारायण की भी पूजा इस मंदिर में की जाती है।Conclusion:चारभुजाधारी प्रतिमा में ये है खास
मंदिर के पुजारी पंडित दुर्गेश शर्मा ने बताया कि प्रतिमा यह पाषाण से निर्मित चार भुजाधारी प्रतिमा है, प्रतिमा में नारायण भगवान के हाथों में शंख, चक्र, गधा और पदम है। यही वजह है कि यह प्रतिमा सालों से श्रद्धालुओं के आकर्षकण केन्द्र बनी हुई है।े
पंचामृत से होगा अभिषेक
रविवार को दीपावली के अवसर पर इस मंदिर में भगवान का लक्ष्मी-नारायण का पंचामृत से अभिषेक कर विशेष पूजन किया जाएगा। इस अवसर पर लक्ष्मीजी और भगवान नारायण व अन्य प्रतिमाओं का विशेश श्रृंगार भी किया जाएगा।

विज्युअल- लक्ष्मी नारायण मंदिर।
मंदिर में विराजित पाषाणयुक्त लक्ष्मीजी और नारायण भगवान।

बाईट- दिलीप मित्तल, सामाजिक कार्यकर्ता सुसनेर
बाईट- पंडित दुर्गेश शर्मा, पुजारी लक्ष्मीनारायण मंदिर, सुसनेर।
Last Updated : Oct 26, 2019, 7:42 PM IST
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